IBC24 नारी रत्न सम्मान: सूझबूझ, कौशल, लगन और नारी शक्ति की मिसाल बना राजधानी का ये महिला समूह, महिलाओं को बनाया आत्मनिर्भर

IBC24 नारी रत्न सम्मान: सूझबूझ, कौशल, लगन और नारी शक्ति की मिसाल बना राजधानी का ये महिला समूह, महिलाओं को बनाया आत्मनिर्भर

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  • Publish Date - March 6, 2021 / 05:31 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 07:52 PM IST

रायपुर। कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो, कोई भी वक्त सही हो सकता। कुछ भी कर दिखाया जा सकता है। रायपुर जिले के सेरी-खेड़ी स्थित महिला समूह की महिलाओं ने इसे एक बार फिर सच कर दिखाया है। समूह में 4 सौ से अधिक महिलाएं काम करती हैं। बड़ी बात ये कि ये महिलाएं बदलते समय और जरूरत के हिसाब से नए-नए उत्पाद बनाती हैं। मसलन कोरोना काल में मास्क और सेनेटाइजर बनाकर लोगों को कम कीमत पर उपलब्ध कराना हो या फिर दिवाली पर इको फ्रेंडली दिये।

अभी भी य़े महिलाएं फूलों के रंग से गुलाल बना रही हैं। ताकि लोग इको फ्रेंडली कलर्स के साथ होली सेलिब्रेट कर सकें। ये जुझारू महिला समूह अगरबत्ती निर्माण से लेकर मशरूम उत्पादन,साबुन,मोमबत्ती उत्पादन सब कुछ कर रहा है। सूझबूझ, कौशल, लगन और नारी शक्ति की मिसाल बन चुके सेरी-खेड़ी स्व सहायता समूह को। उनके कार्यों के लिए ये मंच प्रणाम करता है।

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सबसे भारी होता है माथे का वो घूंघट जिसमें संस्कारों के नाम पर पिघल जाती हैं न जाने कितनी ही कलाएं योग्यताएं और प्रतिभा। इन्ही प्रतिभाओं को सवंर रही है छत्तीसगढ़ की बिहान योजना। इस योजना के माध्यम से महिला स्व-सहायता समूहों योजना से जोड़ा जा रहा है और अधिक से अधिक महिलाओं को इसके माध्यम से रोजगार दी जा रही है।

समूह के माध्यम से कोई एक निश्चित काम नहीं किया जाता बल्कि बदलते समय और जरूरत के हिसाब से नए नए उत्पाद बनाए जाते हैं। सेरी खेड़ी स्थित कार्यलय में इन दिनों 4 सौ से अधिक महिलाएं काम कर रहीं है। जब पूरा देश अपने घरों में था और लगातार मास्क और सेनेटाइजर के दाम बढ़ रहे थे। तब इन महिलाओं ने कपड़े का मास्क और सेनेटाइजर बनना शुरू किया।

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दिवाली में समूह से जुडी महिलाओं ने इको फ्रेंडली दिए भी बनाए। होली आने वाली है होली को केमिकल फ्री करने के लिए समूह की महिलाएं फूलों के रंग से गुलाल बना रहीं हैं। ये गुलाल मंदिर में चढ़ाने वाले फूल मालों से बनाया जा रहा है। यहां पर आने वाली महिलाएं अलग अलग समूह में बटकर अपने पसंद के हिसाब से काम कर रही हैं। समूह के द्वारा अगरबत्ती निर्माण से लेकर मशरूम उत्पादन किया जा रहा है, यहां पर कुछ महिलाएं साबुन बनाती हैं तो कुछ घर में सजाने के लिए मोमबत्ती। कार्यलय के बगल में ही आंगनबाड़ी केंद्र हैं ताकि महिलाएं अपने छोटे बच्चों को साथ लेकर वहां भेज सके। काम के साथ साथ उनका ध्यान भी रख सके।