IBC24 नारी रत्न सम्मान 2021: ‘डॉ. अर्चना शर्मा’ रिटायर होने के बाद भी मानव सेवा की मिसाल, सुदूर ग्रामीण अंचलों में हेल्थ कैंप से बनाई नई पहचान

IBC24 नारी रत्न सम्मान 2021: 'डॉ. अर्चना शर्मा' रिटायर होने के बाद भी मानव सेवा की मिसाल, सुदूर ग्रामीण अंचलों में हेल्थ कैंप से बनाई नई पहचान

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  • Publish Date - March 6, 2021 / 09:28 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:18 PM IST

दुर्ग। अपने लिए तो हर कोई जीता है…जिंदगी वो हो जो दूसरों के काम आए…दुर्ग जिले की डॉ अर्चना शर्मा ने अपनी पूरी जिंदगी इसी सूत्र वाक्य को जिया है…आयुर्वेद विज्ञान में बीएमसी डिग्री हासिल करने के बाद 1981 में प्रथम श्रेणी वैद्य के तौर पर पदस्थापना हुई…कर्मक्षेत्र में परिवार नियोजन कार्यक्रम में…साल 1987 से 1992 तक महती भूमिका निभाते हुए सफल संचालन किया…तकरीबन 17 सालों तक अलग-अलग आयुर्वेद चिकित्सालयों में RMO पद पर रहकर….मानवसेवा करने के बाद डॉक्टर अर्चना भले अपने नौकरी से रिटायर हुई हों लेकिन सेवाभाव में कहीं कोई कमी नहीं आई है…आज भी वो सुदूर ग्रामीण अंचलों में हेल्थ कैंप लगाकर वो गरीब परिवारों को इलाज करती हैं,साथ ही लोगों को औषधीय पौधे लगाने के लिए प्रेरित करती हैं…सेवाभाव से मानव सेवा को समर्पित दुर्ग की डॉक्टर अर्चना शर्मा को नारी रत्न सम्मान देते हुए ‘आईबीसी24’ गर्व का अनुभव कर रहा है।

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महिला सम्मान के लिए चयनित आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी के रुप में डॉ अर्चना शर्मा का नाम काफी लोक​प्रिय है । चिकित्सक बनने के पहले से ही डॉ अर्चना दूसरों की मदद करती आई है । आयुर्वेद विज्ञान में बीएससी की डिग्री प्राप्त करने के बाद साल 1981 में पब्लिक सर्विस कमीशन द्वारा प्रथम श्रेणी वैद्य में पदस्थापना हुई । साल 1987 से 1992 तक परिवार नियोजन कार्यक्रम का सफलतापूर्वक संचालन उन्होंने किया । इसके बाद 1992 से 2009 लगभग 17 सालों तक अलग अलग आयुर्वेद चिकित्सालयों में आरएमओ के पद पर रहते हुए लोगों की मदद की । इस दौरान 2008 में उन्हे पूरे दुर्ग जिले में चिकित्सा शिविरों के सफल संचालन के लिेए ब्लाक प्रभारी नियुक्त करते हुए बड़ी जिम्मेदारी दि गई ।

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2009 में ही उन्हे वैद्यनाथ धनवंतरी पुरस्कार एवं पियूषवाणी उपाधि से सम्मानित किया गया । शासकीय सेवा से रिटायर होने के बाद भी उन्होने लोगों की सेवा करना नहीं छोड़ा। लगातार वे ग्रामीण अंचलों में हेल्थ कैंप का आयोजन करती है । सामाजिक संस्थाओं से जुड़कर वे कई निर्धन परिवार को उनके यहां बच्चों की शादी में मदद लगातार करती आ रही हैं । आज भी वे किसी जरुरतमंद मरीज के फोन आने पर वे उनके घर जाकर भी इलाज करने से पीछे नहीं हटती ।

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डॉ अर्चना शर्मा पेशे से चिकित्सक होने के साथ साथ शुरू से ही गृहणी की जिम्मेदारी भी अच्छे से निभाती आई हैं । आज भी वे घर में किचन का काम खुद देखती हैं…उन्हे गार्डनिंग का बहुत शौक है…इसलिए उन्होने अपने घर पर ही एक छोटा से बगीचा बना रखा है…जिसमें कई औषधीय पौधे लगाए हैं….लोगों को आयुर्वेद के प्रति जागरुक करने के साथ-साथ वे लोगों को औषधीय पौधे भी लगाने के लिए प्रेरित करती हैं । अपने अब तक के सफर में उन्होंने सेवा कार्य की कई मिसाल पेश की है जो आज के युग में दूसरे चिकित्सकों के लिए एक प्रेरणा है।