महामारी के दौरान किए गए कार्यों से पीएफआई को महाराष्ट्र में अपना प्रभाव बढ़ाने में मदद मिली

महामारी के दौरान किए गए कार्यों से पीएफआई को महाराष्ट्र में अपना प्रभाव बढ़ाने में मदद मिली

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  • Publish Date - October 2, 2022 / 10:15 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:18 PM IST

(ज्ञानेश चव्हाण)

मुंबई, दो अक्टूबर (भाषा) एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने दावा किया है कि पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) को कोविड-19 महामारी के दौरान उसके स्वयंसेवकों की ओर से किए गए कार्यों से महाराष्ट्र में अपना प्रभाव बढ़ाने में मदद मिली। इन कार्यों में कोरोना वायरस संक्रमण से जान गंवाने वाले मरीजों का अंतिम संस्कार किया जाना भी शामिल है।

अधिकारी के मुताबिक, आठ साल पहले तक पीएफआई की मौजूदगी सिर्फ मराठवाड़ा क्षेत्र के नांदेड़ तक सीमित थी, लेकिन पिछले हफ्ते आतंकवादी संगठनों से संबंधों के आरोप में प्रतिबंधित किए जाने के दौरान महाराष्ट्र के 35 जिलों में से 22 में इसके सदस्य बन चुके थे।

पीएफआई की स्थापना केरल में की गई थी। केंद्र सरकार ने गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के तहत संगठन पर पांच साल का प्रतिबंध लगाया है। इसके कई सदस्यों और पदाधिकारियों को गिरफ्तार भी किया गया है।

अधिकारी ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि महाराष्ट्र में पीएफआई की गतिविधियां साल 2014 के बाद प्रकाश में आईं, खासकर नांदेड़ क्षेत्र में। उन्होंने बताया कि अगले कुछ वर्षों में संगठन ने मराठवाड़ा क्षेत्र के सभी आठ जिलों में सक्रिय सदस्यों की भर्ती कर ली और 2018 तक मुंबई व पुणे में भी उसके सदस्य बन गए।

अधिकारी के मुताबिक, पीएफआई सदस्य बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं के दौरान स्वेच्छा से अपनी सेवाएं देते थे। मिसाल के तौर पर उन्होंने 2021 में चक्रवात तौकते से प्रभावित क्षेत्रों में लोगों को रसोई का सामान उपलब्ध कराया था।

अधिकारी के अनुसार, महामारी के दौरान पीएफआई के सदस्यों ने कोविड-19 से दम तोड़ने वाले लोगों का अंतिम संस्कार भी किया, क्योंकि संक्रमण की चपेट में आने के डर से रिश्तेदार कई बार ऐसे मरीजों का शव लेने में आनाकानी करते थे।

उन्होंने बताया कि पीपीई (पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट) किट पहने पीएफआई सदस्यों को कई जगहों पर कोविड-19 मृतकों की अंत्येष्टि में मदद करते देखा गया था। उन्होंने संक्रमण से दम तोड़ने वाले हिंदू मरीजों के अंतिम संस्कार में भी सहायता प्रदान की।

अधिकारी के मुताबिक, पुणे में पीएफआई सदस्यों को महामारी से जान गंवाने वाले लोगों का अंतिम संस्कार करने के लिए नगरपालिका प्राधिकरण से इजाजत मिली थी, लेकिन मुंबई में उन्हें इस बाबत अनुमति देने से मना कर दिया गया था, क्योंकि मुंबई पुलिस को संगठन के कट्टरपंथी समूहों के साथ संबंध होने के संकेत मिले थे।

स्थानीय पुलिस के अनुसार, 2019 में कोल्हापुर जिले में मौला मुल्ला की अध्यक्षता में होने वाली पीएफआई की बैठकों में लगभग 80 लोग हिस्सा लेते थे। मुल्ला को पिछले महीने गिरफ्तार किया गया था।

अधिकारी ने बताया कि इससे दो वर्ष पहले कोल्हापुर के एक पीएफआई सदस्य को कट्टरपंथी संगठनों से कथित रिश्तों के आरोप में हिरासत में लिया गया था, लेकिन जांच के बाद उसे छोड़ दिया गया था।

अधिकारी के मुताबिक, पिछले साल पीएफआई द्वारा महाराष्ट्र के 22 जिलों में आयोजित ध्वजारोहण समारोहों और ‘एकता’ यात्राओं को काफी अच्छी प्रतिक्रिया मिली थी।

उन्होंने कहा कि स्पष्ट है कि महामारी के दौरान किए गए कार्यों से पीएफआई को अपना प्रभाव बढ़ाने में मदद मिली।

पिछले महीने पीएफआई के खिलाफ कई कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा की गई राष्ट्रव्यापी कार्रवाई के हिस्से के रूप में महाराष्ट्र में संगठन के कम से कम 53 सदस्यों को गिरफ्तार किया गया था।

भाषा पारुल मनीषा

मनीषा