सोहराबुद्दीन मुठभेड़ मामला: 22 आरोपियों को बरी करने के फैसले को चुनौती नहीं देगी सीबीआई

सोहराबुद्दीन मुठभेड़ मामला: 22 आरोपियों को बरी करने के फैसले को चुनौती नहीं देगी सीबीआई

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  • Publish Date - October 8, 2025 / 07:28 PM IST,
    Updated On - October 8, 2025 / 07:28 PM IST

मुंबई, आठ अक्टूबर (भाषा) सीबीआई ने गैंगस्टर सोहराबुद्दीन शेख और उसके सहयोगी तुलसीराम प्रजापति के 2005 के कथित फर्जी मुठभेड़ मामले में सभी 22 आरोपियों को बरी करने के फैसले को स्वीकार कर लिया है और वह विशेष अदालत के 2018 के फैसले के खिलाफ अपील दायर नहीं करेगी। यह जानकारी बुधवार को मुंबई उच्च न्यायालय को दी गई।

विशेष अदालत ने दिसंबर 2018 में सभी आरोपियों को बरी कर दिया था। अदालत ने पाया कि अभियोजन पक्ष यह साबित करने के लिए कोई ठोस मामला स्थापित करने में विफल रहा कि शेख और अन्य की हत्या की कोई साजिश थी, और आरोपियों की भूमिका क्या थी।

शेख के भाइयों रुबाबुद्दीन और नयाबुद्दीन शेख ने अप्रैल 2019 में आरोपियों को बरी किये जाने के फैसले को चुनौती दी थी।

सोहराबुद्दीन नवंबर 2006 में अहमदाबाद के पास गुजरात पुलिस द्वारा एक कथित मुठभेड़ में मारा गया था। उसकी पत्नी कौसर बी की भी कथित तौर पर हत्या कर दी गई थी।

तुलसीराम प्रजापति के मामले में प्रमुख गवाह होने का संदेह था। दिसंबर 2006 में प्रजापति एक अन्य कथित मुठभेड़ में मारा गया।

उच्चतम न्यायालय ने मामले की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को सौंप दी। बाद में मुकदमा मुंबई स्थानांतरित कर दिया गया।

बुधवार को मुख्य न्यायाधीश श्री चंद्रशेखर और न्यायमूर्ति गौतम अंखड की पीठ ने शेख के भाइयों द्वारा दायर अपील पर सुनवाई की।

सीबीआई का प्रतिनिधित्व करते हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह ने पीठ को बताया कि एजेंसी (विशेष अदालत के) फैसले के खिलाफ कोई अपील दायर नहीं करेगी।

सिंह ने पीठ को बताया, “हमने (सीबीआई ने) बरी करने के फैसले को स्वीकार कर लिया है।”

अपीलकर्ताओं ने दावा किया कि मुकदमे में खामियां थीं। उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ गवाहों ने दावा किया था कि निचली अदालत ने उनकी गवाही सही ढंग से दर्ज नहीं की।

अपील में विशेष अदालत द्वारा दिए गए फैसले को रद्द करने और मामले की पुनः सुनवाई का अनुरोध किया गया था।

पीठ ने भाइयों को उन गवाहों का चार्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया जिनके बयान उनके दावे के अनुसार सही ढंग से दर्ज नहीं किए गए थे और मामले की सुनवाई 15 अक्टूबर के लिए स्थगित कर दी।

विशेष अदालत ने 22 आरोपियों को बरी करते हुए अपर्याप्त साक्ष्य तथा अभियोजन पक्ष द्वारा अपने मामले को उचित संदेह से परे साबित करने में विफलता का हवाला दिया।

अदालत ने कहा कि सीबीआई (पुलिस) अधिकारियों और स्थानीय राजनेताओं के बीच किसी भी तरह की साठगांठ साबित करने में विफल रही है।

भाषा प्रशांत नरेश

नरेश