मुंबई, 20 अप्रैल (भाषा) टाटा सामाजिक विज्ञान संस्थान (टीआईएसएस) ने एक पीएचडी छात्र को पीएसएफ-टीआईएसएस बैनर तले दिल्ली में विरोध प्रदर्शन में भाग लेने जैसे उदाहरणों का हवाला देते हुए ‘राष्ट्र हित के खिलाफ गतिविधियों’ में शामिल होने के आरोप में निलंबित कर दिया।
विकास अध्ययन में डॉक्टरेट की पढ़ाई कर रहे रामदास प्रिंसिवानंदन (30) के मुंबई, तुलजापुर, हैदराबाद और गुवाहाटी में टीआईएसएस परिसर में प्रवेश करने पर भी पाबंदी लगा दी गई है।
प्रिंसिवानंदन को सात मार्च को भेजे गए एक नोटिस में टीआईएसएस ने 26 जनवरी से पहले ‘राम के नाम’ जैसे वृत्तचित्रों के प्रदर्शन जैसे उदाहरणों को अयोध्या में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के खिलाफ ‘‘अपमानजनक और विरोध का प्रतीक’’ बताया।
इसमें कहा गया है कि पीएसएफ-टीआईएसएस के बैनर तले दिल्ली में विरोध प्रदर्शन में भाग लेने के दौरान, संस्थान के नाम का ‘‘दुरुपयोग’’ किया गया, जो गलत तरीके से यह धारणा बनाता है कि इसका टीआईएसएस के साथ कुछ संबंध है और इसके विचारों का संस्थान द्वारा समर्थन किया जाता है।
प्रिंसिवानंदन पर पिछले साल टीआईएसएस परिसर में बीबीसी का एक प्रतिबंधित वृत्तचित्र दिखाने और ‘‘विवादास्पद अतिथि वक्ताओं’’ को आमंत्रित करके भगत सिंह स्मृति व्याख्यान (बीएसएमएल) का आयोजन करने का भी आरोप लगाया गया है।
नोटिस में कहा गया है कि ये मुद्दे ‘‘बहुत गंभीर हैं और यह स्पष्ट है कि आप बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर जानबूझकर ऐसी गैरकानूनी गतिविधियों में शामिल हो रहे हैं।’’
नोटिस में कहा गया, ‘‘आपकी गतिविधियां राष्ट्र के हित में नहीं हैं। सार्वजनिक संस्थान होने के नाते, टीआईएसएस अपने छात्रों को ऐसी गतिविधियों में शामिल होने की अनुमति नहीं दे सकता है जो राष्ट्र-विरोधी हैं और देश का नाम खराब करती हैं।’’
यह नोटिस 18 अप्रैल को भेजा गया। प्रिंसिवानंदन को भेजे नोटिस में कहा गया, ‘‘संस्थान के प्राधिकार ने टीआईएसएस से दो साल की अवधि के लिए आपके निलंबन की सिफारिश की है और टीआईएसएस के सभी परिसरों में आपके प्रवेश पर पाबंदी रहेगी।’’
केरल के रहने वाले प्रिंसिवानंदन ने कहा कि वह निलंबन के खिलाफ अपील करेंगे।
प्रिंसिवानंदन वामपंथी रुझान रखने वाला छात्र संगठन प्रोग्रेसिव स्टूडेंट फोरम (पीएसएफ) से जुड़े हैं। पीएसएफ ने कहा कि टीआईएसएस ने जिस प्रदर्शन मार्च का जिक्र किया है, वह ‘‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति के रूप में छात्र विरोधी नीतियों’’ से संबंधित था।
भाषा आशीष माधव
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