औरंगाबाद और उस्मानाबाद के नाम बदलने के महाराष्ट्र सरकार के निर्णय के विरूद्ध दायर याचिकाएं खारिज

औरंगाबाद और उस्मानाबाद के नाम बदलने के महाराष्ट्र सरकार के निर्णय के विरूद्ध दायर याचिकाएं खारिज

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  • Publish Date - May 8, 2024 / 02:09 PM IST,
    Updated On - May 8, 2024 / 02:09 PM IST

मुंबई, आठ मई (भाषा) बंबई उच्च न्यायालय ने औरंगाबाद जिले का नाम बदलकर छत्रपति संभाजीनगर और उस्मानाबाद का नाम बदलकर धाराशिव करने के महाराष्ट्र सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाएं बुधवार को खारिज कर दीं।

मुख्य न्यायाधीश डी के उपाध्याय और न्यायमूर्ति आरिफ डॉक्टर की खंडपीठ ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा जारी की गयी अधिसूचना में किसी हस्तक्षेप की जरूरत नहीं है।

पीठ ने कहा, ‘‘ हमें यह कहने में कोई हिचक नहीं है कि औरंगाबाद और उस्मानाबाद का नाम बदलने के लिए राज्य सरकार द्वारा जारी की गयी अधिसूचना में कुछ भी गैरकानूनी या कानूनी खामी नहीं है।’’

उच्च न्यायालय ने कहा कि याचिकाओं में दम नहीं है इसलिए उन्हें खारिज किया जाता है।

मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाले महाराष्ट्र मंत्रिमंडल ने 2022 में औरंगाबाद और उस्मानाबाद का नाम बदलकर क्रमश: छत्रपति संभाजीनगर और धाराशिव करने को मंजूरी दी थी।

सोलह जुलाई, 2022 को दो सदस्यीय मंत्रिमंडल ने नामों को बदलने का एक सरकारी प्रस्ताव पारित किया था और उसे केंद्र सरकार के पास भेजा था।

फरवरी, 2023 में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने शहरों एवं जिलों के नामों को बदलने लिए अनापत्ति पत्र दिया था जिसके बाद राज्य सरकार ने औरंगाबाद एवं उस्मानाबाद के नामों को बदलते हुए गजट अधिसूचना जारी की थी।

तब औरंगाबाद के निवासियों ने इस जगह का नाम बदलकर छत्रपति संभाजीनगर करने के सरकार के फैसले को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय में कई याचिकाएं दायर की थीं।

उस्मानाबाद के 17 लोगों ने इस स्थान का नाम बदलकर धाराशिव करने के सरकार के निर्णय के खिलाफ अन्य जनहित याचिका दायर की थी।

इन याचिकाओं में सरकार के फैसले को ‘राजनीति से प्रेरित’ बताया गया था।

महाराष्ट्र सरकार ने यह दावा करते हुए इन अर्जियों का विरोध किया था कि इन स्थानों के नाम किसी राजनीतिक वजह से नहीं बल्कि उनके इतिहास के कारण बदले गए हैं।

भाषा

राजकुमार मनीषा

मनीषा