भारतीय नौसेना की तैनाती का गलवान घटना के बाद चीन के साथ वार्ता में प्रभाव पड़ा: वाइस एडमिरल सिंह

भारतीय नौसेना की तैनाती का गलवान घटना के बाद चीन के साथ वार्ता में प्रभाव पड़ा: वाइस एडमिरल सिंह

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  • Publish Date - December 3, 2021 / 07:22 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:25 PM IST

मुंबई, तीन दिसंबर (भाषा) गलवान घाटी संकट के दौरान भारतीय नौसेना समुद्री क्षेत्र में एक मजबूत बल थी और इसकी तैनाती का चीन के साथ भूमि सीमा वार्ता पर एक निश्चित प्रभाव पड़ा। यह बात एक शीर्ष अधिकारी ने शुक्रवार को कही।

पश्चिमी नौसेना कमान के फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ (एफओसी-इन-सी) वाइस एडमिरल अजेंद्र बहादुर सिंह ने यहां संवाददाताओं से कहा कि चीन और पाकिस्तान के बीच सैन्य सहयोग भी चिंता का विषय है।

उन्होंने कहा कि पाकिस्तान नौसेना में एक ‘‘उल्लेखनीय बदलाव’’ हुआ है। उन्होंने कहा कि इस्लामाबाद अपनी नौसैनिक परिसंपत्ति बढ़ा रहा है, जिसे समग्र रणनीति में ध्यान में रखना है।

उत्तरी सीमा पर तनाव के बाद पश्चिमी नौसेना कमान के लिए व्यवहार में बदलाव के बारे में पूछे जाने पर, वाइस एडमिरल सिंह ने कहा, ‘‘आप इससे अच्छी तरह से अवगत हैं कि गलवान संकट और उसके बाद क्या हुआ। मुझे लगता है कि ज्यादातर समय लोग इस संकट के समाधान में नौसेना की कुछ हद तक की भूमिका को भूल जाते हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मेरा मानना ​​है कि आपको यह सुनिश्चित करना होगा कि कोई भी व्यक्ति परेशान हो जाता है यदि उसकी कमजोरी पर ध्यान दिया जाता है।’’

पश्चिमी नौसेना कमान महत्वपूर्ण समुद्री मार्गों – फारस की खाड़ी, अदन की खाड़ी और हिंद महासागर क्षेत्र की देखरेख करती है – जिसका उपयोग चीन सहित कई देशों द्वारा व्यापार और ऊर्जा आपूर्ति के लिए किया जाता है।

उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि भारतीय नौसेना समुद्री क्षेत्र में एक मजबूत ताकत है और हमने यही करने की कोशिश की। हमने समुद्र में जो भी ऑपरेशन किए, उसका जमीनी सीमा पर एक निश्चित प्रभाव पड़ा और उसके बाद चर्चा हुई।’’

पिछले साल जून में पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ हिंसक झड़प के दौरान एक कर्नल सहित भारतीय सेना के बीस जवान शहीद हो गए थे।

गलवान संघर्ष के बाद नौसेना की भूमिका के बारे में विस्तार से पूछे जाने पर वाइस एडमिरल सिंह ने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा, ‘‘इसे रहने दीजिये। समय आने पर आपको पता चलेगा। हम बाद में (विस्तृत जानकारी के बारे में) बात कर सकते हैं। इनमें से कुछ (विवरण) गोपनीय हैं, इसलिए मैं यहां इस पर चर्चा नहीं करना चाहूंगा। लेकिन निश्चित रूप से, भारतीय नौसेना द्वारा समुद्री क्षेत्र में एक बड़ा प्रयास किया गया था, जिसका अन्य जगह होने वाले व्यवहार और बातचीत पर एक निश्चित प्रभाव पड़ा।’’

उन्होंने कहा कि चीन एक बड़ी नौसेना बना रहा है और भारतीय नौसेना इस (घटनाक्रम) के प्रति सचेत है। उन्होंने कहा, ‘‘वे तेज और बड़े जहाज बना रहे हैं और वे भविष्य में हिंद महासागर में होने वाले हैं।’’

बड़ी संख्या में चीनी जहाज हिंद महासागर क्षेत्र में संचालित होते हैं। इनमें युद्धपोत, अनुसंधान पोत, पानी के भीतर सर्वेक्षण करने वाले पोत शामिल हैं।

वाइस एडमिरल सिंह ने कहा कि भारतीय नौसेना हिंद महासागर क्षेत्र में मौजूद हर चीनी पोत की मौजूदगी की निगरानी कर रही है। उन्होंने कहा कि इस निगरानी के लिए काफी परिसंपत्ति की जरूरत है। उन्होंने कहा कि हाल ही में भारतीय नौसेना के लिए बोइंग द्वारा निर्मित पी-8आई लांग रेंज, बहु-मिशन समुद्री गश्ती विमान को शामिल करने से इस दिशा में मदद मिलेगी।

उन्होंने कहा कि पाकिस्तानी नौसेना के पास बहुत कम जहाज हैं, उनमें से ज्यादातर ‘‘पुराने लिये हुए’’ हैं और इसलिए उनकी क्षमताएं सीमित थीं। उन्होंने कहा, ‘‘अब पाकिस्तान की विचार प्रक्रिया में एक उल्लेखनीय बदलाव आया है।’’ उन्होंने कहा कि नये जहाजों के साथ, वे नये उपकरण और क्षमता की ओर जा रहे हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘हमें अपने संचालन, समग्र रणनीति में इन सभी चीजों को ध्यान में रखना होगा और भविष्य में इसका मुकाबला करने के लिए तत्पर रहना होगा।’’

भाषा अमित पवनेश

पवनेश