मुंबई, नौ अक्टूबर (भाषा) मुंबई उच्च न्यायालय ने एक मूक-बधिर महिला से बलात्कार के आरोपी व्यक्ति को रिहा करने का आदेश दिया है, क्योंकि गिरफ्तारी के समय उचित प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया था।
हालांकि, न्यायमूर्ति सारंग कोतवाल और न्यायमूर्ति श्याम चांडक की पीठ ने अपराध को गंभीर बताते हुए पुलिस को उसे दोबारा गिरफ्तार करने की अनुमति दे दी है। पीठ ने कहा कि पुलिस की इस चूक के कारण पीड़िता को कोई नुकसान नहीं होना चाहिए।
मंगलवार को दिये आदेश में, अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि वह व्यक्ति को जमानत नहीं दे रही है।
अदालत ने मामले के दस्तावेजों का अवलोकन करने के बाद पाया कि आरोपी को मामले में औपचारिक रूप से गिरफ्तार किए जाने से पहले पूरे एक दिन पुलिस थाने में हिरासत में रखा गया था।
उच्च न्यायालय ने कहा कि समय-सीमा स्पष्ट रूप से दर्शाती है कि आरोपी को कानून के प्रावधानों का उल्लंघन करते हुए 24 घंटे की निर्धारित अवधि के भीतर अदालत में पेश नहीं किया गया।
उसने कहा, ‘‘इसलिए, यह माना जाएगा कि उसकी (आरोपी की) हिरासत अवैध थी और परिणामस्वरूप, उसे रिहा करना होगा।’’
हालांकि, पीठ ने कहा कि चूंकि अपराध काफी गंभीर था, इसलिए यह उचित नहीं होगा कि जांच एजेंसी की चूक के कारण पीड़िता को नुकसान उठाना पड़े।
अदालत ने व्यक्ति को जेल से रिहा करने का आदेश देते हुए कहा, ‘‘इसलिए, संतुलन बनाने के लिए, जांच एजेंसी को यह स्वतंत्रता दी जानी चाहिए कि अगर वे उचित समझे तो हिरासत में लिये गए व्यक्ति को दोबारा गिरफ्तार कर सकती है।’’
व्यक्ति की पत्नी ने उच्च न्यायालय का रुख किया और दावा किया था कि उसकी गिरफ्तारी अवैध है, क्योंकि उसे 24 घंटे के भीतर रिमांड के लिए सक्षम अदालत में पेश नहीं किया गया।
भाषा शफीक सुरेश
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