लापिद साबित करें कि ‘द कश्मीर फाइल्स’ की एक भी घटना झूठी थी तो फिल्म बनाना छोड़ दूंगा: अग्निहोत्री |

लापिद साबित करें कि ‘द कश्मीर फाइल्स’ की एक भी घटना झूठी थी तो फिल्म बनाना छोड़ दूंगा: अग्निहोत्री

लापिद साबित करें कि ‘द कश्मीर फाइल्स’ की एक भी घटना झूठी थी तो फिल्म बनाना छोड़ दूंगा: अग्निहोत्री

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:01 PM IST, Published Date : November 29, 2022/7:15 pm IST

मुंबई, 29 नवंबर (भाषा) ‘द कश्मीर फाइल्स’ के निर्देशक विवेक अग्निहोत्री ने मंगलवार को कहा कि अगर इजराइली फिल्मकार नदव लापिद समेत विद्वान लोग यह साबित कर दें कि फिल्म में दिखाई गयी घटनाएं गलत हैं तो वह फिल्म बनाना छोड़ देंगे।

गोवा में आयोजित 53वें भारत अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (इफ्फी) में जूरी प्रमुख रहे इज़राइली फिल्मकार नदव लापिद ने हिंदी फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ को सोमवार को ‘दुष्प्रचार करने वाली‘ और ‘भद्दी’ फिल्म बताया था।

एक दिन बाद अग्निहोत्री ने अपने विरोधियों को चुनौती देते हुए कहा कि वह लड़ते रहेंगे।

उन्होंने अपने आधिकारिक ट्विटर पेज पर वीडियो के माध्यम से जारी बयान में कहा, ‘‘मैं दुनिया के विद्वानों और ‘शहरी नक्सलियों’ के साथ ही इजराइल से आये महान फिल्मकार को चुनौती देता हूं कि वे यदि साबित कर देंगे कि ‘द कश्मीर फाइल्स’ का एक भी दृश्य, संवाद या घटनाक्रम पूरी तरह सच नहीं है तो मैं फिल्म बनाना छोड़ दूंगा। मैं झुकने वाला नहीं हूं। आप जितने फतवे चाहें, जारी करें, लेकिन मैं लड़ता रहूंगा।’’

इफ्फी के समापन समारोह में लापिद के बयान को ‘सत्ता विरोधी’ आवाज के तौर पर भी पेश किया जा रहा है।

अग्निहोत्री ने मंगलवार को सुबह एक व्यंग्यात्मक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा था, ‘‘सच सबसे खतरनाक चीज है’’ क्योंकि यह लोगों से झूठ बुलवा सकता है।

शाम को उन्होंने अपने वीडियो में कहा कि ‘‘भारत को बांटने की इच्छा रखने वाले गिरोहों द्वारा हमले उनके लिए कोई नयी बात नहीं है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘आतंकवादी संगठनों, शहरी नक्सलियों और ‘टुकड़े-टुकड़े’ गिरोह द्वारा देश को बांटने के लिए अक्सर ऐसी चीजें बोली जाती हैं। हैरानी की बात तो यह है कि भारत सरकार द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम को किस तरह आतंकवादियों के विमर्श का समर्थन करने के लिए इस्तेमाल किया गया जो कश्मीर का भारत से विघटन चाहते हैं और भारत में रहने वाले कितने भारतीयों ने देश के खिलाफ इसका इस्तेमाल किया है?’’

‘द ताशकंत फाइल्स’ (2019) के लिए सर्वश्रेष्ठ स्क्रीनप्ले और संवाद का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीतने वाले फिल्म निर्देशक ने कहा कि ‘द कश्मीर फाइल्स’ के शोध के लिए 700 लोगों का साक्षात्कार किया गया था।

उन्होंने कहा, ‘‘क्या ये 700 लोग जिनके परिजनों को मार डाला गया और सामूहिक दुष्कर्म किया गया था, दुष्प्रचार और अश्लीलता फैला रहे थे? जो स्थान हिन्दू-भूमि (हिन्दू बहुसंख्यक) हुआ करता था, वहाँ कोई हिन्दू नहीं रहता। आज भी आपकी आंखों के सामने हिंदुओं को हत्या के लिए चुना जाता है। अपने जुर्म कबूल करने वाला यासीन मलिक आज जेल में सड़ रहा है। यह दुष्प्रचार या कोई भद्दी बात है?’’

‘द कश्मीर फाइल्स’ 11 मार्च को सिनेमाघरों में रिलीज हुई थी। यह इफ्फी के ‘इंडियन पनोरमा सेक्शन’ का हिस्सा थी और इसका 22 नवंबर को प्रदर्शन किया गया था।

इस फिल्म के लेखक और निर्देशक विवेक अग्निहोत्री हैं। इसके निर्माता ज़ी स्टूडियोज हैं। फिल्म पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों द्वारा कश्मीरी पंडितों की हत्या के बाद समुदाय के कश्मीर से पलायन पर आधारित है।

इसमें अभिनेता अनुपम खेर, दर्शन कुमार, मिथुन चक्रवर्ती और पल्लवी जोशी समेत अन्य प्रमुख किरदारों में हैं।

अग्निहोत्री की अभिनेत्री पत्नी पल्लवी जोशी ने एक इंस्टाग्राम पोस्ट में लापिद को एक नरसंहार को नहीं मानने वाला कहा। उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि इफ्फी जैसे रचनात्मक मंच का इस्तेमाल ‘‘कश्मीर के बारे में एक पुराने, झूठे और फीके पड़ चुके नकारात्मक मुद्दे को जिंदा रखने के राजनीतिक एजेंडे’’ के लिए किया गया।

उन्होंने कहा, ‘‘दशकों तक अंतरराष्ट्रीय समुदाय कश्मीरी पंडित समुदाय की पीड़ा के लिए चुप रहा। तीन दशक बाद भारतीय फिल्म उद्योग ने अंतत: माना कि उसे भारत की कहानी सच्चाई से और उद्देश्यपूर्ण तरीके से बताना जरूरी है।’’

जोशी ने लिखा, ‘‘भारत के लोग जिस तरह नरसंहार को खारिज करने वाले एक व्यक्ति के अभद्र और रूखे बयानों के खिलाफ ‘द कश्मीर फाइल्स’ का बचाव करने के लिए खड़े हुए, उससे हम अभिभूत हैं।’’

उन्होंने लापिद के बयान की आलोचना के लिए भारत में इजराइल के राजदूत नाओर गिलोन तथा मध्य-पश्चिम भारत के लिए उसके महा वाणिज्यदूत कोब्बी शोषानी का आभार जताया।

जोशी ने शोषानी के साथ एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘अगर वह खुद फिल्म को पसंद नहीं करते तो उनका पूरा स्वागत है कि यह बात कहें। लेकिन यदि आप जूरी के सदस्य हैं तो ‘भद्दी’ (वल्गर) और ‘दुष्प्रचार वाली’ (प्रोपगैंडा) जैसे शब्दों का इस्तेमाल नहीं कर सकते। दुनिया ने इस फिल्म से कश्मीरी पंडितों की पीड़ा और दिक्कतों को समझा है जो पिछले 32 साल से जारी हैं।’’

अनुपम खेर ने कहा, ‘‘ये सारे लोग ‘टूलकिट गैंग’ से जुड़े हैं। उन्होंने 30 सैकंड का भाषण दिया और यह वायरल हो गया।’’

उन्होंने कहा कि यह सुनियोजित कदम था।

भाषा वैभव मनीषा

मनीषा

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)