मुंबई, 21 जून (भाषा) महाराष्ट्र विधान परिषद में विधायक कोटे से 11 सीट के लिए होने वाले द्विवार्षिक चुनाव इस साल के अंत में होने वाले राज्य विधानसभा चुनाव से पहले सत्तारूढ़ महायुति और विपक्षी महा विकास आघाडी (एमवीए) के लिए एक महत्वपूर्ण परीक्षा होगी।
प्रदेश के 288 सदस्यीय सदन में 14 सीट रिक्त होने के चलते, निर्वाचकों की संख्या 274 है, तथा विजयी उम्मीदवार के लिए कोटा 23 है।
राज्य विधानमंडल के निचले सदन में एमवीए और महायुति के संख्या बल को देखते हुए, एमवीए को 11 में से दो और सत्तारूढ़ गठबंधन को नौ सीट मिल सकती हैं।
कांग्रेस एक उम्मीदवार को एमएलसी के रूप में निर्वाचित करा सकती है, जबकि शिवसेना (यूबीटी) और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) एक उम्मीदवार को एमएलसी के रूप में निर्वाचित करा सकती हैं। भाजपा पांच उम्मीदवार को एमएलसी के रूप में निर्वाचित करा सकती है, जबकि शेष चार को सहयोगी शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के लिए छोड़ सकती है।
चुनाव 12 जुलाई को होने हैं और नामांकन 25 जून से शुरू होंगे।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के 103 विधायक हैं, अजित पवार के नेतृत्व वाली राकांपा के 40, एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के 38 विधायक हैं। वहीं कांग्रेस के 37 विधायक हैं, शिवसेना (यूबीटी) के 15 और शरद पवार के नेतृत्व वाली राकांपा के 10 विधायक हैं।
राकांपा विधायकों अशोक पवार और नवाब मलिक ने दोनों में से किसी भी गुट के समर्थन में हलफनामा नहीं दिया है।
शिवसेना विधायकों संदीपन बुमरे और रवींद्र वायकर, राकांपा (एसपी) के नीलेश लंके तथा प्रतिभा धानोरकर, वर्षा गायकवाड़, बलवंत वानखड़े, प्रणीति शिंदे (सभी कांग्रेस से) हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए हैं।
कांग्रेस के अशोक चव्हाण और राजू परवे इस्तीफा दे चुके हैं। कांग्रेस के सुनील केदार को अयोग्य करार दिया जा चुका है।
वहीं भाजपा के गोवर्धन शर्मा, राजेंद्र पाटनी, कांग्रेस के पी एन पाटिल, शिवसेना के अनिल बाबर का निधन हो गया है।
राकांपा (एसपी) के एक नेता ने कहा कि विधान परिषद चुनाव निर्विरोध होने की संभावना है क्योंकि राजनीतिक दल उच्च सदन के लिए चुनाव का जोखिम नहीं उठाना चाहेंगे। शिवसेना (यूबीटी) ने घोषणा की है कि वह चुनाव पर रोक लगाने के लिए उच्चतम न्यायालय का रुख करेगी क्योंकि शिवसेना और राकांपा के कई विधायक अयोग्यता की कार्यवाही का सामना कर रहे हैं। वहीं भाजपा के एक नेता ने कहा कि चुनाव तभी टाला जा सकता है जब 12वां उम्मीदवार न हो।
राकांपा (एसपी) ने पीजेंट्स एंड वर्कर्स पार्टी (पीडब्ल्यूपी) के जयंत पाटिल को अपना समर्थन देने की घोषणा की है। कांग्रेस 25 जून को अपनी बैठक में यह तय करेगी कि मैदान में एक उम्मीदवार को उतारा जाए या दो को।
सदन के संख्या बल के अनुसार, भाजपा के 105 विधायक, कांग्रेस के 45, (अविभाजित) राकांपा के 53 और (अविभाजित) शिवसेना के 56 विधायक थे।
बहुजन विकास अघाडी (बीवीए) के तीन विधायक हैं, समाजवादी पार्टी के दो, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के दो, प्रहार जनशक्ति पार्टी के दो, महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस), मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, स्वाभिमानी पक्ष, राष्ट्रीय समाज पक्ष (आरएसपी), जनसुराज्य शक्ति पार्टी, क्रांतिकारी शेतकरी पक्ष और पीडब्ल्यूपी के एक-एक, जबकि 13 निर्दलीय हैं।
द्विवार्षिक चुनाव कराना इसलिए जरूरी हैं क्योंकि 11 विधान पार्षदों का कार्यकाल समाप्त हो रहा है। ये विधायक हैं मनीषा कायंदे (शिवसेना), अनिल परब (शिवसेना-यूबीटी), विजय गिरकर, निलय नाइक, रमेश पाटिल, रामराव पाटिल (भाजपा), अब्दुल्ला दुर्रानी (राकांपा), वजाहत मिर्जा और प्रज्ञा सातव (कांग्रेस), महादेव जानकर (आरएसपी) और जयंत पाटिल (पीडब्ल्यूपी)।
भाषा अमित रंजन
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