ग्वालियर-चंबल की 16 सीटें तय करेंगी भाजपा सरकार और कांग्रेस का ​भविष्य, एक दूसरे के दल में सेंधमारी जोरों पर | 16 seats in Gwalior-Chambal will decide the future of BJP government and Congress, in each other's party, in a frenzy

ग्वालियर-चंबल की 16 सीटें तय करेंगी भाजपा सरकार और कांग्रेस का ​भविष्य, एक दूसरे के दल में सेंधमारी जोरों पर

ग्वालियर-चंबल की 16 सीटें तय करेंगी भाजपा सरकार और कांग्रेस का ​भविष्य, एक दूसरे के दल में सेंधमारी जोरों पर

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:14 PM IST, Published Date : October 2, 2020/9:47 am IST

ग्वालियर। मध्य प्रदेश में 28 सीटों पर उपचुनाव होना है। जिसमें से 16 सीटें ग्वालियर चंबल अंचल की है। इसलिए बीजेपी हो या कांग्रेस सभी का पूरा फोकस ग्वालियर चंबल पर है। हालांकि दोनों ही दलों के समीकरण उपचुनाव में पूरी तरह से गड़बड़ाए हुए हैं। बावजूद इसके कांग्रेस-बीजेपी दोनों ही एक दूसरे के दल में सेंधमारी कर रहे हैं। जिससे वो ज्यादा से ज्यादा सीटे हासिल कर सकें। क्योंकि यही से तय होगा… कि मध्य प्रदेश में अगली सरकार की किसकी होगी।

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मध्य प्रदेश का ग्वालियर चंबल इलाका, जिसने साल 2018 के विधानसभा के चुनावों में कांग्रेस का 15 साल का सत्ता वनवास खत्म कराया था। उसी चंबल के नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस की सरकार को बनाने में अहम किरदार निभाया और 15 महीने बाद कांग्रेस की सरकार को गिराया भी लेकिन अब बीजेपी और कांग्रेस की अग्नि परीक्षा ग्वालियर चंबल से है क्योंकि 28 सीटों में से यहां की 16 सीटों पर उपचुनाव है और यहीं 16 सीट तय करेंगी की मध्य प्रदेश की नई सत्ता का सिकंदर कौन होगा। ऐसे में कांग्रेस हो या फिर बीजेपी दोनों ही एक दूसरें के दलों में सेंधमारी कर रही है। बुधवार को कांग्रेस के तीन बड़े चेहरे अशोक शर्मा, बंसत शर्मा ओर केशव मांझी ने बीजेपी ज्वाइन कर ली। ऐसे में बीजेपी दावा कर रही है कि 16 सीटों के साथ-साथ बाकी सीटों पर भी कमल खिलेगा।

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2018 के विधानसभा उपचुनाव में ग्वालियर चंबल की 34 सीटों में से 27 सीटों पर कांग्रेस ने जीत हासिल की थी। साथ ही एक सीट बीएसपी की झोली में गई थी हालंकि 2018 विधानसभा चुनाव में सवर्ण आंदोलन, STSC आंदोलन उफान पर था जिसका नतीजा ये हुआ था कि चंबल अंचल से बीजेपी को बड़ा झटका लगा। जिससे शिवराज सरकार मध्य प्रदेश से चली गयी थी और कमलनाथ सरकार आ गयी थी। लेकिन बाद में सिंधिया और उनके समर्थक 22 विधायकों के पाला बदलने से कांग्रेस सत्ता से बेदखल हो गई और बीजेपी एक बार फिर सत्ता के सिंहासन पर काबिज हो गई। अब 28 सीटों के लिए 3 नवबंर को मतदान होगा, ऐसे में कांग्रेस का कहना है जो माहौल बीजेपी के खिलाफ 2018 में था। आज वहीं माहौल 2020 में फिर से बीजेपी के खिलाफ है। जिसका फायदा कांग्रेस को उपचुनाव में मिलेगा।

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बहरहाल ग्वालियर चंबल अंचल में बीजेपी की कमान खुद ज्योतिरादित्य सिंधिया, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर संभाले हुए हैं। तो वहीं कांग्रेस की तरफ से पीसीसी चीफ कमलनाथ हर स्तर पर चंबल की 16 सीटों की खुद मॉनीटिरंग कर रहे हैं लेकिन एक नजर इस ओर भी देखें कि जिन 16 सीटों पर चुनाव होना है, उनमें 16 सीटों में से 12 सीटें ऐसी थी जिन पर भाजपा के प्रत्याशी कांग्रेस के प्रत्याशी से 10,000 से लेकर 57,000 वोट के अंतर से हार गए थे। ऐसे में चंबल के दंगल में कौन कितना इस उपुचानव में कामयाब हो पाता है ये तो 10 नवबंर को पता चलेगा।

 
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