एल्गार मामला: न्यायालय के आदेश के चार दिन बाद भी मुंबई की तलोजा जेल में हैं नवलखा |

एल्गार मामला: न्यायालय के आदेश के चार दिन बाद भी मुंबई की तलोजा जेल में हैं नवलखा

एल्गार मामला: न्यायालय के आदेश के चार दिन बाद भी मुंबई की तलोजा जेल में हैं नवलखा

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:42 PM IST, Published Date : November 14, 2022/8:23 pm IST

मुंबई, 14 नवंबर (भाषा) जेल में बंद मानवाधिकार कार्यकर्ता गौतम नवलखा का नवी मुंबई की तलोजा जेल से बाहर निकलना अब भी बाकी है, जबकि पिछले हफ्ते उच्चतम न्यायालय ने उनके स्वास्थ्य की स्थिति को ध्यान में रखते हुए उन्हें एक महीने के लिये नजरबंद रखने की अनुमति दी थी।

नवलखा (70) को अब भी जेल में रखे जाने का कारण उनकी रिहाई की औपचारिकताओं के अब तक प्रक्रिया में होने को बताया जा रहा है।

नवलखा 2017-18 के एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में अप्रैल 2020 से न्यायिक हिरासत में हैं। उन्होंने कई रोगों से खुद के ग्रसित होने का दावा किया है। उच्चतम न्यायालय ने 10 नवंबर को उन्हें कुछ शर्तों के साथ नजरबंद रखने की अनुमति दे दी और कहा था कि उसके आदेश का क्रियान्वयन 48 घंटे के अंदर किया जाना चाहिए।

हालांकि, सोमवार शाम तक वह जेल में ही हैं, क्योंकि उनकी रिहाई की औपचारिकताएं पूरी नहीं हो सकी हैं।

उनके वकील के अनुसार, नवलखा की जेल से रिहाई की औपचारिकताएं मुंबई की एक विशेष एनआईए (राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण) अदालत के समक्ष सोमवार को शुरू की गई थी, जो उनके खिलाफ मामले की सुनवाई कर रही है।

जेल से रिहा होने पर, नवलखा को नवी मुंबई के बेलापुर में निगरानी में रखा जाएगा। शीर्ष न्यायालय के आदेश के अनुसार, नवलखा मुंबई से बाहर नहीं जा सकेंगे।

उनके वकील ने सोमवार को विशेष एनआईए न्यायाधीश राजेश कटारिया को नजरबंदी पर उच्चतम न्यायालय के आदेश से अवगत कराया और नवलखा की रिहाई की औपचारिकताएं पूरी करने के लिए शीर्ष न्यायालय द्वारा निर्धारित जमानत राशि भरने की प्रक्रिया शुरू की।

उच्चतम न्यायालय ने नवलखा के मुंबई में रहने के लिए कई शर्तें लगाई थी, जिनमें सुरक्षा के लिए 2.4 लाख रुपये जमा करने, कमरों के बाहर और आवास के प्रवेश एवं निकास द्वार पर सीसीटीवी कैमरे लगाना शामिल है।

नवलखा के खिलाफ मामला 31 दिसंबर 2017 को पुणे में आयोजित एल्गार परिषद में दिए गये कथित भड़काऊ भाषणों से संबंधित है। पुलिस का दावा है कि इसकी वजह से अगले दिन पुणे के बाहरी इलाके में स्थित कोरेगांव-भीमा युद्ध स्मारक के निकट हिंसा हुई।

पुणे पुलिस के अनुसार, प्रतिबंधित नक्सली समूह से जुड़े लोगों ने कार्यक्रम का आयोजन किया था।

भाषा सुभाष दिलीप

दिलीप

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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