महाराजा सुहेलदेव के नाम आगे 'राजभर' लिखने को लेकर भाजपा और सुभासपा में नोक झोंक | BJP and Subsp throw a tip on the name of Maharaja Suheldev to write 'Rajbhar'

महाराजा सुहेलदेव के नाम आगे ‘राजभर’ लिखने को लेकर भाजपा और सुभासपा में नोक झोंक

महाराजा सुहेलदेव के नाम आगे 'राजभर' लिखने को लेकर भाजपा और सुभासपा में नोक झोंक

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:39 PM IST, Published Date : February 23, 2021/1:36 pm IST

लखनऊ, 23 फरवरी (भाषा) विधानसभा में मंगलवार को राज्‍यपाल के अभिभाषण पर चर्चा के दौरान सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) और सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बीच महाराजा सुहेलदेव के नाम के आगे ‘राजभर’ लिखने को लेकर खूब नोक-झोंक हुई।

विधानसभा में राज्‍यपाल के अभिभाषण पर चर्चा के दौरान सुभासपा के नेता ओमप्रकाश राजभर ने कहा,” भाजपा की सरकार सरदार बल्‍लभ भाई के नाम के आगे उनकी जाति ‘पटेल’ और पंडित दीनदयाल के नाम के आगे उनकी जाति ‘उपाध्‍याय’ लिख सकती है तो महाराजा सुहेलदेव के नाम के आगे ‘राजभर’ क्‍यों नहीं लिखती है।”

उन्‍होंने कहा कि बहराइच के चित्‍तौरा में 16 फरवरी को प्रधानमंत्री ने महाराजा सुहेलदेव की प्रतिमा का शिलान्‍यास किया लेकिन शिलापट पर सिर्फ महाराजा सुहेलदेव लिखा गया है।

उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 16 फरवरी को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये चित्‍तौरा झील के विकास कार्यों का शिलान्‍यास किया। यह कार्यक्रम महाराजा सुह‍ेलदेव की जयंती के उपलक्ष्‍य में उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले में आयोजित किया गया था। इस परियोजना में महाराजा सुहेलदेव की एक घोड़े पर सवार प्रतिमा की स्‍थापना, कैफेटेरिया, अतिथि गृह और बच्‍चों के पार्क जैसी विभिन्‍न पर्यटक सुविधाओं को शामिल किया गया है।

मंगलवार को विधानसभा में सुभासपा नेता ओमप्रकाश राजभर ने कहा,” सरकार भले हमें शिक्षा-स्‍वास्‍थ्‍य और सुविधाएं न दे लेकिन हमारा इतिहास मिटाने की कोशिश नहीं करे। इतिहास को मिटाने की कोशिश होगी तो राजभर समाज बर्दाश्‍त नहीं करेगा।”

उन्‍होंने कहा कि अंग्रेजों के शासन के ‘गजेटियर’ और मुगल शासन के ‘आईने अकबरी’ में महाराजा सुहेलदेव को राजभर समाज का बताया गया है।

उन्‍होंने आरोप लगाया कि करणी सेना और हिंदू युवा वाहिनी का इस्‍तेमाल कर महाराजा सुहेलदेव को क्षत्रिय समाज का बताया गया जो राजभर समाज के साथ अन्‍याय है।

ओमप्रकाश राजभर द्वारा आरोप लगाये जाने पर भाजपा सदस्‍य राघवेंद्र प्रताप सिंह ने आपत्ति की तो नोक झोंक शुरू हो गई।

ओमप्रकाश राजभर ने कहा कि मैंने 18 वर्षों तक लोगों के बीच महाराजा सुहेलदेव के इतिहास को बताया और आज राजनीतिक स्‍वार्थ के लिए उनका नाम लिया जा रहा है।

इस बीच श्रम मंत्री स्‍वामी प्रसाद मौर्य ने ओमप्रकाश राजभर से कहा कि आप जो टोपी लगाए हैं उस पर सुह‍ेलदेव तो लिखा है लेकिन उसके आगे राजभर नहीं लिखा है।

सहकारिता मंत्री मुकुट बिहारी वर्मा ने कहा कि बहराइच के चित्‍तौरा में 1950 से सुहेलदेव के नाम पर मेला लग रहा है।

सत्ताधारी दल के सदस्‍य ओमप्रकाश राजभर को लक्ष्‍य कर तंज कसने लगे। ओमप्रकाश ने कहा कि वह कल से टोपी पर सुहेलदेव राजभर लिखकर आएंगे।

इसी बीच उत्तर प्रदेश सरकार के पिछड़ा वर्ग कल्‍याण मंत्री अनिल राजभर ने कहा,” आपने ( ओमप्रकाश राजभर) सुहेलदेव का नाम लगाकर पार्टी बनाई है लेकिन आपने खुद पार्टी का नाम सुहेलदेव राजभर नहीं रखा है। आजादी के बाद 75 वर्षों में किसी ने महाराजा सुहेलदेव का नाम नहीं लिया लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्‍व में मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने महाराजा सुहेलदेव को प्रतिष्ठित किया और उनके नाम पर परि‍योजना संचालित की है।’’

अनिल राजभर ने कहा कि जिस गाजी सालार मसूद का महाराजा सुहेलदेव ने वध किया उसी सालार मसूद के वंशजों से आपने हाथ मिलाया है।

महाराजा सुहेलदेव के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने 11वीं शताब्‍दी में महमूद गज़नवी के सेनापति सैयद सालार गाजी को मार गिराया था। महाराजा सुहेलदेव की पहचान मुस्लिम आक्रमणकारी को हराने की है।

ओमप्रकाश राजभर इस समय भागीदारी संकल्‍प मोर्चा के बैनर तले एआईएमआईएम के असदुद़दीन ओवैसी समेत कई दलों के नेताओं को एक मंच पर लाकर 2022 के विधान सभा चुनाव की तैयारी कर रहे हैं।

उल्‍लेखनीय है कि पूर्वी उत्तर प्रदेश में राजभर समाज की अच्‍छी तादाद है और पिछड़ी जाति से आने वाले इस वर्ग को लुभाने के लिए राजनीतिक दलों में होड़ लगी रहती है।

भाजपा ने अनिल राजभर को सरकार में मंत्री बनाकर महत्‍व दिया है तो बहुजन समाज पार्टी ने भी अपनी प्रदेश इकाई का अध्‍यक्ष मऊ जिले के भीम राजभर को बनाया है। बसपा में पूर्व प्रदेश अध्‍यक्ष राम अचल राजभर और पूर्व विधानसभा अध्‍यक्ष सुखदेव राजभर जैसे महत्‍वपूर्ण नेता हैं।

सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी से भारतीय जनता पार्टी ने 2017 के विधानसभा चुनाव में गठबंधन किया और समझौते में आठ सीटें दी जिनमें चार सीटों पर सुभासपा को विजय मिली है।

ओमप्रकाश राजभर भी पहली बार गाजीपुर जिले की जहूराबाद विधानसभा सीट से चुनाव जीतकर सदन में पहुंचे और योगी आदित्‍यनाथ के नेतृत्‍व वाली भाजपा सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाये गये लेकिन दो वर्ष के भीतर ही विरोधी सुर की वजह से उन्‍हें मंत्रिमंडल से बर्खास्‍त कर दिया गया।

सुभासपा अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर ने पिछले दिनों ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा था कि ”आने वाले महीनों में प्रदेश में पंचायत चुनाव होने वाले हैं और उसके बाद विधानसभा चुनाव होंगे, प्रदेश के 18 जिलों के जाट किसानों ने भाजपा का साथ छोड़ दिया है, इसलिए इस पार्टी ने अब राज्य के पूर्वी हिस्सों पर अपनी नजरें गड़ा दी है, जहां राजभर मतदाताओं का दबदबा है। भाजपा सुहेलदेव के नाम पर वोट की खेती करना चाहती है।”

भाषा आनन्‍द धीरज

धीरज

 

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