महर्षि वाल्मीकि ने संसार के दुखों को दूर करने के लिए रामायण की रचना की: आरएसएस प्रमुख

महर्षि वाल्मीकि ने संसार के दुखों को दूर करने के लिए रामायण की रचना की: आरएसएस प्रमुख

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  • Publish Date - October 8, 2025 / 09:56 PM IST,
    Updated On - October 8, 2025 / 09:56 PM IST

नागपुर, आठ अक्टूबर (भाषा) राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि महर्षि वाल्मीकि ने संसार के दुख को दूर करने के उद्देश्य से रामायण की रचना की थी।

उन्होंने कहा कि भारतीयों को इस संस्कृति व परंपरा को मानवता के प्रति अपनी जिम्मेदारी के रूप में आगे ले जाना चाहिए।

भागवत ने कहा कि भगवान राम तो सदैव से हैं, लेकिन महर्षि वाल्मीकि ने ही उन्हें हर घर तक पहुंचाया।

आरएसएस प्रमुख मंगलवार को नागपुर में वाल्मीकि समाज सेवा मंडल द्वारा आयोजित महर्षि वाल्मीकि जयंती समारोह को संबोधित कर रहे थे।

विश्व संवाद केंद्र (आरएसएस की प्रचार शाखा) ने विज्ञप्ति जारी कर बताया कि भागवत ने महर्षि वाल्मीकि की महानता का उल्लेख करते हुए कहा, “वह ही भगवान राम को हमारे जीवन में लाए।”

उन्होंने कहा कि वाल्मीकि ने रामायण इसलिए लिखी और लोगों तक पहुंचाई क्योंकि उनके हृदय में करुणा तथा सबके प्रति अपनापन था।

भागवत ने कहा, “उन्होंने यह इसलिए किया ताकि संसार का दुख दूर हो सके।”

उन्होंने सभी से इस विचार पर मनन करने का आग्रह किया।

भागवत ने कहा कि भगवान राम हमें सिखाते हैं कि जीवन कैसे जिया जाए।

उन्होंने कहा, “रामायण हमें बताती है कि परिवार के प्रत्येक सदस्य को एक-दूसरे के साथ कैसा व्यवहार करना चाहिए, एक आदर्श सेवक कैसा होना चाहिए, और एक आदर्श मंत्री राजा का किस तरह मार्गदर्शन करे। श्रीराम इन सभी गुणों का उदाहरण हैं और उनके भक्त हनुमान जी इसका प्रमाण हैं।”

संघ प्रमुख ने कहा कि रामायण में भक्ति के असंख्य उदाहरण हैं जैसे विभीषण और सुग्रीव का।

भागवत ने कहा, “वाल्मीकि की रामायण हर व्यक्ति का आचरण के मामले में मार्गदर्शन करती है। उन्होंने केवल एक कथा नहीं सुनाई, बल्कि जीवन के लिए एक शाश्वत संदेश दिया।”

उन्होंने कहा कि भारत अपनी आध्यात्मिकता, सद्भावना व सदाचार के लिए जाना जाता है और यह विरासत रामकथा से ही मिली है।

उन्होंने कहा, “हमारे मन में पूरी दुनिया के प्रति जो सद्भावना है, वह रामकथा के कारण है, और इसकी जड़ महर्षि वाल्मीकि की करुणा व सद्भभावना में है।”

उन्होंने कहा, “मानवता के प्रति हमारी जिम्मेदारी है। क्योंकि हम भारतीय हैं। यही हमारी संस्कृति और परंपरा है, और इसे आगे ले जाना हमारा कर्तव्य है।”

भाषा जोहेब माधव

माधव