मराठा आरक्षण आंदोलन का चेहरा रहे विनायक मेटे की सड़क दुर्घटना में मौत |

मराठा आरक्षण आंदोलन का चेहरा रहे विनायक मेटे की सड़क दुर्घटना में मौत

मराठा आरक्षण आंदोलन का चेहरा रहे विनायक मेटे की सड़क दुर्घटना में मौत

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:14 PM IST, Published Date : August 14, 2022/7:41 pm IST

मुंबई, 14 अगस्त (भाषा) शिव संग्राम पार्टी के नेता और महाराष्ट्र विधान परिषद के पूर्व सदस्य विनायक मेटे की रविवार सुबह मुंबई-पुणे एक्सप्रेसवे पर एक दुर्घटना में मौत हो गई। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी।

मेटे 52 वर्ष के थे।

महाराष्ट्र विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अजित पवार ने कहा कि मेटे की कार चला रहे चालक को संभवत: झपकी आ गई होगी जिसकी वजह से यह हादसा हुआ। वहीं, शिवसेना सांसद अरविंद सांवत ने दुर्घटना की जांच की मांग की और सवाल किया कि मेटे को एक संक्षिप्त अवधि का नोटिस देकर (मराठा आरक्षण पर) बैठक में शामिल होने के लिए मुंबई बुलाया गया था।

मेटे मराठा समुदाय को आरक्षण देने की मांग को लेकर चल रहे आंदोलन में अग्रणी भूमिका निभा रहे थे और वह बीड से इस बैठक में शामिल होने के लिए आ रहे थे तभी उनकी एसयूवी (स्पोर्ट्स यूटिलिटी व्हीकल) सुबह करीब पांच बजे दुर्घटनाग्रस्त हो गई।

मेटे अरब सागर में बनाये जा रहे छत्रपति शिवाजी महाराज स्मारक की कार्यकारी समिति के अध्यक्ष भी थे।

अधिकारी ने बताया कि दुर्घटना सुबह करीब पांच बजकर पांच मिनट पर पड़ोसी रायगढ़ जिले के रसायनी थाना क्षेत्र के मडप सुरंग के पास हुई। उन्होंने कहा कि दुर्घटना के वक्त कार में एक अन्य व्यक्ति और उनका ड्राइवर था और वे बीड से मुंबई जा रहे थे।

अधिकारी ने कहा कि मडप सुरंग के पास एक वाहन ने उनकी कार को टक्कर मार दी और उसमें सवार सभी लोगों को गंभीर चोटें आईं। उन्होंने कहा कि घायलों को नवी मुंबई में कामोठे स्थित एक निजी अस्पताल ले जाया गया जहां मेटे को मृत घोषित कर दिया गया।

पनवेल के एमजीएम अस्पताल में मेटे की जांच करने वाले एक डॉक्टर ने बाद में संवाददाताओं से कहा कि नेता को गंभीर रूप से घायल अवस्था में अस्पताल लाया गया था। डॉक्टर ने कहा, ‘‘उन्हें सुबह करीब छह बजकर 20 मिनट पर लाया गया था। अस्पताल लाने से पहले उनकी मृत्यु हो गई थी। हमने एक ईसीजी (इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम) भी की, लेकिन उसमें सीधी रेखा दिख रही थी (जो दिल के नहीं धड़कने का संकेत था)।’’

पूर्व विधान पार्षद (एमएलसी) मराठवाड़ा क्षेत्र के बीड जिले के रहने वाले थे और उनके परिवार में उनकी पत्नी और एक बेटी तथा एक पुत्र हैं।

दुर्घटना के समय मेटे का वाहन चला रहे एकनाथ कदम ने बताया कि मेटे को हादसे के बाद करीब एक घंटे तक कोई मदद नहीं मिली और किसी ने भी उनकी मदद करने व अस्पताल में भर्ती कराने के लिए अपना वाहन नहीं रोका।

कदम ने एक मराठी चैनल से बातचीत में कहा,‘‘हादसे के बाद मैंने पुणे-मुंबई एक्सप्रेसवे पर कई वाहनों को मदद के लिए रोकने की कोशिश की, लेकिन कोई वाहन नहीं रुका। लगभग एक घंटे के बाद सब्जी ले जा रहे एक वाहन चालक ने मेटे को अस्पताल पहुंचाने में मदद की।’’

पुलिस ने बताया कि है कि प्रथमदृष्टया जांच में प्रतीत हो रहा है कि मेटे के वाहन चालक ने एसयूवी पर से नियंत्रण खो दिया जिसकी वजह से उसने आगे जा रहे ट्रक को पीछे से टक्कर मार दी।

एक अधिकारी ने बताया कि हादसे के समय मेटे की एसयूवी छह लेन के एक्सप्रेसवे की दूसरी लेन पर थी। उन्होंने बताया कि इस हादसे में चालक एकनाथ कदम को मामूल चोटें आईं जबकि मेटे गंभीर रूप से घायल हो गए।

पुलिस द्वारा जारी बयान में कहा गया कि कदम ने दावा किया है कि हादसे के करीब एक घंटे तक एक्सप्रेस पर कोई मदद नहीं मिली। वहीं, हाईवे पुलिस ने चालक के इस दावे का खंडन किया। पुलिस ने कहा कि वह हादसे की सूचना मिलने के सात मिनट के भीतर मौके पर पहुंच गई थी।

अधिकारी ने बताया, ‘‘ राज्य हाईवे पुलिस ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि उसे हादसे की जानकारी सुबह पांच बजकर 58 मिनट पर मिली और पलासपे चौकी से पुलिसकर्मी मौके पर छह बजकर पांच मिनट पर पहुंच गए थे।’’

पुलिस ने कहा कि चालक के दावे को सत्यापित किया जा रहा है और मामले की जांच जारी है।

मेटे के करीबी सहयोगी ने बताया कि शिव संग्राम पार्टी के नेता संक्षिप्त अवधि के नोटिस पर रविवार को मराठा आरक्षण की भविष्य की रणनीति पर चर्चा के लिए बुलाई गई बैठक में शामिल होने के लिए बीड स्थित अपने घर से 400 किलोमीटर दूर मुंबई के लिए निकले थे।

उन्होंने बताया, ‘‘ मेटे ने रविवार को अपने गृह जिले में तिरंगा बाइक रैली आयोजित की थी। हालांकि , शनिवार को दोपहर बाद उन्हें सूचना मिली थी कि रविवार को मराठा आरक्षण के विषय पर चर्चा के लिए एक बैठक आयोजित की गई है।’’

इस बीच, पवार ने कहा कि सड़क हादसे की परिस्थितियों के बारे में गहन जांच से पता चल सकता है।

शिवसेना नेता अरविंद सावंत ने भी मेटे की मौत की गहन जांच की मांग की। उन्होंने कहा, ‘‘ मामले की गहन जांच की जानी चाहिए। महाराष्ट्र में हालिया घटनाक्रम के बावजूद मेटे ने एक शब्द नहीं कहा था। फिर क्यों उन्हें अचानक बैठक के लिए (मुंबई) बुलाया गया? किसने उन्हें बुलाया?’’

विभिन्न मराठा समूहों का प्रतिनिधित्व करने वाले और समुदाय को आरक्षण देने की मांग का समर्थन कर रहे दिलीप पाटिल तथा अबासाहेब पाटिल ने भी मेटे को अचानक बैठक के लिए मुंबई बुलाए जाने पर संदेह जताया है।

वहीं, मेटे की मौत पर विभिन्न दलों के नेताओं ने संवेदना व्यक्त की है।

महाराष्ट्र के मंत्री और भाजपा की प्रदेश इकाई के पूर्व अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल ने कहा कि मेटे की मौत उनके लिए सदमे की तरह है। पाटिल ने कहा, ‘‘वह वास्तव में मराठा आरक्षण के मुद्दे को उठा रहे थे। यह हमारे और मराठा समुदाय के लिए बहुत बड़ी क्षति है।’’

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के अध्यक्ष शरद पवार ने भी मेटे के निधन पर दुख जताया है। पवार ने एक टीवी चैनल से कहा, ‘‘उनका ध्यान राजनीतिक मुद्दों की तुलना में सामाजिक मुद्दों पर अधिक था। वह एक नेता की तुलना में एक सामाजिक कार्यकर्ता अधिक थे।’’

पवार ने कहा, ‘‘यह हमारे लिए एक बहुत बड़ा झटका है। उन्होंने शिक्षा और सरकारी नौकरियों में मराठों के लिए आरक्षण की मांग को आगे बढ़ाया।’’

कांग्रेस नेता और मराठा आरक्षण पर महाराष्ट्र उप-समिति के पूर्व अध्यक्ष अशोक चव्हाण ने कहा, ‘‘मेटे जैसे नेता को खोना दुर्भाग्यपूर्ण है। अलग-अलग राजनीतिक दलों में होने के बावजूद, राज्य में मराठा आरक्षण के मुद्दे पर मेटे और मेरा लगभग एक ही मत था।’’

उन्होंने कहा कि अलग राजनीतिक पार्टी के होने के बावजूद मेटे और मैं राज्य में मराठा आरक्षण के मुद्दे पर एकमत थे।

शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने कहा कि मराठा आरक्षण हासिल करने के लिए संघर्ष कर रहे विनायक मेटे का असमय जाना कष्टदायक है। उन्होंने कहा, ‘‘मैंने मराठा समुदाय के लिए आरक्षण हासिल करने की उनकी प्रतिबद्धता देखी है। उनकी मृत्यु हो जाने से एक शून्य पैदा हो गया है।’’

मेटे और उनके संगठन के कुछ अन्य कार्यकर्ताओं ने 2008 में एक मराठी दैनिक के संपादक कुमार केतकर के आवास पर हमला किया था। उन्होंने अरब सागर में छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा स्थापित करने के संबंध में राज्य की तत्कालीन सरकार के फैसले के खिलाफ एक संपादकीय लिखने के विरोध में यह हमला किया था।

भाषा धीरज सुभाष

सुभाष

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)