वानखेड़े के खिलाफ अनियमितताओं के गंभीर आरोप, इसलिए जांच शुरू की गई: एनसीबी
वानखेड़े के खिलाफ अनियमितताओं के गंभीर आरोप, इसलिए जांच शुरू की गई: एनसीबी
मुंबई, 10 अप्रैल (भाषा) स्वापक नियंत्रण ब्यूरो (एनसीबी) ने बंबई उच्च न्यायालय को बताया है कि उसके पूर्व क्षेत्रीय निदेशक समीर वानखेड़े के खिलाफ अनियमितताओं के गंभीर और संगीन आरोप हैं और इसलिए उनके खिलाफ प्रारंभिक जांच शुरू की गई है।
अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत से जुड़े मादक पदार्थ मामले में अनियमितताओं पर एनसीबी की प्रारंभिक जांच को लेकर वानखेड़े को जारी नोटिस को चुनौती देने वाली उनकी याचिका के जवाब में एजेंसी ने पिछले हफ्ते अपना हलफनामा दायर किया।
एनसीबी के उपमहानिदेशक संजय सिंह की ओर से दायर हलफनामे में वानखेड़े की याचिका को खारिज करने की मांग की गई है, जिसमें दावा किया गया है कि वह ‘फोरम हंटिंग’ (किसी मंच का अपने फायदे के लिए दुरुपयोग करने) और उनके खिलाफ शुरू जांच में ‘‘देरी करने और लंबा खींचने’’ का प्रयास कर रहे थे।
एक अप्रैल को न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे और न्यायमूर्ति मंजूषा देशपांडे की खंडपीठ ने एनसीबी के इस आश्वासन को स्वीकार कर लिया था कि वानखेड़े की याचिका पर सुनवाई होने तक उन्हें कोई और नोटिस जारी नहीं किया जाएगा।
अदालत ने तब एजेंसी को वानखेड़े की याचिका पर अपना हलफनामा दाखिल करने का भी निर्देश दिया था।
एनसीबी ने अपने हलफनामे में कहा कि वानखेड़े ने एक ही मुद्दे पर कई मुकदमे दायर किए हैं, जिनमें केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) के समक्ष दायर एक मामला भी शामिल है। हलफनामे के अनुसार, हालांकि कैट ने उनके मामले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया था।
हलफनामे में कहा गया है, ‘याचिकाकर्ता (वानखेड़े) ने प्रारंभिक जांच से बचने के लिए कई मुकदमे दायर किए हैं। याचिकाकर्ता, विभिन्न मंचों के समक्ष कई मुकदमे दायर करके जांच को लंबा खींच रहा है और सुनवाई में देरी कर रहा है।’
एजेंसी ने अपने हलफनामे में कहा कि वानखेड़े के खिलाफ अनियमितताओं की जो शिकायतें मिली हैं, वे ‘गंभीर और संगीन’ हैं। एजेंसी ने वानखेड़े के इन दावों का भी खंडन किया कि जांच गुमनाम शिकायतों के आधार पर शुरू की गई थी।
हलफनामे में कहा गया है, ‘‘याचिकाकर्ता (वानखेड़े) के खिलाफ लगाए गए गंभीर आरोपों को ध्यान में रखते हुए, उनके खिलाफ जांच करना और आरोपों की सत्यता का पता लगाने के लिए उन्हें पेश होने का निर्देश देना जरूरी समझा गया था।’’
भाषा सुरेश अविनाश
अविनाश

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