कांग्रेस ने कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग की, संसद परिसर में प्रदर्शन | Congress demands repeal of agricultural laws, protests in Parliament premises

कांग्रेस ने कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग की, संसद परिसर में प्रदर्शन

कांग्रेस ने कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग की, संसद परिसर में प्रदर्शन

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:23 PM IST, Published Date : July 22, 2021/9:29 am IST

नयी दिल्ली, 22 जुलाई (भाषा) कांग्रेस ने बृहस्पतिवार को केंद्र सरकार से तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग की तथा पार्टी सांसदों ने संसद परिसर में इस मुद्दे पर प्रदर्शन और लोकसभा एवं राज्यसभा में हंगामा किया।

संसद की कार्यवाही आरंभ होने से पहले कांग्रेस सांसदों ने पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की अगुवाई में संसद भवन परिसर में महात्मा गांधी की प्रतिमा के समक्ष प्रदर्शन किया।

राहुल गांधी के अलावा लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी, लोकसभा सदस्य मनीष तिवारी, गौरव गोगोई, रवनीत सिंह बिट्टू, राज्यसभा सदस्य प्रताप सिंह बाजवा और कई अन्य सांसद इस प्रदर्शन में शामिल हुए।

कांग्रेस सांसदों ने ‘काले कानून वापस लो’ और ‘प्रधानमंत्री न्याय करो’ के नारे लगाए।

राहुल गांधी ने ट्वीट किया, ‘‘वे असत्य, अन्याय, अहंकार पर अड़े हैं, हम सत्याग्रही, निर्भय, एकजुट यहां खड़े हैं। जय किसान!’’

कांग्रेस और कुछ अन्य विपक्षी दलों के सदस्यों ने तीनों कृषि कानूनों के मुद्दे पर ही संसद के दोनों सदनों में भी हंगामा किया जिस कारण कार्यवाही बाधित हुई। उन्होंने सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ नारेबाजी की।

पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट किया, ‘‘ ईश्वर से प्रार्थना है कि आज तो मोदी सरकार को संसद में सद्बुद्धि आए और अहंकार त्यागें । खेती विरोधी तीनों काले क़ानून ख़त्म हों।’’

मुख्य विपक्षी पार्टी ने तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग उस वक्त दोहराई है जब मानसूत्र के दौरान केन्द्र के इन तीनों कानूनों के खिलाफ किसान संगठन जंतर-मंतर पर प्रदर्शन कर रहे हैं।

गौरतलब है कि दिल्ली से लगे टिकरी बॉर्डर, सिंघू बॉर्डर तथा गाजीपुर बॉर्डर पर किसान पिछले साल नवम्बर से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। उनकी मांग है कि तीनों कृषि कानूनों को वापस लिया जाए और न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी दी जाए। हालांकि सरकार का कहना है कि ये कानून किसानों के हित में हैं। सरकार और प्रदर्शन कर रहे किसानों के बीच कई दौर की वार्ता बेनतीजा रही है।

भाषा हक हक माधव

माधव

 

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