छत्तीसगढ़ के दूर दराज़ के गांव के लोग इलाज के लिए पड़ोसी महाराष्ट्र के गढ़चिरोली आते हैं |

छत्तीसगढ़ के दूर दराज़ के गांव के लोग इलाज के लिए पड़ोसी महाराष्ट्र के गढ़चिरोली आते हैं

छत्तीसगढ़ के दूर दराज़ के गांव के लोग इलाज के लिए पड़ोसी महाराष्ट्र के गढ़चिरोली आते हैं

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:44 PM IST, Published Date : August 14, 2022/6:39 pm IST

नागपुर, 14 अगस्त (भाषा) महाराष्ट्र से सटे छत्तीसगढ़ के इलाकों के लोग पड़ोसी राज्य के गढ़चिरोली के अस्पताल और स्वास्थ्य केंद्रों पर इलाज कराने के लिए पहुंच रहे हैं। वे मरीजों को चारपाई पर डडालकर कीचड़ भरे और पहाड़ी इलाकों से गुज़रते हुए आते हैं।

गढ़चिरोली के भामरागढ़ तालुका के स्वास्थ्य अधिकारी डॉ मिलिंद मेशराम ने दावा किया कि सीमा पर स्थित छत्तीसगढ़ के गांवों में उचित चिकित्सा सुविधाओं की कमी के कारण पड़ोसी राज्य से मरीज महाराष्ट्र आ रहे हैं।

उन्होंने कहा कि गढ़चिरोली के पीएचसी और अस्पतालों में छत्तीसगढ़ से हर महीने 20-30 मरीज़ आते हैं और उनकी संख्या जुलाई से दिसंबर के बीच बढ़कर 50 हो जाती है, क्योंकि इस दौरान मलेरिया के मामले ज्यादा मिलते हैं।

इस महीने की शुरुआत में, छत्तीसगढ़ के एक दूरदराज के गांव की मलेरिया से पीड़ित एक महिला को गढ़चिरोली के एक पीएचसी में लाया गया था।

महिला के परिवार वाले उसे चारपाई पर लिटाकर कंधे पर उठाकर लाए थे।

पीएचसी ने उसके लिए वहां पर एक एम्बुलेंस भेजी थी जहां से सड़क संपर्क उपलब्ध है।

महिला को लाहिड़ी पीएचसी में मलेरिया, बदन दर्द और टांगों में लकवे के लक्षणों के साथ भर्ती कराया गया था।

बाद में उसे आगे के इलाज के लिए हेमलकासा के लोक बिरादरी प्रकल्प अस्पताल में स्थानांतरित कर दिया गया था, लेकिन उसकी हालत बिगड़ने लगी और कुछ दिनों बाद उसकी मौत हो गई।

पिछले आठ वर्षों से इस क्षेत्र में चिकित्सा अधिकारी के रूप में काम कर रहे डॉ मेशराम ने कहा कि 60 से 80 किलोमीटर के दायरे में महाराष्ट्र की सीमा से लगे छत्तीसगढ़ के कुछ गांवों में स्वास्थ्य सेवाओं की कमी है।

उन्होंने कहा, “ आपात स्थिति और अन्य चिकित्सा सेवाओं के लिए छत्तीसगढ़ के मेट्टावाड़ा और नारायणपुर के आदिवासी ग्रामीण इलाज के लिए गढ़चिरोली आना पसंद करते हैं।”

मेशराम ने कहा कि उचित सड़क संपर्क की कमी और वन क्षेत्र होने के चलते, उन्हें पीएचसी तक पहुंचने के लिए पैदल चलना पड़ता है।

भाषा नोमान नरेश

नरेश

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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