मराठा आरक्षण: सरकारी प्रतिनिधिमंडल के साथ वार्ता विफल, जरांगे विरोध प्रदर्शन जारी रखने पर अड़े

मराठा आरक्षण: सरकारी प्रतिनिधिमंडल के साथ वार्ता विफल, जरांगे विरोध प्रदर्शन जारी रखने पर अड़े

मराठा आरक्षण: सरकारी प्रतिनिधिमंडल के साथ वार्ता विफल, जरांगे विरोध प्रदर्शन जारी रखने पर अड़े
Modified Date: August 30, 2025 / 06:05 pm IST
Published Date: August 30, 2025 6:05 pm IST

मुंबई, 30 अगस्त (भाषा) मराठा आरक्षण आंदोलन के नेता मनोज जरांगे और सरकार द्वारा नियुक्त प्रतिनिधिमंडल के बीच शनिवार को मुंबई में हुई बातचीत बेनतीजा रही जिससे कोई प्रगति नहीं दिखी।

जारंगे ने सेवानिवृत्त न्यायाधीश संदीप शिंदे को बातचीत के लिए भेजने पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की भी आलोचना की। सेवानिवृत्त न्यायाधीश शिंदे मराठों को आरक्षण देने की प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए राज्य सरकार द्वारा गठित समिति के अध्यक्ष हैं।

दक्षिण मुंबई के आजाद मैदान में दो दिन से जारी अपनी भूख हड़ताल जारी रखने का संकल्प लेते हुए जरांगे ने कहा, ‘‘मराठों को आरक्षण देने की घोषणा करने वाला सरकारी प्रस्ताव (जीआर) जारी करना न्यायमूर्ति शिंदे का काम नहीं है।’’

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सरकार ने मराठा नेता से बातचीत के लिए दिन में ही प्रतिनिधिमंडल भेजा था, जिन्होंने शुक्रवार को आजाद मैदान में विरोध प्रदर्शन का यह नया दौर शुरू किया है।

जरांगे ओबीसी श्रेणी के तहत मराठों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण की मांग कर रहे हैं। वह चाहते हैं कि सभी मराठों को ओबीसी के तहत आने वाली कृषि प्रधान जाति कुनबी के रूप में मान्यता दी जाए ताकि समुदाय के लोगों को सरकारी नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण मिल सके।

उन्होंने कहा कि यह विरोध प्रदर्शन आरक्षण पाने के लिए समुदाय की ‘अंतिम लड़ाई’ है। सरकारी प्रतिनिधिमंडल ने दोपहर में जरांगे से मुलाकात की।

जरांगे ने कहा कि सेवानिवृत्त न्यायाधीश शिंदे की अध्यक्षता वाली समिति ने पिछले 13 महीनों से इस मुद्दे से संबंधित राजपत्रों का अध्ययन किया और अब समय आ गया है कि समिति अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करे ताकि मराठों को कुनबी का दर्जा मिलने का मार्ग प्रशस्त हो।

जरांगे ने कहा, ‘‘मराठवाड़ा में मराठों को कुनबी घोषित किया जाना चाहिए और उन्हें आरक्षण दिया जाना चाहिए। इसके लिए हैदराबाद और सतारा राजपत्रों को कानून का स्वरूप दिया जाना चाहिए।’’

इसके जवाब में सेवानिवृत्त न्यायाधीश शिंदे ने कहा कि उन्हें ऐसी रिपोर्ट देने का अधिकार नहीं है। शिंदे ने कहा कि यह पिछड़ा वर्ग आयोग का काम है।

उन्होंने कहा, ‘‘जाति प्रमाण पत्र व्यक्तियों को दिया जाता है, पूरे समुदाय को नहीं।’’ शिंदे और जरांगे के बीच पूरी बातचीत का मराठी समाचार चैनलों पर सीधा प्रसारण किया गया।

बैठक के बाद पत्रकारों से बातचीत में जरांगे ने सेवानिवृत्त न्यायाधीश शिंदे को उनसे बातचीत के लिए नियुक्त करने को लेकर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की कड़ी आलोचना की।

उन्होंने कहा, ‘‘मराठा और कुनबी को एक समान घोषित करने वाला सरकारी प्रस्ताव (जीआर) जारी करना न्यायमूर्ति शिंदे का काम नहीं है। न्यायमूर्ति शिंदे को यहां भेजना सरकार, राजभवन और राज्य का अपमान है।’’

शिंदे ने संवाददाताओं को बताया कि कैबिनेट ने हैदराबाद राजपत्र को सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है। उन्होंने कहा, ‘‘मैं जरांगे के साथ अपनी बातचीत का विवरण मंत्रिमंडल की उपसमिति के पास भेजूंगा।’’

न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) संदीप शिंदे, मराठा समुदाय के सदस्यों को ‘कुनबी’ जाति का प्रमाण पत्र जारी करने की पद्धति तय करने के लिए तत्कालीन एकनाथ शिंदे सरकार द्वारा सितंबर 2023 में गठित समिति के अध्यक्ष हैं।

समिति को पूर्ववर्ती हैदराबाद और बंबई प्रांत के अभिलेखों का अध्ययन करने के लिए कहा गया था, जहां मराठों का उल्लेख कभी-कभी कुनबी के रूप में किया गया है।

सुबह पत्रकारों से बात करते हुए जरांगे ने सरकार से यह गलतफहमी नहीं फैलाने को कहा कि मराठा अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) कोटे से आरक्षण की मांग कर रहे हैं।

जरांगे ने कहा, ‘‘हम सिर्फ यह मांग कर रहे हैं कि हमें कुनबी श्रेणी के तहत पात्रता के आधार पर कोटे में हमारा वाजिब हिस्सा मिले… हम राजनीति में नहीं पड़ना चाहते। हम केवल आरक्षण चाहते हैं। सरकार को मराठा समुदाय के धैर्य की परीक्षा नहीं लेनी चाहिए।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हम ओबीसी कोटा कम करने की मांग नहीं कर रहे हैं। गलतफहमी नहीं फैलाएं।’’

उन्होंने मुख्यमंत्री फडणवीस से गरीब मराठों का अपमान न करने का आग्रह किया और उन पर राज्य में अस्थिरता उत्पन्न करने और माहौल बिगाड़ने की कोशिश करने का आरोप लगाया।

सरकारी प्रतिनिधिमंडल के जारांगे से मिलने से पहले, राज्य मंत्री राधाकृष्ण विखे पाटिल ने कहा कि मराठा नेता द्वारा उठाए गए मुद्दों पर मंत्रिमंडल की उपसमिति में विस्तार से चर्चा की गई और सरकार उन्हें सकारात्मक रूप से हल करने के लिए प्रतिबद्ध है।

आजाद मैदान में आंदोलन के लिए एकत्र हुए प्रदर्शनकारियों ने विरोध स्थल पर बुनियादी सुविधाओं की कमी की शिकायत की, जो छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस (सीएसएमटी) और बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) मुख्यालय के करीब स्थित है।

आरोप का जवाब देते हुए मंत्री विखे पाटिल ने कहा, ‘‘हमने प्रदर्शनकारियों के लिए पानी की कमी और स्वच्छता के अभाव से जुड़ी शिकायतों पर मुख्यमंत्री फडणवीस से चर्चा की है और समस्याओं का समाधान किया जा रहा है।’’

कई प्रदर्शनकारियों ने भोजन की किल्लत की शिकायत की और आरोप लगाया कि सरकार ने प्रदर्शन स्थल के आसपास की दुकानें बंद करा दी थीं। उन्होंने यह भी दावा किया कि मैदान में उनकी सुरक्षा और स्वच्छता सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त सुविधाएं नहीं थीं।

आरोपों के बीच बीएमसी ने शनिवार दोपहर को दावा किया कि उसने आजाद मैदान में दो ट्रक बजरी डाल दी है और जरूरी सुविधाएं मुहैया कराई गई हैं। इसने कहा कि विरोध-प्रदर्शन स्थल पर जमा कीचड़ साफ कर दिया गया है और दो ट्रक बजरी बिछा दी गई है।

भाषा संतोष माधव

माधव


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