पिछले चार दिनों में क्या 'चमत्कार' हुआ : मप्र चुनाव में ओबीसी कोटा फैसले पर पटोले ने पूछा |

पिछले चार दिनों में क्या ‘चमत्कार’ हुआ : मप्र चुनाव में ओबीसी कोटा फैसले पर पटोले ने पूछा

पिछले चार दिनों में क्या 'चमत्कार' हुआ : मप्र चुनाव में ओबीसी कोटा फैसले पर पटोले ने पूछा

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:32 PM IST, Published Date : May 18, 2022/9:10 pm IST

मुंबई, 18 मई (भाषा) कांग्रेस की महाराष्ट्र इकाई के अध्यक्ष नाना पटोले ने बुधवार को कहा कि पिछले चार दिनों में ऐसा क्या ‘चमत्कार’ हुआ कि उच्चतम न्यायालय ने मध्य प्रदेश सरकार को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए आरक्षण के साथ स्थानीय निकाय चुनाव कराने की अनुमति दे दी।

पटोले ने पत्रकारों के साथ बातचीत में दावा किया कि महाराष्ट्र पिछले दो वर्षों से ओबीसी के राजनीतिक आरक्षण को बहाल करने के लिए लड़ रहा है जिसमें केंद्र सरकार लगातार अवरोध पैदा कर रही है और उसने आरक्षण के लिए आवश्यक डेटा प्रदान करने से इनकार कर दिया है।

उन्होंने कहा, ‘उच्चतम न्यायालय ने मध्य प्रदेश सरकार को ओबीसी आरक्षण के साथ चुनाव कराने की इजाजत दी है, लेकिन ऐसा लगता है कि महाराष्ट्र के मामले में उसने एक अलग रुख अपनाया है। पिछली सुनवाई में महाराष्ट्र को दिए गए निर्देश भी मध्य प्रदेश को दिए गए थे।’ पटोले ने कहा कि पिछले चार दिनों में ऐसा क्या चमत्कार हुआ कि शीर्ष अदालत ने पड़ोसी राज्य को अनुमति दे दी।

उच्चतम न्यायालय ने मध्य प्रदेश के स्थानीय निकाय चुनावों में ओबीसी आरक्षण को बुधवार को मंजूरी दे दी। इससे पहले 10 मई को न्यायालय ने आदेश पारित कर कहा था कि जब तक राज्य सरकार त्रि-परीक्षण औपचारिकता को ‘‘सभी प्रकार से’’ पूरा नहीं कर लेती, तब तक ओबीसी के लिए आरक्षण की व्यवस्था नहीं की जा सकती।

कांग्रेस नेता ने पूछा, ‘मध्य प्रदेश सरकार ने कौन सा डेटा प्रदान किया जो उच्चतम न्यायालय को संतुष्ट करता है? क्या केंद्र सरकार ने वह डेटा मध्य प्रदेश सरकार को दिया?’

उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी न्यायालय के आदेश का अध्ययन करेगी और आगे की कार्रवाई पर फैसला करेगी।

पटोले ने कहा, ‘कांग्रेस लगातार ओबीसी के आरक्षण के लिए लड़ रही है। दुर्भाग्य से, भाजपा इस मुद्दे का राजनीतिकरण करना चाहती है और महाराष्ट्र में समुदाय को आरक्षण के अधिकार से वंचित करना चाहती है। हालांकि, राज्य में चुनाव ओबीसी आरक्षण के साथ होंगे।’

भाषा नेत्रपाल पवनेश

पवनेश

 

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