न्यायालय ने उड़ान पथ की बाधाओं को दूर करने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में बताने को कहा

न्यायालय ने उड़ान पथ की बाधाओं को दूर करने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में बताने को कहा

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  • Publish Date - May 2, 2022 / 05:06 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:55 PM IST

मुंबई, दो मई (भाषा) बम्बई उच्च न्यायालय ने सोमवार को मुंबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (एमआईएएल) को एक हलफनामा दाखिल कर उड़ान पथ पर आने वाली बाधाओं को दूर करने के लिए उठाये गये कदमों की जानकारी देने को कहा।

मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्त और न्यायमूर्ति वी. जी. बिष्ट की पीठ ने अधिवक्ता यशवंत शेनॉय द्वारा 2019 में दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए ये निर्देश पारित किए। याचिका में मुंबई हवाई अड्डे के पास ऊंची इमारतों और अवैध निर्माण की गतिविधियों से विमान को होने वाले खतरे के बारे में बताया गया है।

शेनॉय ने कहा कि 2011 और 2016 के बीच एमआईएएल की सर्वेक्षण रिपोर्ट से पता चलता है कि क्षेत्र में 137 बाधाएं थीं और 2014-15 में यह संख्या बढ़कर 498 हो गई। उन्होंने कहा कि 137 बाधाओं में से 36 पर कार्रवाई की गई है, लेकिन शेष बाधाओं पर कोई कार्रवाई नहीं की गई।

नागरिक उड्डयन महानिदेशालय ने उच्च न्यायालय को बताया कि एमआईएएल को वर्तमान मामले में संबंधित जिलाधिकारी को अवैध निर्माण और अन्य बाधाओं के लिए जारी किए गए नोटिसों के बारे में सूचित करने का अधिकार था।

महानिदेशालय ने कहा कि जिलाधिकारी को विमान नियमों के अनुसार कार्रवाई करनी थी।

उच्च न्यायालय ने शेनॉय को निर्देश दिया कि वह इस मामले में महाराष्ट्र सरकार और जिलाधिकारी को संबंधित पक्षकार बनाएं।

न्यायालय ने मामले की अगली सुनवाई की तिथि 27 जून तय की।

भाषा

देवेंद्र माधव

माधव