आरे कॉलोनी में मेट्रो-3 कार शेड बनाने के सरकार के फैसले के बाद पर्यावरणविद नयी लड़ाई को तैयार |

आरे कॉलोनी में मेट्रो-3 कार शेड बनाने के सरकार के फैसले के बाद पर्यावरणविद नयी लड़ाई को तैयार

आरे कॉलोनी में मेट्रो-3 कार शेड बनाने के सरकार के फैसले के बाद पर्यावरणविद नयी लड़ाई को तैयार

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:31 PM IST, Published Date : July 3, 2022/11:30 am IST

मुंबई, तीन जुलाई (भाषा) पर्यावरणविद मेट्रो-3 कार शेड परियोजना को लेकर नए सिरे से लड़ाई के लिए तैयार हो रहे हैं क्योंकि महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाली नयी सरकार ने इसे मुंबई के आरे वन क्षेत्र में बनाने का प्रस्ताव दिया है। इस 1,800 एकड़ में फैले वन क्षेत्र को अक्सर शहर का ‘हरित फेफड़ा’ कहा जाता है।

आरे वन में तेंदुओं के अलावा जीव-जंतुओं की करीब 300 प्रजातियां पायी जाती हैं। यह उपनगर गोरेगांव में स्थित है तथा संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान से जुड़ा है।

पर्यावरण कार्यकर्ताओं के अनुसार, वन न केवल शहर के लोगों को ताजा हवा देते हैं बल्कि यह वन्यजीवों के लिए प्रमुख प्राकृतिक वास है और इनमें से कुछ तो स्थानिक प्रजातियां हैं। इस वन में करीब पांच लाख पेड़ हैं और कई नदियां और झीलें यहां से गुजरती हैं।

महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने हाल में राज्य के महाधिवक्ता और प्रशासन को कांजुर मार्ग के बजाय आरे कॉलोनी में कार शेड बनाने का प्रस्ताव सौंपने का निर्देश दिया। उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली पूर्ववर्ती सरकार ने कांजुर मार्ग को कार शेड के लिए चुना था।

मेट्रो-3 कार शेड को 2014 में तत्कालीन मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चह्वाण ने सबसे पहले आरे में बनाने का प्रस्ताव दिया था जिसे स्थानीय एनजीओ वनशक्ति ने बंबई उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी।

इसके बाद फडणवीस भी इसी प्रस्ताव पर आगे बढ़े। लेकिन हरित कार्यकर्ताओं ने कार शेड के लिए आरे में पेड़ काटे जाने का कड़ा विरोध किया।

शिवसेना-राकांपा-कांग्रेस गठबंधन के 2019 में सत्ता में आने के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने इस फैसले को पलट दिया और मेट्रो-3 कार शेड को कांजुर मार्ग पूर्वी उपनगर में बनाने का प्रस्ताव दिया, लेकिन यह फैसला कानूनी विवाद में फंस गया।

ठाकरे सरकार ने आरे को आरक्षित वन भी घोषित कर दिया था।

मुंबई महानगर क्षेत्रीय विकास प्राधिकरण (एमएआरडीए) के एक अधिकारी ने बताया कि करीब 900 दिन मुकदमों में बर्बाद हो गए और कांजुर मार्ग या आरे में कोई निर्माण नहीं हुआ है। उन्होंने कहा, ‘‘इसका साफ तौर पर मतलब है कि आरे में मेट्रो-3 कार शेड का निर्माण पूरा होने में कम से कम तीन साल का वक्त लगेगा।’’

निर्माण के कई चरणों में विभिन्न मेट्रो लाइनें हैं लेकिन मेट्रो-3 कार शेड अहम है क्योंकि मुख्यत: यह पश्चिमी उपनगर को मुंबई में दो प्रमुख औद्योगिक हब बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स और एसईईपीजेड से जोड़ती है।

आरे की जमीन पर कार शेड बनाने का पुरजोर विरोध कर रहे एनजीओ वनशक्ति के सदस्य डी स्टालिन ने कहा, ‘‘यह महज कार शेड नहीं है जो आरे की जमीन पर बन रही है। रियल एस्टेट कंपनियों के भी आने की प्रबल संभावना है। इससे आरे वन भूमि हमेशा के लिए बर्बाद हो जाएगी।’’

स्टालिन ने कहा कि आरे वन की महत्ता महज इतनी नहीं है कि यह ताजी हवा देता है, तापमान और प्रदूषण कम करता है तथा शहर में भूजल को बनाए रखने में मदद करता है।

उन्होंने कहा, ‘‘यह वन्यजीवों के लिए अहम प्राकृतिक वास भी है और कुछ स्थानिक प्रजातियों का भी घर है, जीवजंतु हर कहीं नहीं पाए जाते। यह दो नदियों, तीन झीलों और पांच लाख पेड़ों का भी घर है। इसे क्यों छेड़ना?’’

भाषा

गोला शोभना

शोभना

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)