पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ टिप्पणी : राज ठाकरे ने नूपुर शर्मा का समर्थन किया

पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ टिप्पणी : राज ठाकरे ने नूपुर शर्मा का समर्थन किया

पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ टिप्पणी : राज ठाकरे ने नूपुर शर्मा का समर्थन किया
Modified Date: November 29, 2022 / 08:51 pm IST
Published Date: August 23, 2022 6:32 pm IST

मुंबई, 23 अगस्त (भाषा) महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के प्रमुख राज ठाकरे ने पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ कथित टिप्पणी की वजह से निलंबित भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की प्रवक्ता नूपुर शर्मा का मंगलवार को समर्थन किया।

उन्होंने मनसे पदाधिकारियों की बैठक में कहा कि विवादित इस्लामिक उपदेशक जाकिर नाइक ने यही बातें पहले कही थीं, लेकिन किसी ने उससे माफी की मांग नहीं की।

राज ठाकरे ने कहा, ‘‘किसी ने भी नाइक से माफी की मांग नहीं की।’’ उन्होंने हिंदू देवताओं के नामों का कथित उपहास करने पर ‘ओवैसी बंधुओं’ (ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन(एमआईएमआईएम) नेता असदुद्दीन ओवैसी और अकबरुद्दीन ओवैसी) को भी आड़े हाथ लिया। मनसे अध्यक्ष ने ओवैसी बंधुओं का उल्लेख ‘आपत्तिजनक’ शब्द के साथ करते हुए कहा कि उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई।

 ⁠

राज ठाकरे ने अपने चचेरे भाई और पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे पर भी तंज किया। उद्धव ने दावा किया था कि भाजपा ने 2019 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में ढाई-ढाई साल तक मुख्यमंत्री पद बांटने का वादा किया था। इसपर राज ठाकरे ने कहा, ‘‘ जब मैं शिवसेना में था, बालासाहेब (ठाकरे) ने फैसला किया था कि मुख्यमंत्री पद के लिए पार्टी को और विधायक चाहिए।’’

उन्होंने कहा, ‘‘चुनाव प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने सार्वजनिक तौर पर कहा था कि देवेंद्र फडणवीस (मौजूदा समय में महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री) मुख्यमंत्री होंगे। तब आपने आपत्ति क्यों नहीं की थी, बजाय इसके चुनाव नतीजों का इंतजार किया और जनमत के खिलाफ गए जो भाजपा-शिवसेना गठबंधन को मिला था।’’

राज ठाकरे ने कहा कि दिवंगत शिवसेना संस्थापक ने उन्हें गले लगाया था जब वह पार्टी छोड़ने वाले थे। उन्होंने कहा, ‘‘मैं बाला साहेब से मिलने गया था। वह जान रहे थे कि मैं (शिवसेना में)नहीं रुकूंगा। उन्होंने मुझे गले लगाया और कहा, अब जा सकते हो।’’

राज ठाकरे ने कहा कि ‘‘मैं बालासाहेब की विचारधारा को आगे लेकर जाना चाहता हूं। इससे फर्क नहीं पड़ा कि मेरे पास निशान (धनुष और तीर) है या नहीं।’’

भाषा धीरज पवनेश

पवनेश


लेखक के बारे में