IBC24 नारी रत्न सम्मान : युवाओं के लिए आइडल बनी 56 साल की सिस्टर दीदी, बीहड़ जंगल, पहाड़ों को पार कर गांव-घर में पहुंचा रही स्वास्थ्य सेवाएं

IBC24 नारी रत्न सम्मान : युवाओं के लिए आइडल बनी 56 साल की सिस्टर दीदी, बीहड़ जंगल, पहाड़ों को पार कर गांव-घर में पहुंचा रही स्वास्थ्य सेवाएं

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  • Publish Date - March 5, 2021 / 08:53 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:55 PM IST

रायपुर। स्वास्थ्य सेवक कैसे धरती पर भगवान के समान हैं। कोरोनाकाल में ये देश और दुनिया देख समझ चुकी है। सीतापुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के सूर उपस्वास्थ्य केंद्र में ANM पद पर सेवारत मगदली तिर्की भी ऐसी ही शख्सियत हैं। जिन्हें इलाके के लोग सिस्टर दीदी के नाम से जानते हैं। मगदली बीते 15 सालों से सूर में स्वास्थ्य सेवाओं को गांव-गांव,घर-घर पहुंचा रही हैं। 56 साल की उम्र में पहाड़ी कोरवा परिवारों के इलाज के लिए मगदली। कंधे पर बैग टांगे, हाथों में अपने दवाओं से भरी पेटी लिए। सुदूर इलाकों में पहुंचने के लिए पहाड़ चढ़ने, मीलों चलने से भी गुरेज नहीं करतीं। बीहड़ जंगल, उबड़ खाबड पगडंडियों उनके लिए कोई मायने नहीं रखते। मायने रखता है तो बस हर हफ्ते टीकाकरण के लिए तय लक्ष्य। स्वास्थ अधिकारी भी मगदली को आइडल मानते हैं। स्वास्थ क्षेत्र में उत्कृष्ट सेवा देने वाली। मगदली तिर्की को..IBC24 नारी रत्न सम्मान से नवाजा गया।

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स्वास्थ सेवा के क्षेत्र में काम करने वालो को तो वैसे भी भगवान का रूप माना जाता है मगर इस पेशे में भी कुछ लोग अपने बेहतर काम से अपना अलग मुकाम बना जाते हैं आज 56 वर्ष की उम्र में भी युवाओं के लिए प्रेरणा देने का काम किया है। इस सख्सियत का नाम है मगदली तिर्की, पद एएनएम, पदस्थापना सीतापुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के सूर उपस्वास्थ्य केंद्र में मगदली तिर्की वो नाम है जो पिछले 15 सालों से सूर में पदस्थ रहकर स्वास्थ सेवाओं को गांव—गांव और घर—घर तक पहुंचाने का काम कर रही है।

सूर के महुआबथान बस्ती तक आज तक कोई सड़क नहीं बन सकी है और यहां करीब एक दर्जन पहाड़ी कोरवाओं का परिवार रहता है। कुछ साल पहले तक यहां स्वास्थ सेवाएं नहीं पहुंच पाती थी मगर मगदली के पदस्थापना के बाद से अब स्वास्थ सेवाएं यहां तक पहुंच रही है।

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दरअसल सूर उपस्वास्थ्य केंद्र से करीब 7 किलोमीटर इस बस्ती तक पहुंचने के लिए आपको करीब 3 किलोमीटर की पहाड़ी पार करनी होगी, जहां चार पहिया वाहन तो दूर साइकल या मोटरसाइकल तक नहीं पहुंच सकती। इस बस्ती तक स्वास्थ सेवाएं पहुंचाने की चुनौती को मगदली ने बखूबी निभाया है।

मगदली अपने एक साथी के साथ कंधे पर बैग और हाथों में अपने दवाओं से भरी पेटी लेकर ऐसे पहाड़ चढ़ती है मानो ये उनके लिए बेहद आसान हो। बीहड़ जंगल, उबड़ खाबड पगडंडी से होकर गुजरने वाले इस रास्ते पर चलने के लिए पेड़ों के जड़ों और झाड़ियों का भी सहारा लेना पड़ता है। मगदली हर कार्यक्रम के समय यहां तो पहुंचती ही है साथ ही टीकाकरण के लिए हर हफ्ते वो इतना कठिन रास्ता तय करती है।

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मगदली को देखते ही इस इलाके के लोग उन्हें सिस्टर दीदी कहकर पुकारते हैं। पहाड़ी करवाओं को कुछ साल पहले तक छोटे मोटे इलाज के लिए सीतापुर जाना पड़ता था, कई बार बच्चों को लगने वाले टीके नहीं लग पाते थे। मगर अब ऐसा नहीं है हर बच्चे को टीका लगाने के साथ ही उनके स्वास्थ्य का जिम्मा एक तरह से मगदली ने ले लिया है।

गांव के पहाड़ी कोरवा भी मगदली की तारीफ करते नहीं थकते। इधर स्वास्थ अधिकारी भी मगदली को युवाओं के लिए किसी आइडल से कम नहीं मानते और उनका कहना है कि मगदली जैसे कर्मठ एएनएम के कारण ही स्वास्थ सेवा का असली अर्थ संभव हो पा रहा है।

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