आतंकवादी नियमों को नहीं मानते तो उन्हें जवाब देने का भी कोई नियम नहीं हो सकता : जयशंकर

आतंकवादी नियमों को नहीं मानते तो उन्हें जवाब देने का भी कोई नियम नहीं हो सकता : जयशंकर

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  • Publish Date - April 13, 2024 / 01:31 PM IST,
    Updated On - April 13, 2024 / 01:31 PM IST

पुणे (महाराष्ट्र), 13 अप्रैल (भाषा) विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि भारत सीमा पार से होने वाले किसी भी आतंकवादी कृत्य का जवाब देने के लिए प्रतिबद्ध है और उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि चूंकि आतंकवादी नियमों के अनुसार नहीं चलते हैं तो उन्हें जवाब देने का भी कोई नियम नहीं हो सकता है।

जयशंकर ने 2008 में 26/11 मुंबई आतंकवादी हमलों का जवाब देने को लेकर संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि सरकार के स्तर पर काफी चर्चा के बाद उस वक्त कुछ भी सार्थक परिणाम नहीं निकला, क्योंकि यह माना गया कि पाकिस्तान पर हमला करने की कीमत उस पर हमला न करने से अधिक होगी।

जयशंकर ने शुक्रवार को यहां ‘भारत क्यों मायने रखता है: युवाओं के लिए अवसर और वैश्विक परिदृश्य में भागीदारी’ कार्यक्रम में युवाओं के साथ संवाद किया।

उन्होंने पूछा कि अगर अब ऐसा ही हमला होता है और उस पर प्रतिक्रिया नहीं दी जाती तो उसके बाद के हमलों को कैसे रोका जा सकता है।

विदेश मंत्री ने यह भी कहा कि 2014 के बाद से भारत की विदेश नीति में बदलाव आया है और आतंकवाद से निपटने का यही तरीका है।

यह पूछे जाने पर कि ऐसा कौन सा देश है, जिसके साथ भारत को संबंध बनाए रखना मुश्किल लगता है, तो उन्होंने कहा- पाकिस्तान।

उन्होंने कहा कि अगर भारत शुरुआत से ही इस बारे में स्पष्ट रुख रखता कि पाकिस्तान आतंकवाद में शामिल है, जिसे भारत किसी भी परिस्थिति में बर्दाश्त नहीं करेगा तो देश की नीति बिल्कुल भिन्न होती।

जयश्ंकर ने कहा, ‘‘वर्ष 2014 में मोदी जी आए। लेकिन यह समस्या (आतंकवाद) 2014 में शुरू नहीं हुई। यह मुंबई हमले के साथ शुरू नहीं हुई। यह 1947 में हुई। वर्ष 1947 में पहली बार आक्रमणकारी कश्मीर में आए, उन्होंने कश्मीर में हमला किया। यह आतंकवादी कृत्य था। वे गांव और शहर जला रहे थे। वे लोगों की हत्या कर रहे थे। ये लोग पाकिस्तान के उत्तर-पश्चिमी अग्रिम प्रांत के कबाइली थे। पाकिस्तान सेना ने उनका समर्थन किया। हमने सेना भेजी और कश्मीर का एकीकरण हुआ।’’

विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘जब भारतीय सेना अपनी कार्रवाई कर रही थी, हम ठहर गए और संयुक्त राष्ट्र चले गए। हमने आतंकवाद के बजाय कबाइली आक्रमणकारियों के कृत्यों का उल्लेख किया। अगर हमारा रुख शुरू से ही स्पष्ट होता कि पाकिस्तान आतंकवाद फैला रहा है तो बिल्कुल अलग नीति होती।’’

भाषा

गोला सुरेश

सुरेश