पीएमएलए मामला: नागपुर के वकील सतीश उके, भाई को जमानत से अदालत का इनकार |

पीएमएलए मामला: नागपुर के वकील सतीश उके, भाई को जमानत से अदालत का इनकार

पीएमएलए मामला: नागपुर के वकील सतीश उके, भाई को जमानत से अदालत का इनकार

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:31 PM IST, Published Date : October 1, 2022/8:57 pm IST

मुंबई, एक अक्टूबर (भाषा) धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) की एक विशेष अदालत ने शनिवार को धनशोधन से संबंधित एक मामले में नागपुर के वकील सतीश उके और उनके भाई को जमानत देने से इनकार कर दिया और कहा कि दोनों आरोपियों के संबंधित मामले में गहराई तक शामिल होने की आशंका है।

विशेष पीएमएलए न्यायाधीश एम. जी. देशपांडे ने दोनों की जमानत याचिका खारिज कर दी।

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कथित तौर पर जाली दस्तावेजों के आधार पर 1.5 एकड़ भूखंड की खरीद के संबंध में नागपुर में अजनी पुलिस द्वारा दर्ज दो प्राथमिकियों के आधार पर उके भाइयों को इस साल अप्रैल में पीएमएलए के तहत गिरफ्तार किया था।

ईडी ने दोनों भाइयों की गिरफ्तारी के वक्त कहा था कि अब तक की गई जांच से, यह स्पष्ट हो गया कि सतीश उके और प्रदीप उके ने धोखाधड़ी और जालसाजी का सहारा लिया और चंद्रशेखर नामदेवराव माटे एवं खैरुनिसा के नाम पर नकली पीओए (पॉवर ऑफ अटॉर्नी) बनाया तथा मूल मालिकों से अवैध रूप से जमीन हड़प ली।

अपनी जमानत याचिकाओं में दोनों भाइयों ने दलील दी थी कि उनके खिलाफ पीएमएल अधिनियम के तहत कोई प्रथम दृष्टया मामला नहीं बनता है क्योंकि इसमें अपराध की आय या अवैध/ काले धन की कोई संलिप्तता नहीं थी।

याचिका में ईडी पर गिरफ्तारी की निर्धारित प्रक्रियाओं का पालन न करते हुए भौतिक तथ्यों और दस्तावेजों को छिपाने का भी आरोप लगाया गया है।

हालांकि, अदालत ने कहा कि पीएमएलए के प्रावधानों के तहत दर्ज किए गए विभिन्न दस्तावेजों और बयानों से प्रथम दृष्टया संकेत मिलता है कि दोनों आरोपियों ने जाली और फर्जी मुख्तारनामा (पॉवर ऑफ अटॉर्नी) बनाया था।

अदालत ने कहा कि दोनों आरोपियों ने फर्जी और जाली दस्तावेजों की मदद से जमीन हड़प ली और बाद में नकदी लेकर उन्हें बेच दिया, जो अपराध की आय के बराबर है।

इसमें कहा गया है कि दोनों आरोपियों ने बहुत समझदारी से किसी भी मौद्रिक लेनदेन का कोई सबूत नहीं छोड़ा है।

न्यायाधीश ने कहा कि दोनों प्रभावशाली व्यक्ति हैं और इस बात की पूरी संभावना है कि जमानत पर रिहा होने पर वे ईडी के मामले को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचाएंगे।

संयोग से, सतीश उके ने महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस सहित भारतीय जनता पार्टी के विभिन्न नेताओं के खिलाफ अदालतों में कई याचिकाएं दायर की हैं।

उनकी एक अर्जी में फडणवीस के चुनावी हलफनामे में आपराधिक मामलों का ‘खुलासा न करने’ के लिए आपराधिक कार्रवाई की मांग की गई थी।

उन्होंने बंबई उच्च न्यायालय की नागपुर पीठ में याचिका दायर कर सीबीआई न्यायाधीश बी. एच. लोया की ‘संदिग्ध और असामयिक’ मौत की पुलिस जांच की मांग की थी।

भाषा सुरेश अविनाश

अविनाश

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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