अच्छाई की रोशनी है आतंक के अंधेरे का जवाब : मुंबई आतंकी हमला में बचे मोशे के चाचा ने कहा |

अच्छाई की रोशनी है आतंक के अंधेरे का जवाब : मुंबई आतंकी हमला में बचे मोशे के चाचा ने कहा

अच्छाई की रोशनी है आतंक के अंधेरे का जवाब : मुंबई आतंकी हमला में बचे मोशे के चाचा ने कहा

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:17 PM IST, Published Date : November 25, 2022/5:49 pm IST

(दनेश चव्हाण)

मुंबई, 25 नवंबर (भाषा) मुंबई आतंकी हमले में अपने माता-पिता को खोने वाला बालक मोशे के चाचा मोशे हॉल्जबर्ग ने कहा है कि अच्छाई और दया की रोशनी ही आतंक के अंधेरे का जवाब है।

उन्होंने कहा कि शहर में हुए 26/11आतंकी हमले के 14 वर्ष बीत चुके हैं, लेकिन होल्ट्जबर्ग परिवार प्यार और दया के अपने मिशन के जरिए कई लोगों के लिए प्रेरणास्रोत बना हुआ है।

बेबी मोशे 26 नवंबर, 2008 को आतंकी हमले के समय दो साल का था और उसे उनकी भारतीय आया सैंड्रा सैमुअल ने बचाया था। यहां के नरीमन हाउस में यहूदी केंद्र चबाड हाउस में पाकिस्तानी आतंकवादियों द्वारा किए गए हमले में मोशे के पिता गैवरिएल हॉल्जबर्ग और मां रिवका सहित छह लोगों की मौत हो गई थी।

उस भीषण त्रासदी के बीच जीवन के प्रतीक के रूप में देखा जाने वाला बालक मोशे अब 16 साल का हो गया है और इजराइली शहर औफला के एक स्कूल में पढ़ रहा है। वह अपने दादा-दादी और नाना-नानी के साथ रहता है।

मोशे के चाचा मोशे हॉल्जबर्ग अमेरिका में रहते हैं। उन्होंने शुक्रवार को सोशल मीडिया के जरिए पीटीआई से बातचीत की। उन्होंने उस समय को याद किया जब वे बालक मोशे के साथ नरीमन हाउस और कोलाबा बाजार में रहते थे।

उन्होंने कहा, ‘हम उसे (मोशे को) एकता के प्रतीक के तौर पर देखते हैं और प्रार्थना करते हैं कि ईश्वर उसे अपने माता-पिता के मिशन को आगे बढ़ाने की शक्ति दे।’

हॉल्जबर्ग (33) मोशे के पिता के छोटे भाई हैं।

उन्होंने कहा कि मुंबई आतंकी हमले के कई वर्ष हो चुके हैं और दुर्भाग्य से उसके बाद भी कई और त्रासदी हुई तथ अभी दो दिन पहले ही यरूशलम में आतंकी हमला हुआ। उन्होंने कहा, ‘‘हम मानते हैं कि अच्छाई और दया का प्रकाश ही आतंक के अंधेरे का जवाब है।’’

हॉल्जबर्ग ने कहा, ‘मोशे के लिए, भारत घर है। कोई भी आतंकी हमला उसे उसके घर से बाहर नहीं भगा सकता। नरीमन हाउस उसका घर है, मुंबई उसका शहर है और भारत उसका देश है।’

मोशे ने कहा है कि वह आने वाले समय में वापस जाना चाहता है और जो काम उसके माता-पिता ने शुरू किया था, उसे वह आगे बढ़ाना चाहता है।

भाषा अविनाश माधव

माधव

 

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