भिलाई। इस्पात संयंत्र मेन गेट के बाहर 300 गाड़ियां खड़ी हो गई हैं। इन गाड़ियों में हेल्पर न होने की बात कर सीआईएसएफ ने इन्हें रोक दिया है। जबकि तीन माह पहले गाड़ियों से चोरी होने की बात पर सीआईएसएफ ने ही हेल्पर रखने की मनाही की थी। इन गाड़ियों के माध्यम से ही छोटे उद्योगों में रॉ मटेरियल सप्लाई होता है। शुक्रवार को लगभग तीन करोड़ रुपए से अधिक का व्यापार पांच घंटे प्रभावित रहा।
ट्रांसपोर्टर्स का कहना है कि भिलाई स्टील प्लांट की मनमानी के कारण ट्रांसपोर्टर्स का करोड़ों का नुकसान हो रहा है। कभी बीएसपी मैनेजमेंट कहता है कि हेल्पर चाहिए, कभी बोलती है कि हेल्पर नहीं चाहिए। हेल्पर लेकर आते हैं तो हेल्पर को गेट के बाहर ही रोक दिया जाता है। उनका कहना है कि हेल्पर को बाहर में रुकने के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। आज गाड़ी के ड्राइवर ही नहीं मिल रहे तो हेल्पर कहां से मिलेंगे। उन्होंने बताया कि 200 से 300 गाड़ी बाहर ही खड़ी है। बीएसपी मैनेजमेंट के अधिकारी बात नहीं कर रहे हैं। मार्च का महीना क्लोजिंग का है। ज्यादा से ज्यादा मटेरियल भी नहीं उठाएंगे, तीनों गेट में गाड़ियों का चक्का जाम कर देंगे।
बता दें कि बीएसपी से रोजाना 1180 कंपनियों के लगभग 1000 ट्रक से रॉ मटेरियल निकलता है। बी एसपी रेल पांत बनाने के बाद यह मटेरियल बेच देता है। इस मटेरियल से बीएसपी के सहायक उद्योग नट बोल्ट सहित अन्य सामान बनाते हैं। सामान बनाने के लिए इस मटेरियल को स्थानीय ट्रांसपोर्टर्स ढुलाई कर छोटी कंपनियों तक प्रतिदिन पहुंचाते हैं। आरोप है कि प्लांट में लगे सीआईएसएफ के अधिकारी ट्रांसपोर्टर को कई प्रकार से परेशान कर रहे है और इसके पीछे उनका मकसद रुपए लेना है।