आंबेडकर की लेखनी प्रकाशित करने की महाराष्ट्र सरकार की स्थगित योजना का उच्च न्यायालय ने संज्ञान लिया |

आंबेडकर की लेखनी प्रकाशित करने की महाराष्ट्र सरकार की स्थगित योजना का उच्च न्यायालय ने संज्ञान लिया

आंबेडकर की लेखनी प्रकाशित करने की महाराष्ट्र सरकार की स्थगित योजना का उच्च न्यायालय ने संज्ञान लिया

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:52 PM IST, Published Date : December 1, 2021/11:09 pm IST

मुंबई, एक दिसंबर (भाषा) बंबई उच्च न्यायालय ने डॉ. बाबा साहेब आंबेडकर की लेखनी एवं भाषणों को प्रकाशित करने की महाराष्ट्र सरकार की धीमी गति से चल रही परियोजना का बुधवार को स्वत: संज्ञान लिया।

न्यायमूर्ति पी. बी. वराले और न्यायमूर्ति एस. एम. मोदक की खंडपीठ ने कहा कि यह दर्शाता है कि ‘‘मामले कितने दुखद’’ हैं। अदालत ने एक मराठी अखबार में छपी खबर का संज्ञान लिया जिसमें कहा गया कि सरकार आंबेडकर साहित्य के 21 खंडों की पर्याप्त प्रतियां छपवाने में विफल रही है।

खबर के मुताबिक, सरकार ने ‘‘डॉ. बाबा साहेब आंबेडकर की लेखनियों एवं भाषणों’’ की नौ लाख प्रतियां छपवाने की योजना बनाई थी और परियोजना के लिए इसने 5.45 करोड़ रुपये के कागज भी खरीदे। लेकिन पिछले चार वर्षों में केवल 33 हजार प्रतियां छपीं और शेष कागज धूल फांक रहे हैं।

अदालत ने कहा, ‘‘खबर मामले की दुखद स्थिति को उजागर करता है। इस बात में कोई विवाद नहीं है कि इन खंडों की न केवल शोधार्थियों में बल्कि आम जनता में भी काफी मांग है।’’

पीठ ने उच्च न्यायालय की रजिस्ट्री को निर्देश दिया कि इसे स्वत: संज्ञान लेकर जनहित याचिका के तौर पर पंजीकृत करें और मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए पेश करें जहां सभी जनहित याचिका पर सुनवाई होती है।

भाषा नीरज शफीक

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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