ठाणे : 2021 में भीड़ के हाथों हत्या के मामले में तीन लोगों को आजीवन कारावास की सजा

ठाणे : 2021 में भीड़ के हाथों हत्या के मामले में तीन लोगों को आजीवन कारावास की सजा

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  • Publish Date - November 15, 2025 / 01:04 PM IST,
    Updated On - November 15, 2025 / 01:04 PM IST

ठाणे, 15 नवंबर (भाषा) महाराष्ट्र के ठाणे जिले की एक अदालत ने चोरी के संदेह में एक व्यक्ति की पीट-पीटकर हत्या करने के मामले में अपराध की गंभीरता और क्रूरता का हवाला देते हुए तीन लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है।

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश वी जी मोहिते ने शुक्रवार को मामले में आरोपियों रामतेज उर्फ ​​गव्य राम यादव (29), अमरजीत उर्फ ​​छबी बिंद्राप्रसाद गुप्ता (29) और चिराग उर्फ ​​कल्या शोभनाथ ठाकुर (31) को भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या), 323 (स्वेच्छा से चोट पहुंचाना) और 504 (जानबूझकर अपमान करना) के तहत दोषी पाया।

अदालत ने तीनों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई और प्रत्येक पर 10 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया।

अदालत ने एक अन्य आरोपी शिवकुमार उर्फ ​​लाला बिंदर लोध को संदेह का लाभ देते हुए सभी आरोपों से बरी कर दिया।

यह घटना छह मार्च, 2021 को उस वक्त हुई थी जब पीड़ित सूरजभान ओमप्रकाश सोनी (23) और एक अन्य व्यक्ति विक्की उर्फ ​​अभिषेक सिंह पर भयंदर पूर्व के इंदिरा नगर इलाके में चोरी के संदेह में भीड़ ने हमला कर दिया।

हमले के कारण सोनी की मौत हो गई और पोस्टमार्टम में मृत्यु का कारण ‘‘मस्तिष्क में अंदरूनी रक्तस्राव और मस्तिष्क में गंभीर चोट’’ लगना बताया गया।

अतिरिक्त लोक अभियोजक रश्मि क्षीरसागर ने बताया कि आरोपियों के खिलाफ आरोप साबित करने के लिए अभियोजन पक्ष के 10 गवाहों से जिरह की गई।

अदालत ने अपने आदेश में कहा कि हमले के वीडियो अपराध के दौरान की गई गंभीरता और क्रूरता को दर्शाते हैं।

न्यायाधीश ने कहा कि आरोपी युवा हैं और उनके परिवार के सदस्य उन पर निर्भर हैं, लेकिन अपराध की गंभीरता को देखते हुए सजा सुनाते समय अपराध के तरीके को ध्यान में रखना होगा। उन्होंने यह भी कहा कि आरोपियों की ओर से दी गई दलीलें नरमी बरतने के लिए पर्याप्त नहीं थीं।

अदालत ने कहा, ‘‘आजीवन कारावास नियम है और मृत्युदंड अपवाद है।’’

न्यायाधीश ने कहा, ‘‘मृत्युदंड तभी दिया जाना चाहिए जब आजीवन कारावास अपर्याप्त सजा प्रतीत हो।’’ उन्होंने यह भी कहा कि यह मामला दुर्लभतम श्रेणी में नहीं आता।

भाषा सुरभि संतोष

संतोष