परब एवं अन्य से जुड़े धनशोधन मामले की जांच के तहत कई स्थानों पर ईडी का छापा

परब एवं अन्य से जुड़े धनशोधन मामले की जांच के तहत कई स्थानों पर ईडी का छापा

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  • Publish Date - May 26, 2022 / 08:37 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:23 PM IST

मुंबई, 26 मई (भाषा) प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने रत्नागिरी जिले के दापोली समुद्र तट क्षेत्र में एक रिसॉर्ट के निर्माण में तटीय विनियमन क्षेत्र मानदंडों के कथित उल्लंघन से जुड़ी धनशोधन जांच के तहत महाराष्ट्र के परिवहन मंत्री अनिल परब और अन्य के कई स्थानों पर छापे मारे। यह जानकारी अधिकारियों ने दी।

संघीय एजेंसी ने धनशोधन रोकथाम कानून (पीएमएलए) की आपराधिक धाराओं के तहत एक ताजा मामला दर्ज किया है। उनकी भूमिका की महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री एवं राकांपा नेता अनिल देशमुख के खिलाफ दर्ज एक अन्य धनशोधन मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) पहले से ही जांच कर रहा था।

एजेंसी ने मुंबई के बांद्रा इलाके में परब के आधिकारिक आवास ‘अजिंक्यतारा’, दापोली और पुणे में जुड़े परिसरों और कथित तौर पर उनसे जुड़े सदानंद कदम जैसे लोगों सहित कम से कम सात परिसरों की तलाशी ली।

केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) की एक टुकड़ी ने ईडी की टीम को सुरक्षा मुहैया करायी।

शिवसेना के कई कार्यकर्ता मंत्री के सरकारी आवास के साथ-साथ मुंबई स्थित उनके निजी आवास के बाहर जमा हो गए और ईडी की कार्रवाई के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया।

महाराष्ट्र विधान परिषद में शिवसेना के तीन बार सदस्य निर्वाचित परब (57) राज्य के परिवहन एवं संसदीय मामलों के मंत्री हैं। एजेंसी ने मंत्री से भी पूछताछ की और मामले के हिस्से के रूप में उनका प्रारंभिक बयान दर्ज किया, जो हाल ही में केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के कारण बताओ नोटिस का संज्ञान लेने के बाद दर्ज किया गया है, जिसने दापोली रिसॉर्ट को ‘‘अवैध’’ कहा है और तटीय विनियमन क्षेत्र के कथित उल्लंघन में (सीआरजेड) मानदंड के उल्लंघन का आरोप लगाया है।

राज्य की राजधानी मुंबई से लगभग 230 किमी दूर दापोली, एक सुंदर तटीय हिल स्टेशन है और साल भर ठंडे मौसम और स्वास्थ्यप्रद वातावरण के कारण इसे महाराष्ट्र का ‘मिनी महाबलेश्वर’ कहा जाता है। क्षेत्र में विला, रो हाउस और फ्लैट सहित कई रियल एस्टेट परियोजनाएं आ रही हैं। परब कथित अनियमितताओं और भ्रष्टाचार के कुछ अन्य आरोपों का सामना कर रहे हैं।

पहले आरोप दापोली में 2017 में परब द्वारा एक करोड़ रुपये के प्रतिफल मूल्य पर एक भूखंड की खरीद से संबंधित हैं। इस भूखंड को 2019 में पंजीकृत किया गया था। आरोप है कि इस भूखंड को बाद में मुंबई के केबल ऑपरेटर सदानंद कदम को 2020 में 1.10 करोड़ रुपये के प्रतिफल मूल्य पर बेच दिया गया था। इस बीच, इसी जमीन पर 2017 से 2020 तक एक रिजॉर्ट बनाया गया।

आयकर विभाग ने कदम और उप क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी (आरटीओ) बजरंग खरमाटे जैसे, परब के कुछ करीबी लोगों के खिलाफ मार्च में छापे मारे थे, जिसके बाद उसने मंत्री पर ये आरोप लगाए थे।

केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने मार्च में जारी एक बयान में कहा था कि रिजॉर्ट का निर्माण 2017 में शुरू हुआ था और इसके निर्माण में छह करोड़ रुपये नकद खर्च किए गए थे।

उसने कहा था, ‘‘यह पता चलता है कि रिसॉर्ट के निर्माण के बारे में प्रासंगिक तथ्यों को पंजीकरण अधिकारियों को सूचित नहीं किया गया था और तदनुसार, स्टांप शुल्क का भुगतान केवल दोनों अवसरों पर यानी 2019 और 2020 में भूमि के पंजीकरण के लिए किया गया था।’’

सीबीडीटी ने कहा कि उसके निर्माण की लागत को तलाशे जा रहे व्यक्ति (कदम) या नेता (परब) द्वारा अपनी लेखा पुस्तकों में शामिल नहीं किया गया है।

पर्यावरण मंत्रालय के नोटिस में कथित तौर पर कहा गया है कि दापोली रिसॉर्ट की इमारत और सड़क उच्च ज्वार क्षेत्र के 200 मीटर के भीतर आती है, जो सीआरजेड-तीन के तहत नो-डेवलपमेंट जोन में आता है। परब ने इस रिसॉर्ट से अपने जुड़ाव से साफ इनकार किया है।

इससे पहले, निदेशालय ने पूर्व मंत्री अनिल देशमुख से जुड़े धनशोधन के एक अन्य मामले में परब से पूछताछ की थी।

उद्योगपति मुकेश अंबानी के मुंबई स्थित आवास के निकट एक एसयूवी में विस्फोटक पदार्थ मिलने संबंधी मामले में राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) द्वारा गिरफ्तार किए गए पूर्व पुलिस अधिकारी सचिज वाजे ने भी परब पर रिश्वतखोरी के आरोप लगाए थे।

महाराष्ट्र में शिवसेना, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) और कांग्रेस के गठबंधन वाली महा विकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार ने आरोप लगाया है कि केंद्रीय एजेंसियां केंद्र में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत सरकार के कहने पर उनके दलों के नेताओं और परिवारों को निशाना बना रही हैं।

भाजपा के नेताओं का कहना है कि एजेंसियां अपना काम स्वतंत्र रूप से और सबूतों के आधार पर कर रही हैं।

भाषा अमित नरेश

नरेश