एलएसी पर तनाव के बीच सेना ने लद्दाख में लंबी सर्दी के लिए की तैयारी | Army prepares for long winter in Ladakh amid tensions over LAC

एलएसी पर तनाव के बीच सेना ने लद्दाख में लंबी सर्दी के लिए की तैयारी

एलएसी पर तनाव के बीच सेना ने लद्दाख में लंबी सर्दी के लिए की तैयारी

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:58 PM IST, Published Date : September 15, 2020/3:31 pm IST

(प्रशांत रांगनेकर)

लेह, 15 सितंबर (भाषा) वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर तनाव के बीच सेना ने लद्दाख में लंबी सर्दी के लिए पूरी तैयारी कर ली है। गर्मी प्रदान करने वाले उपकरणों और जलवायु अनुरूप कपड़ों तथा भीषण सर्दी से रक्षा करने वाले तंबुओं एवं ईंधन तक सभी आवश्यक चीजें अग्रिम मोर्चों पर पहुंच चुकी हैं।

लद्दाख क्षेत्र में सर्दी के मौसम में तापमान शून्य से काफी नीचे चला जाता है और महीनों तक यह मुख्यत: देश के शेष हिस्सों से कटा रहता है। क्योंकि भारत और चीन की सेनाओं के बीच तनाव कम होने का कोई संकेत नहीं है, ऐसे में दोनों पक्षों ने भारी संख्या में अपने सैनिकों की मौजूदगी बढ़ा दी है।

तदनसुार, भारतीय सेना अपने राशन, बारूद, ईंधन के भंडार तथा सर्दी से रक्षा प्रदान करने वाले उपकरणों की उपलब्धता को मजबूत कर रही है।

‘फायर एंड फ्यूरी’ कोर के चीफ ऑफ स्टाफ मेजर जनरल अरविन्द कपूर ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘चाहे राशन हो या ईंधन, चाहे तेल हो या लुब्रिकेंट, तंबू हों या बुखारी (हीटर) या केरो हीटर या फिर गोला-बारूद, हमारा भंडार प्रचुर मात्रा में है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘जहां भी इन चीजों की आपूर्ति की जरूरत है, वह पहले ही की जा चुकी है। हमें विश्वास है कि व्यवस्था इतनी अच्छी हो गई है कि आगामी दिनों में यह शानदार परिणाम देगी।’’

कपूर ने कहा कि समूचे लद्दाख क्षेत्र को दो मुख्य राजमार्गों- मनाली-लेह और जम्मू-श्रीनगर राजमार्ग से जोड़ दिया गया है।

उन्होंने कहा, ‘‘ये राजमार्ग लगभग छह महीने बंद रहते हैं, लेकिन पिछले कुछ महीनों में हमने इस संख्या को घटाकर 120 दिन तक कर दिया है। अटल सुरंग का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे। दारचा-निमु-पदम लिंक भी तैयार है और निकट भविष्य में लद्दाख क्षेत्र पूरे साल कनेक्टिविटी से लैस रहेगा।’’

यह कोर सबसे ऊंचे ईंधन, तेल, लुब्रिकेंट डिपो में से एक का संचालन भी करती है।

साजो-सामान प्रभारी ब्रिगेडियर राकेश मनोचा ने कहा, ‘‘हम अपने वाहनों और कर्मियों तथा अग्रिम मोर्चे पर भीषण सर्दी में उन्हें गर्मी प्रदान करने के लिए बुखारी के वास्ते भी ईंधन की आपूर्ति करते हैं।’’

तंबुओं के बारे में अधिकारी ने कहा कि देश में विकसित आर्कटिक तंबू शून्य से 20 डिग्री नीचे तक के तापमान को सहन कर सकते हैं, जबकि अधिक ऊंचाई वाले तंबुओं में शून्य से 50 डिग्री नीचे तक के तापमान को सहन करने की क्षमता है।

सेना के एक अधिकारी ने कहा कि तंबू और सर्दी के लिहाज से उपयुक्त कपड़ों की अग्रिम क्षेत्रों में आपूर्ति की जा चुकी है।

उन्होंने कहा कि राशन का भी पूरा इंतजाम कर लिया गया है।

भाषा

नेत्रपाल नरेश

नरेश

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)