उस्ताद जाकिर हुसैन ने दिया ऐसा बयान सुनकर हो जाएंगे हैरान, नहीं होगा यकीन…

उस्ताद जाकिर हुसैन ने दिया ऐसा बयान सुनकर हो जाएंगे हैरान : You will be surprised to hear such a statement by Ustad Zakir Hussain, will not

उस्ताद जाकिर हुसैन ने दिया ऐसा बयान सुनकर हो जाएंगे हैरान, नहीं होगा यकीन…
Modified Date: July 15, 2023 / 09:10 pm IST
Published Date: July 15, 2023 6:49 pm IST

मुंबई । जानेमाने तबला वादक उस्ताद जाकिर हुसैन ने कहा है कि संगीत उनकी दुनिया है और इसे वह एक परिधान की तरह धारण करते हैं और तबले के बिना वह अपने अस्तित्व की कल्पना भी नहीं कर सकते। हुसैन भारत के उन प्रसिद्ध शास्त्रीय संगीतकारों में से एक हैं जिन्होंने फिल्मों के लिए भी संगीत तैयार किया है और कुछ फिल्मों में अभिनय भी किया है। उन्होंने कहा कि उनके पिता एवं प्रसिद्ध तबलावादक उस्ताद अल्ला रक्खा का मानना था कि संगीत के प्रत्येक छात्र के लिए इसके साथ घनिष्ठ संबंध रखना महत्वपूर्ण होता है। हुसैन ने ‘पीटीआई-भाषा’ के साथ एक साक्षात्कार में कहा, ‘‘मेरे पिता हमेशा कहते थे कि प्रत्येक वाद्ययंत्र में एक आत्मा होती है और यदि आप एक छात्र हैं, तो आपका आधा प्रयास इसको लेकर होता है वह आत्मा आपको एक साथी के रूप में, एक दोस्त के रूप में स्वीकार करे। एक बार ऐसा हो जाने पर, यंत्र बताता है कि आपको इसके साथ किसी तरह से व्यवहार करना चाहिए, इसे किस तरह से छूना है और इसके माध्यम से खुद को अभिव्यक्त करना है।’’ बहत्तर वर्षीय हुसैन ने कहा कि वह तबले के बिना अपने अस्तित्व की कल्पना नहीं कर सकते और इस तालयंत्र को वह बचपन से बजाते आ रहे हैं।

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उन्होंने कहा, ‘‘संगीत मेरी दुनिया है। यह वह परिधान है जिसे मैं पहनता हूं। तबला एक साथी है, यह एक भाई है, एक दोस्त है, यह वह बिस्तर है जिस पर मैं सोता हूं… मैं उस बिंदु पर हूं जहां मेरे तबले की आत्मा के साथ मेरा रिश्ता विशेष है। मैं खुद को एक ऐसी जगह पर पाता हूं जहां मैं कल्पना नहीं कर सकता कि मेरा इसके बिना अस्तित्व हो सकता है। यह मुझे सुबह उठकर ‘हैलो’ कहने के लिए प्रेरित करता है।’’ उन्होंने कहा कि यह सोचना गलत है कि भारतीय शास्त्रीय संगीत में फिल्म संगीत जैसा ही आकर्षण होगा।उन्होंने कहा, ‘‘मैं अपने भारतीय संगीतकार मित्रों को सलाह देता हूं कि इस बात से निराश न हों कि आपको कार्यक्रमों में उस तरह के दर्शक नहीं मिलते जैसे ए आर रहमान, शंकर एहसान लॉय और सलीम-सुलेमान को उनके संगीत समारोहों में मिलते हैं। आपको यह अहसास होना चाहिए कि आपका संगीत एक अलग तरह का है और इसके दर्शक भी अलग मिजाज के होंगे। इसी तरह आपका संगीत सफलता हासिल करता है, यदि आप इसे स्टेडियम में पेश करेंगे तो वह अपनी आभा खो देगा।’’

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संगीत और कला का उनके जीवन और यहाँ तक कि उनके परिवार पर गहरा प्रभाव पड़ा। हुसैन ने कहा कि संगीत ‘उनके जीने के तरीके, उनके चरित्र, उनकी पसंद और नापसंद को स्वरूप देता है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मेरी पत्नी (एंटोनिया मिनेकोला) एक नर्तकी हैं, मेरी एक बेटी फिल्म निर्माता जबकि मेरी दूसरी बेटी एक बैले शिक्षक है, इसलिए सब कुछ कला और संगीत है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘यह एक ऐसी अनुकूल जगह है जहां हम सभी एक ऐसी दुनिया में हैं जहां हम समान विचारों के साथ एक ही रास्ते पर आगे बढ़ते हैं। संगीत ने मुझे वह सब कुछ दिया है जो मैं आज हूं। संगीत मुझे दुनिया के सामने लाया, यह दुनिया को मेरे पास लाया। मैं संगीत से अलग होने की कल्पना नहीं कर सकता। यह वह पोशाक है जिसे मैं पहनता हूं।’’ हुसैन वर्तमान में ‘द सिम्फनी ऑर्केस्ट्रा ऑफ इंडिया (एसओआई) ऑटम 2023 सीज़न’ के लिए 23 और 24 सितंबर को शहर में जानेमाने सितारवादक नीलाद्री कुमार और बांसुरी वादक राकेश चौरसिया के साथ प्रस्तुति के लिए उत्सुक हैं।

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दस सितंबर से शुरू होने वाले इस कार्यक्रम में पश्चिमी आर्केस्ट्रा परंपराओं के साथ भारतीय शास्त्रीय संगीत के मिश्रण का प्रदर्शन किया जाएगा। पद्म विभूषण पुरस्कार से सम्मानित हुसैन का मानना है कि कलाकारों को खुद को प्रेरित रखने में कोई कठिनाई नहीं होती है। उन्होंने कहा कि इसका कारण वह नयापन है जो दुनिया भर के कलाकारों के साथ सहयोग करने से आता है। संगीत की तुलना क्रिकेट से करते हुए हुसैन ने कहा कि भारतीय शास्त्रीय संगीत एक ‘खुशहाल मुकाम’ पर है और इसका भविष्य उज्ज्वल है क्योंकि कई युवा संगीतकार अपनी पहचान बनाने की कोशिश कर रहे हैं। तबला वादक के रूप में अपने काम के अलावा, हुसैन ने ‘मंटो’ और ‘मिस्टर एंड मिसेज अय्यर’ सहित कई फिल्मों के लिए संगीत भी तैयार किया है। उन्होंने ‘हीट एंड डस्ट’, ‘द परफेक्ट मर्डर’ और ‘साज़’ फिल्मों में अभिनय भी किया। समय की कमी के कारण, मुख्य रूप से संगीत कार्यक्रमों से संबंधित उनकी प्रतिबद्धताओं के चलते, हुसैन फिल्मों के लिए समय नहीं निकाल पाते हैं।

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