मुंबई । एकनाथ शिंदे की अगुवाई में पिछले पांच दिन से गुवाहाटी के होटल में डेरा डाले शिवसेना के बागी विधायकों के तेवर नरम नहीं पड़ने के बीच पार्टी ने संकट से निपटने के लिए कानूनी लड़ाई के लिए कमर कस ली है। शिवसेना के एक सांसद ने रविवार को यह बात कही। शिवसेना के वकील-सह-कानूनी सलाहकार देवदत्त कामत ने कहा कि महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष का पद रिक्त होने के चलते विधानसभा उपाध्यक्ष को फैसले लेने का पूरा अधिकार है।
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एक दिन पहले, महाराष्ट्र विधानसभा सचिवालय ने वरिष्ठ मंत्री एकनाथ शिंदे समेत शिवसेना के 16 बागी विधायकों को ‘समन’ जारी किया था और उन्हें अयोग्य ठहराए जाने की मांग वाली शिकायतों के संबंध में 27 जून की शाम तक लिखित जवाब देने को कहा गया था। कामत ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘ विधायक दल सर्वोच्च नहीं है और विधायक दल में बहुमत का कोई मतलब नहीं है, (यदि) यह इसका गठन मूल दल से किया गया है।’’
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इस दौरान शिवसेना के मुख्य प्रवक्ता एवं लोकसभा सांसद अरविंद सावंत भी मौजूद थे। सावंत ने कहा, ‘‘हम कानूनी लड़ाई की तैयारी कर रहे हैं।’’ कामत ने कहा कि संविधान की 10वीं अनुसूची के पैरा 2.1.ए के अंतर्गत 16 बागी विधायकों के खिलाफ अयोग्य ठहराए जाने की कार्यवाही शुरू की गई है। उन्होंने कहा, ‘‘उच्चतम न्यायालय के कई फैसलों से पता चलता है कि सदन के बाहर विधायकों की कार्रवाई पार्टी विरोधी गतिविधि के समान है और वे अयोग्य ठहराए जा सकते हैं। उन्होंने बुलाई गई बैठकों में भाग लेने के लिए पार्टी के निर्देशों का जवाब नहीं दिया है।’
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