आइसक्रीम में मांस का टुकड़ा मामलाः पुलिस ने उस कर्मी का पता लगाया जिसकी उंगली कटी थी

आइसक्रीम में मांस का टुकड़ा मामलाः पुलिस ने उस कर्मी का पता लगाया जिसकी उंगली कटी थी

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  • Publish Date - June 19, 2024 / 09:14 PM IST,
    Updated On - June 19, 2024 / 09:14 PM IST

मुंबई, 19 जून (भाषा) मुंबई पुलिस ने पुणे जिले में आइसक्रीम में नाखून के साथ मांस का टुकड़ा मिलने के मामले में आइसक्रीम फैक्टरी के उस कर्मचारी की पहचान की है, जिसकी उंगली काम के दौरान कट गई थी। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।

उन्होंने बताया कि कर्मचारी की पहचान पुणे के 24 वर्षीय ओमकार पोटे के रूप में हुई है, जिसकी उंगली का एक हिस्सा 11 मई को इंदापुर में फॉर्च्यून डेयरी फैक्टरी में आइसक्रीम कोन भरते समय कट गया था।

अधिकारियों ने बुधवार को कहा कि पुलिस ने पोटे के डीएनए नमूने एकत्र किए हैं और उन्हें फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला में भेज दिया है।

मुंबई के एक एमबीबीएस डॉक्टर ने 12 जून को ऑनलाइन ऑर्डर पर आइसक्रीम ‘कोन’ मंगाई थी, जिसमें नाखून के साथ मानव मांस का टुकड़ा मिला था।

डॉक्टर की शिकायत के बाद, यम्मो आइसक्रीम कंपनी के अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया और आइसक्रीम कोन में पाए गए मांस के टुकड़े को कलिना में फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला में भेजा गया था।

जांच के दौरान मलाड थाने की एक टीम इंदापुर में आइसक्रीम फैक्ट्री पहुंची, जहां उसे पोटे के बारे में पता चला।

एक अधिकारी ने कहा, ‘पुलिस ने पोटे के डीएनए नमूने एकत्र किए हैं और उन्हें यह पता लगाने के लिए कलिना में फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला में भेजा है कि आइसक्रीम में पाया गया उंगली का हिस्सा उसका (पोटे का) था या नहीं।’

उन्होंने कहा कि पुलिस फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला से रिपोर्ट का इंतजार कर रही है। फॉर्च्यून डेयरी के मालिक मनोज तुपे ने कहा कि वह जांच में सहयोग कर रहे हैं और डीएनए रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं।

तुपे ने उल्लेख किया कि उनकी फैक्टरी घटना के लिए अकेले जिम्मेदार नहीं है, क्योंकि मुख्य कंपनी ने आइसक्रीम कोन भरने का काम गाजियाबाद और जयपुर समेत कई इकाइयों से करवाया था।

उन्होंने बताया कि अधिकारियों ने जांच के लिए इन स्थानों पर टीमें भेजी हैं।

उन्होंने दावा किया, ‘अधिकारियों ने गाजियाबाद और जयपुर की इकाइयों में टीमें भेजी हैं ताकि यह पता लगाया जा सके कि क्या उस विशेष तिथि पर भी ऐसी ही कोई घटना हुई थी।’

भाषा जोहेब पवनेश

पवनेश