नागपुर, चार दिसंबर (भाषा) कोरोना वायरस के नए स्वरूप ‘ओमीक्रोन’ को लेकर बढ़ती चिंताओं के बीच शोधकर्ता आरटी-पीसीआर किट का उपयोग करके कोरोना संक्रमित नमूनों के जीनोम अनुक्रमण पर जोर दे रहे हैं। आरटी-पीसीआर किट कोविड स्वरूप का पता लगाने के लिए ‘एस’ जीन टारगेट फेल्योर (एसजीटीएफ) रणनीति का इस्तेमाल करते हैं।
भारत में ‘कोविड-19 डायग्नोस्टिक्स’ के प्रमुख शोधकर्ताओं में से एक वैज्ञानिक कृष्ण खैरनार ने पीटीआई-भाषा से बातचीत में कहा कि परीक्षण वायरस के ‘एकाधिक जीन’ को लक्षित करते हैं, ताकि विभिन्न प्रकार के स्वरूप को कवर किया जा सके।
नागपुर स्थित सीएसआईआर-नीरी के खैरनार ने कहा, ‘‘ओमीक्रोन स्वरूप वाले मामले में जीन में उत्परिवर्तन के कारण थर्मोफिशर के टाक पाथ आरटी-पीसीआर परीक्षण में ‘एस’ जीन का पता नहीं चल रहा है, जबकि अन्य जीन टार्गेट – ओआरएफ जीन और एन जीन- का पता लगाया जा रहा है। इसे ‘एसजीटीएफ पॉजिटिव केस’ कहा जाता है।’’
खैरनार ने आगे बताया कि ‘एसजीटीएफ रणनीति’ उन पॉजिटिव नमूनों को लेने पर केंद्रित है, जिनमें आरटी-पीसीआर परीक्षण के परिणाम ‘एस’ जीन निगेटिव परिणाम दिखाते हैं, लेकिन ओआरएफ और एन जीन पॉजिटिव परिणाम।
उन्होंने कहा कि एसजीटीएफ रणनीति आरटी-पीसीआर चरण में एक प्रकार से शुरुआती जांच के रूप में काम करेगी और कोविड-19 के नये स्वरूप ‘ओमीक्रोन’ के संक्रमित नमूनों की जांच में मदद करेगी।
भाषा
सुरेश माधव
माधव
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