जय जवान जय किसान का अमर नारा देने वाले 'लाल बहादुर शास्त्री' की 113वी जयंती | 113th Birth Anniversary of Lal Bahadur Shastri,

जय जवान जय किसान का अमर नारा देने वाले ‘लाल बहादुर शास्त्री’ की 113वी जयंती

जय जवान जय किसान का अमर नारा देने वाले 'लाल बहादुर शास्त्री' की 113वी जयंती

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:11 PM IST, Published Date : October 2, 2017/8:31 am IST

 

आज लाल बहादुर शास्त्री की 113वीं जयंती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित देशभर के नेताओं ने शास्त्री को याद करते हुए उन्हे श्रद्धा सुमन अर्पित किए। नरेंद्र मोदी ने पूर्व प्रधानमंत्री की विजय घाट स्थित समाधी पर जाकर पुष्पांजलि अर्पित की। मोदी ने ट्वीट किया किसानों और जवानों को प्रेरणा देने वाले और राष्ट्र का कुशल नेतृत्व करने वाले शास्त्री जी को मेरा नमन। 

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लाल बहादुर शास्त्री का जन्म 1904 में यूपी के मुगलसराय में हुआ था। केवल डेढ़ वर्ष की आयु में उनके पिता का देहांत हो गया था। प्रारंभिक शिक्षा के बाद उच्च शिक्षा के लिए शास्त्री को वाराणसी भेज दिया गया। अपनी पड़ाई के साथ ही शास्त्री ने देश की स्वतंत्रा के लिए भी काम करना शुरू कर दिया जिसके बाद उन्होंने कई आंदोलनों में सक्रिय भूमिका भी निभाई। अपनी इन्ही सक्रिय भूमिकाओं के कारण उन्हे कई वर्षांे तक  जेल में भी रहना पढ़ा। आजादी के इस संघर्ष ने उन्हें पूर्णतः परिपक्व बना दिया। देश के आजाद होने के बाद जब कांग्रेस सत्ता में आई तो उन्हे अपने गृह प्रदेश उत्तर प्रदेश का संसदीय सचिव नियुक्त किया गया। जल्द ही वे गृहमंत्री के पद पर भी आसीन हुए। सन 1951 में उन्हे नई दिल्ली बिला लिया गया जिसके बाद उन्होंने कई प्रमुख विभागांे का प्रभार संभाला रेल, परिवहन, संचार, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री रहे।

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भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की मौत के बाद उन्हे देश के प्रधानमंत्री के रूप में चुना गया। उनके प्रधानमंत्री पद संभालने के समय देश खाद्यान संकट से जूझ रहा था जिस पर उन्होंने प्रधानमंत्री निवास में फसल की बुवाई कर देश से अधिक से अधिक जगह का उपयोग फसल उत्पादन करने के लिए किया। इन्ही समस्याओं के बीच 1965 में पाकिस्तान युद्ध छेड़ दिया। जिसमें गजब का नेतृत्व करते हुए लाल बहादुर शास्त्री ने देश पाकिस्तान को घुटनों पर लाने का कार्य किया। जिसके ताशकंद में युद्ध विराम का समझोता हुआ। उसी रात को किन्ही अज्ञात कारणों से शास्त्री जी का निधन हो गया है। लेकिन आज भी देश उनके कार्यों के लिए उन्हे याद करता रहता है।