एआईसीटीई ने इंजीनियरिंग डिग्री की समतुल्यता संबंधी शब्दावली पर संस्थानों से फैसला करने को कहा | AICTE asked institutions to decide on equivalence of engineering degree

एआईसीटीई ने इंजीनियरिंग डिग्री की समतुल्यता संबंधी शब्दावली पर संस्थानों से फैसला करने को कहा

एआईसीटीई ने इंजीनियरिंग डिग्री की समतुल्यता संबंधी शब्दावली पर संस्थानों से फैसला करने को कहा

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 09:00 PM IST, Published Date : November 17, 2020/11:24 am IST

नयी दिल्ली, 17 नवंबर (भाषा) अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) ने कहा है कि प्राध्यापकों की नियुक्ति और विभिन्न इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी संकाय में शब्दावली की समतुल्यता या प्रासंगिकता के संबंध में सवालों पर संस्थानों को ही फैसला करना होगा।

तकनीकी शिक्षा के नियामक ने 2017 में इंजीनियरिंग की मुख्य शाखाओं और उसके उपयुक्त पाठ्यक्रम की सूची तैयार की थी । इस सूची में प्राध्यापकों की भर्ती के संबंध में सभी तरह की शब्दावली शामिल थी जो एआईसीटीई ने संस्थानों के लिये मंजूर की थी ।

एक आधिकारिक आदेश में कहा गया, ‘‘इसके बावजूद परिषद को संकाय सदस्यों और सरकारों, तकनीकी शिक्षा निदेशालयों (डीटीई) से एआईसीटीई मान्यताप्राप्त संस्थानों में संकाय पदों की योग्यता के संबंध में बड़ी संख्या में शिकायतें मिली हैं।’’

आदेश में कहा गया, ‘‘इन वजहों से यह स्पष्ट किया जाता है कि एआईसीटीई उच्च शिक्षा के साथ ही भर्ती के लिए किसी भी स्तर पर मान्यता प्राप्त संस्थानों और विभागों के लिए समतुल्य योग्यता की विस्तृत सूची तैयार नहीं करेगी। भर्ती के मामले में नियोक्ता को किसी खास पद पर उपयुक्त योग्यता को देखना होगा और शैक्षणिक मामलों में उच्च शिक्षण संस्थानों को ही यह निर्णय लेना होगा।’’

परिषद ने अगस्त में सूचित किया था कि संकाय की भर्ती के लिए विभिन्न इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी शाखाओं को समतुल्य या प्रासंगिक पदों के सवालों को राज्य स्तर पर ही सुलझाना चाहिए।

सदस्य सचिव राजीव कुमार ने कहा था, ‘‘इस सूची में सभी तरह की शब्दावली शामिल थी जो एआईसीटीई ने संस्थानों के संचालन के लिये मंजूर की गयी थी । हालांकि यह एआईसीटीई के दायरे से बाहर है कि विभिन्न आईआईटी, एनआईटी, विश्वविद्यालयों की ओर से पेश की गई शब्दावली को समय-समय पर अपडेट करे क्योंकि ये संस्थान एआईसीटीई की जानकारी के बिना अपने संचालक बोर्ड की मंजूरी से कोर्स शुरू करने को सशक्त हैं।’’

उन्होंने कहा था कि ऐसे में शब्दावली की समतुल्यता या प्रासंगिकता को लेकर प्रश्नों का समाधान राज्य या विश्वविद्यालय स्तर पर निकाला जाना चाहिए और एआईसीटीई के सामने नहीं उठाना चाहिए ।

भाषा आशीष उमा

उमा

 

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