केन्द्र को दिल्ली के ‘दरवाजे पर राशन योजना’ के तहत राशन की दरों में वृद्धि की आशंका | Centre anticipates hike in ration rates under Delhi's 'Door Ration Scheme'

केन्द्र को दिल्ली के ‘दरवाजे पर राशन योजना’ के तहत राशन की दरों में वृद्धि की आशंका

केन्द्र को दिल्ली के ‘दरवाजे पर राशन योजना’ के तहत राशन की दरों में वृद्धि की आशंका

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 07:58 PM IST, Published Date : March 24, 2021/4:46 pm IST

नयी दिल्ली, 24 मार्च (भाषा) दिल्ली सरकार की ‘दरववाजे पर राशन वितरण योजना’ पर गंभीर आपत्तियां उठाते हुए, केंद्रीय खाद्य सचिव सुधांशु पांडे ने बुधवार को कहा कि यदि प्रस्तावित योजना लागू की जाती है, तो राष्ट्रीय राजधानी के 72 लाख राशन कार्ड धारकों को, केंद्रीय कानून के तहत तय किये गये एक से तीन रुपये प्रति किलो की दर से कहीं अधिक दर पर खाद्यान्नों की खरीद करना पड़ सकता है।

उन्होंने कहा कि इसके अलावा, दिल्ली के लाभार्थी जो अपने आवास को एक स्थान से दूसरे स्थान पर बदलते रहते हैं, उन्हें वर्ष में केवल एक बार उचित मूल्य की दुकान (एफपीएस) चुनने का विकल्प मिलेगा जहां से वह सब्सिडीप्राप्त खाद्यान्नों की खरीद का इरादा करते हैं। जबकि केंद्र सरकार द्वारा लागू किये गये राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) के तहत हर महीने ऐसा विकल्प दिया जा रहा है।

पांडे ने कहा कि केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली में लगभग 2018 उचित मूल्य की दुकान (एफपीएस) में इलेक्ट्रॉनिक पॉइंट ऑफ सेल (ई-पीओएस) मशीनों की स्थापना सुनिश्चित करने के बावजूद दिल्ली में राशन का बायोमेट्रिक प्रमाणित वितरण नहीं हो रहा है। उन्होंने खाद्यान्नों के कथित तौर पर स्थानांतरण या अन्यत्र उपयोग के प्रति भी चिंता जताई।

पांडे ने कहा कि केंद्र ने पहले ही दिल्ली सरकार के साथ चिंताओं को साझा किया है और 25 मार्च से शुरू होने वाली ‘मुख्यमंत्री घर घर राशन योजना’ को लागू नहीं करने को कहा है। केन्द्र का कहना है कि यह एनएफएसए से विचलन है।

केंद्र की आपत्ति के एक दिन बाद, 20 मार्च को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि उनकी सरकार की इस योजना का कोई नाम नहीं होगा। हालांकि, उन्होंने जोर देकर कहा, ‘‘हम केंद्र की सभी शर्तों को स्वीकार करेंगे लेकिन योजना के कार्यान्वयन में कोई बाधा नहीं आने देंगे।’’

हालांकि, दिल्ली की प्रस्तावित योजना पर बिंदुवार आपत्तियां जताते हुए, पांडे ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘यह एनएफएसए से पूर्ण विचलन है। यह स्वीकार्य नहीं है।’’

सबसे पहले, दिल्ली सरकार एनएफएसए के तहत केंद्र सरकार द्वारा प्रदान किए गए सब्सिडी वाले खाद्यान्नों का उपयोग करके अपनी योजना शुरू नहीं कर सकती है।

दूसरा, दिल्ली सरकार इस प्रस्तावित योजना के तहत कौन सी दर पर राशन बेचेबी, इसके बारे में वह मौन नहीं हो सकती है क्योंकि 20 फरवरी की अधिसूचना में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि ‘‘सब्सिडी वाले खाद्यान्नों की लागत, और मिलिंग / रूपांतरण शुल्क के रूप में एक निर्दिष्ट राशि लाभार्थियों से एकत्र की जाएगी।’’

उन्होंने कहा, ‘‘इसका मतलब है कि रूपांतरण और पैकेजिंग शुल्क लाभार्थियों से एकत्र किए जाएंगे। … लाभार्थियों को जिस मूल्य पर राशन बेचा जाएगा, वह एनएफएसए के तहत तय की गई कीमत से कहीं अधिक होगा।’’

उन्होंने कहा कि इसके अलावा, मिलिंग और पैकेजिंग शुल्क हर साल ठेकेदार में बदलाव के साथ बदलते रहेंगे। कोई निश्चित दर नहीं है क्योंकि यह हर साल बदलता रहता है।

एनएफएसए के तहत, केंद्र ने देशभर में खाद्यान्न के लिए एक समान सब्सिडी दर 1-3 रुपये प्रति किलोग्राम तय की है। संसद में कानून पारित होने के बाद 2013 से दरों में बदलाव नहीं किया गया है।

दिल्ली सरकार की मुख्‍यमंत्री घर घर राशन योजना “सस्ते मूल्य” पर लाभार्थियों के घर पर ‘गेहूं के बजाय पैकेटबंद गेहूं आटा और साफ / पैक चावल’ वितरित करने की योजना है।

यह पूछे जाने पर कि केंद्र की ओर से इस योजना की शुरुआत से पहले ही आपत्ति क्यों उठाई जा रही है जबकि पिछले महीने ही दिल्ली सरकार की अधिसूचना जारी की गई थी, सचिव ने कहा, ‘‘दिल्ली सरकार ने किसी भी पत्र के साथ अधिसूचना नहीं भेजी थी। यह एक दिनचर्या के रूप में सामने आया था। बाद में इसे रखा गया और विभाग ने इसकी जांच की और उसके बाद हमें इस कमी के बारे में पता चला।’’

दिल्ली सरकार ने ‘दरवाले पर डिलीवरी’ के संदर्भ में एनएफएसए की धारा 24 की ‘गलत व्याख्या’ की है। अधिनियम में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि एक डोरस्टेप डिलीवरी एक एफपीएस बिक्रीकेन्द्र के लिए है न कि लाभार्थी के घर पर।

एफपीएस को चुनने के विकल्प पर, सचिव ने कहा कि एनएफएसए एक लाभार्थी को हर महीने एफपीएस चुनने के लिए एक विकल्प देता है, दिल्ली सरकार इसे वर्ष में एक बार तक सीमित कर रही है, हालांकि आंकड़े बताते हैं कि लाभार्थियों का रोजगार या किसी अन्य कारण से राज्य में एक से दूसरी जगह जाने का सिलसिला कहीं अधिक ही है।

उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में जनवरी और अप्रैल 2018 के बीच लगभग 35 प्रतिशत पोर्टेबल लेनदेन दर्ज किए गए थे, जब ‘वन नेशन, वन राशन कार्ड’ योजना शुरू होने से पहले, राशन कार्ड पोर्टेबिलिटी योजना पहली बार यहां शुरू की गई थी।

उन्होंने कहा, ‘‘यदि लाभार्थी को वर्ष में केवल एक बार दुकान बदलने का विकल्प दिया जाता है तो यह एक मुश्किल स्थिति बन जाती है।’’

राशन के बायोमेट्रिक प्रमाणित वितरण पर, सचिव ने कहा कि ईपीओएस मशीनें स्थापित होने के बावजूद, दिल्ली सरकार ने अभी तक उन्हें सक्रिय नहीं किया है, हालांकि इसमें कोई इंटरनेट या ब्रॉडबैंड संबंधी समस्याएं नहीं हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘दिल्ली में एक ग्राम खाद्यान्न भी बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण के साथ वितरित नहीं किया गया है। यूपी और अन्य राज्यों में 100 प्रतिशत बायोमेट्रिक रूप से प्रमाणित वितरण है।’’ उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार के साथ कई बैठकें हुई हैं और इसे जल्द लागू करने का अनुरोध किया गया है।

भाषा राजेश राजेश मनोहर

मनोहर

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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