स्टार पावर का नहीं चला जादू, ‘लाल सिंह चड्ढा’ और ‘रक्षा बंधन’ का कमजोर प्रदर्शन |

स्टार पावर का नहीं चला जादू, ‘लाल सिंह चड्ढा’ और ‘रक्षा बंधन’ का कमजोर प्रदर्शन

स्टार पावर का नहीं चला जादू, ‘लाल सिंह चड्ढा’ और ‘रक्षा बंधन’ का कमजोर प्रदर्शन

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:53 PM IST, Published Date : August 13, 2022/7:12 pm IST

(कोमल पंचमटिया)

मुंबई, 13 अगस्त (भाषा) सिनेमा हॉल मालिकों से लेकर फिल्म जगत और दर्शकों के बीच आमिर खान की फिल्म ‘लाल सिंह चड्ढा’ और अक्षय कुमार की ‘रक्षा बंधन’ के लिए जबरदस्त रोमांच था, लेकिन दोनों फिल्मों का प्रदर्शन कमजोर रहा।

सोशल मीडिया पर बहिष्कार के अभियान के बीच बृहस्पतिवार को प्रदर्शित दोनों बहुप्रतीक्षित फिल्मों को मिली-जुली से लेकर नकारात्मक प्रतिक्रिया मिली। आनंद एल राय निर्देशित ‘रक्षा बंधन’ ने पहले दिन देश में टिकट खिड़की पर 8.20 करोड़ रुपये की कमाई की लेकिन शुक्रवार को आंकड़ा 6.40 करोड़ रुपये तक सीमित रहा। खान की ‘लाल सिंह चडढ़ा’ ने अपेक्षाकृत कुछ बेहतर 12 करोड़ रुपये की कमाई लेकिन दूसरे दिन करीब सात करोड़ रुपये ही कमाई हुई।

छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में सिनेमाघरों का संचालन करने वाले मुंबई के एक्जिबिटर अक्षय राठी ने कहा कि यह ‘‘बॉक्स ऑफिस के लिए यह उथल-पुथल वाला समय है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हम सब सोचते हैं कि आमिर और अक्षय जैसे सुपरस्टार की फिल्मों को बेहतर प्रदर्शन करना चाहिए, लेकिन यह बॉक्स ऑफिस के लिए उथल-पुथल भरा समय है। दर्शकों के सिनेमा देखने के पैटर्न में पर्याप्त संतुलन नहीं है, यह बेतरतीब है।’’

राठी ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘इन कलाकारों में टिकट खिड़की पर अच्छी शुरुआत करने की क्षमता है लेकिन हमने लंबे समय में उनके लिए ऐसे अजीब आंकड़े नहीं देखे हैं। ये निराशाजनक रूप से काफी कम हैं।’’

राठी ने कहा कि उनके सिनेमाघरों में ‘‘लाल सिंह चड्ढा’’ ने लगभग 25 प्रतिशत और ‘‘रक्षाबंधन’’ ने 15 से 20 प्रतिशत ऑक्यूपेंसी (सीट की क्षमता) के साथ शुरुआत की। अद्वैत चंदन द्वारा निर्देशित ‘‘लाल सिंह चड्ढा’’ टॉम हैंक्स अभिनीत ‘‘फॉरेस्ट गंप’’ (1994) की आधिकारिक रीमेक है।

बताया जाता है कि ‘‘लाल सिंह चड्ढा’’ देश भर में 3,500 स्क्रीन पर और ‘‘रक्षा बंधन’’ 2,500 स्क्रीन पर रिलीज हुई। जयपुर में मल्टीप्लेक्स चेन एंटरटेनमेंट पैराडाइज के राजस्थान स्थित वितरक राज बंसल ने कहा कि प्रतिक्रिया उम्मीद से कम रही है और कमाई और घट सकती है।

बंसल ने कहा, ‘‘रक्षा बंधन त्योहार के कारण हमें कुछ उम्मीदें थीं लेकिन दोनों फिल्मों की ओपनिंग कम रही। इसके अलावा, हिंदी सिनेमा के लिए एक नकारात्मकता है लेकिन अगर कोई फिल्म अच्छी है तो नकारात्मकता कोई मायने नहीं रखती। हम उम्मीद कर रहे थे कि ‘लाल सिंह चड्ढा’ 17-18 करोड़ रुपये और ‘रक्षा बंधन’ 10-12 करोड़ रुपये पहले दिन कमाई करेगी लेकिन कमाई बहुत कम है।’’

मुंबई में लोकप्रिय सिंगल स्क्रीन थिएटर जैसे कि गेटी, जेमिनी और मराठा मंदिर में भी टिकट की सस्ती कीमतों के बावजूद कमजोर प्रदर्शन देखा गया है। इन सिनेमाघरों के कार्यकारी निदेशक मनोज देसाई ने कहा, ‘‘हमारे यहां टिकट की कीमतें कम हैं जैसे स्टाल के लिए 130 रुपये और बालकनी के लिए 160 रुपये, लेकिन फिर भी शो हाउसफुल नहीं हैं। लोग कह रहे हैं कि ‘लाल सिंह चड्ढा’ लंबी और रफ्तार धीमी है जबकि ‘रक्षा बंधन’ के साथ लोगों को लगता है कि फिल्म ने थीम को सही नहीं ठहराया।’’

‘‘लाल सिंह चड्ढा’’ और ‘‘रक्षा बंधन’’ हाल की उन फिल्मों की सूची में शामिल हो गई हैं जिन्होंने टिकट खिड़की पर कमजोर प्रदर्शन किया। ‘‘शमशेरा’’ (रणबीर कपूर), ‘‘जयेशभाई जोरदार’’ (रणवीर सिंह), ‘‘रनवे 34’’ (अजय देवगन) जैसी फिल्में स्टार पावर के बावजूद अच्छा प्रदर्शन नहीं कर सकीं। इस साल 100 करोड़ रुपये का आंकड़ा पार करने वाली वॉलीवुड फिल्मों में आलिया भट्ट की ‘‘गंगूबाई काठियावाड़ी’’ और कार्तिक आर्यन अभिनीत ‘‘भूल भुलैया 2’’ शामिल हैं। बंसल ने कहा कि 2022 ‘हिंदी सिनेमा का सबसे खराब साल’ साबित हो रहा है।

आईनॉक्स लीजर के मुख्य प्रोग्रामिंग अधिकारी राजेंद्र सिंह ज्याला के अनुसार, हिंदी फिल्मों के खराब प्रदर्शन का कारण अच्छी विषयवस्तु की कमी है। सिंह ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘विषय वस्तु ही राज करता है। ‘भूल भुलैया 2’ ने बहुत अच्छा प्रदर्शन किया और ऐसा ही ‘आरआरआर’, ‘केजीएफ’, ‘गंगूबाई काठियावाड़ी’ जैसी फिल्मों के साथ भी हुआ। विषय वस्तु अच्छी होगी तो लोग आएंगे और विषय वस्तु अच्छी नहीं होगी तो लोग नहीं आएंगे।’’

फिल्म कारोबार के विशेषज्ञ आमोद मेहरा का मानना है कि सिनेमाघरों में दर्शकों की संख्या कम होने का एक और कारण डिजिटल प्लेटफॉर्म पर फिल्मों की आसान पहुंच है। उन्होंने कहा, ‘‘कलेक्शन कल की तुलना में कम है। दोनों ही फिल्मों को देखने में लोगों की दिलचस्पी नहीं है। इसकी वजह ओटीटी पर फिल्मों की आसान उपलब्धता है। 15 से 35 साल की उम्र के लोग सिनेमाघरों में नहीं आ रहे हैं।

राठी का मानना है कि हिंदी सिनेमा ‘‘अभिजात्य और बहुत शहरी’’ हो गया है। उन्होंने कहा कि फिल्म निर्माताओं को स्थिति का विश्लेषण करने की जरूरत है। उन्होंने कहा, ‘‘हिंदी फिल्मों ने खुद को जमीनी स्तर के दर्शकों से अलग कर लिया है। कहानी कहने की शैली या परिवेश, भारत के आम लोगों के एक बड़े हिस्से को अलग-थलग कर देता है। हमारा सिनेमा दर्शकों से जुड़ाव के मामले में अभिजात्य और शहरी हो गया है, जबकि, दक्षिण की फिल्में आम लोगों के लिए सुलभ हैं।’’

भाषा आशीष रंजन

रंजन

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)