महाराष्ट्र में शेष दो चरण के मतदान से पहले प्याज की पैदावार वाले क्षेत्र चर्चा के केंद्र में

महाराष्ट्र में शेष दो चरण के मतदान से पहले प्याज की पैदावार वाले क्षेत्र चर्चा के केंद्र में

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  • Publish Date - May 9, 2024 / 07:42 PM IST,
    Updated On - May 9, 2024 / 07:42 PM IST

नासिक, नौ मई (भाषा) लोकसभा चुनाव में चौथे और पांचवें चरण के मतदान से पहले महाराष्ट्र में प्याज की पैदावार वाले क्षेत्रों में किसानों का संकट चर्चा के केंद्र में आ गया है। प्याज की खेती वाले इलाकों में राज्य के उत्तरी और पश्चिमी क्षेत्रों के 24 संसदीय क्षेत्र हैं।

राज्य के 13 संसदीय क्षेत्रों में प्याज उत्पादक 22 जिले हैं, जहां प्याज की खेती करने वाले किसान इस कृषि उपज पर केंद्र सरकार के कदमों से प्रभावित हुए हैं। इनमें से सोलापुर, लातूर, बारामती और उस्मानाबाद सीट पर तीसरे चरण में सात मई को मतदान हुआ।

प्याज की खेती करने वाले किसानों के एक प्रतिनिधि ने कहा कि सरकार के साथ-साथ विपक्षी दलों ने भी उनकी समस्याओं को कम करने के लिए कोई प्रयास नहीं किया।

महाराष्ट्र राज्य प्याज उत्पादक संघ के संस्थापक-अध्यक्ष भरत दिघोले ने बृहस्पतिवार को ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘प्याज उत्पादकों के बीच जबरदस्त नाराजगी है और वे 13 एवं 20 मई को ईवीएम (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) के माध्यम से अपना गुस्सा निकालेंगे।’’

राज्य की 48 लोकसभा सीट पर पांच चरणों में चुनाव हो रहे हैं, जिनमें से तीन चरण के मतदान संपन्न हो चुके हैं। शेष दो चरण का मतदान 13 मई और 20 मई को होना है।

इससे पहले, केंद्र ने घरेलू बाजार में प्याज की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए इसके निर्यात पर 14 प्रतिशत शुल्क लगाया था। किसानों के आंदोलन के बाद, केंद्र ने शुल्क हटा लिया और न्यूनतम निर्यात मूल्य 850 अमेरिकी डॉलर प्रति टन तय किया। हालांकि, किसानों का दावा है कि इससे उन्हें कोई फायदा नहीं हुआ।

पिछले साल दिसंबर में केंद्र ने प्याज के निर्यात पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया था। सरकार ने चार मई को प्रतिबंध हटा लिया, लेकिन 40 प्रतिशत निर्यात शुल्क लगाने के अलावा न्यूनतम निर्यात मूल्य 550 अमेरिकी डॉलर प्रति टन निर्धारित किया।

धुले, डिंडोरी, अहमदनगर, शिरडी, शिरूर, बीड, मावल, नंदुरबार और नासिक उन अन्य निर्वाचन क्षेत्रों में शामिल हैं जहां प्याज उत्पादक प्रभावित हुए हैं। इन सीट पर बाकी दो चरण में मतदान होना है।

नासिक के एक कृषि विशेषज्ञ ने कहा कि केंद्र की नीतियों के कारण किसानों का खर्च दोगुना बढ़ गया और उनकी आय आधी हो गई। उन्होंने कहा कि राज्य में सूखे जैसे हालात हैं और ‘‘ये अच्छे संकेत नहीं हैं।’’

दिघोले ने कहा कि महाराष्ट्र देश में प्याज का सबसे बड़ा उत्पादक है और राष्ट्रीय उत्पादन में इसकी लगभग 40 प्रतिशत हिस्सेदारी है।

नासिक में, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राजाराम पंगावने ने दावा किया, ‘‘किसान विरोधी नीतियों के लिए मौजूदा सरकार के खिलाफ ग्रामीण क्षेत्रों में रोष साफ नजर आ रहा है।’’

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के नेता और महाराष्ट्र के खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री छगन भुजबल ने स्वीकार किया कि प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध से किसान परेशान हैं। उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन अब चूंकि इसे हटा लिया गया है, तो इससे उन्हें राहत मिलेगी। हम अपने चुनाव प्रचार अभियान में इसे रेखांकित कर रहे हैं।’’

भाषा आशीष सुभाष

सुभाष