मुंबई, 29 नवंबर (भाषा) वरिष्ठ नागरिकों के साथ अपने बच्चों द्वारा किये गए गलत व्यवहार पर गंभीर चिंता जताते हुए बंबई उच्च न्यायालय ने गायिका श्वेता शेट्टी को उनके 95 वर्षीय पिता के दक्षिण मुंबई स्थित आवास से निकालने संबंधी एक अधिकरण के आदेश को निरस्त करने से इनकार कर दिया है।
शेट्टी पर अपने पिता के साथ दुर्व्यवहार करने के आरोप के चलते एक अधिकरण ने उन्हें अपने पिता का आवास छोड़ने का आदेश दिया था। न्यायमूर्ति गौतम पटेल और न्यायमूर्ति माधव जामदार की एक खंडपीठ ने 25 नवंबर को कहा कि जब तक गायिका के पिता जीवित हैं, तब तक वह उनकी संपत्ति पर अधिकार का दावा नहीं कर सकतीं।
सोमवार को प्राप्त हुए अदालत के आदेश में कहा गया, “श्वेता अपना हिस्सा मांग रही है। जब तक वह (पिता) जीवित हैं, तब तक उसका कैसा ‘हिस्सा’? वह (पिता) अपना फ्लैट और सारा पैसा किसी और को भी दे सकते हैं। यह उनका चुनाव होगा। वह (श्वेता) उन्हें ऐसा करने से रोक नहीं सकती। तो जब तक वह जीवित हैं, उनकी संपत्ति में श्वेता का कोई हिस्सा नहीं है।”
अदालत ने अपने आदेश में कहा कि मुंबई में विशेष रूप से पैसे वाले लोगों के घरों में ऐसा देखा गया है कि वरिष्ठ नागरिकों और बूढ़े माता-पिता को परेशान किया जाता है और जीवन के अंतिम क्षणों में उन्हें तकलीफ होती है।
आदेश में कहा गया कि उक्त मामला भी अलग नहीं था और याचिकाकर्ता के पिता ने बार-बार कहा है कि वह अपनी बेटी श्वेता को घर में नहीं देखना चाहते। अदालत ने श्वेता शेट्टी की ओर से दायर याचिका पर फैसला सुनाया, जिसमें ‘कल्याण अधिकरण’ और मुंबई के डिप्टी कलक्टर द्वारा नवंबर 2020 को दिए गए आदेश को चुनौती दी गई थी।
आदेश में शेट्टी को उनके पिता के घर को छोड़ने को कहा गया था। दक्षिण मुंबई में रहने वाले महलबा शेट्टी (95) का आरोप है कि उनकी बेटी श्वेता उन्हें परेशान करती है।
भाषा यश दिलीप
दिलीप
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