मुंबई, 13 जनवरी (भाषा) बंबई उच्च न्यायालय ने बुधवार को कहा कि गैरकानूनी निर्मार्णों से जुड़े मामलों की सुनवाई के लिए महाराष्ट्र सरकार को एक अलग अधिकरण का गठन करना चाहिए, जिससे ऐसी इमारतों के संबंध में समय रहते कदम उठाया जा सके और इमारत ढहने जैसी अप्रिय घटनाओं से बचा जा सके।
मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति जी.एस. कुलकर्णी की खंडपीठ एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसे उच्च न्यायालय ने स्वत: संज्ञान लेते हुए सितंबर 2020 में सुनवाई के लिए लिया था। यह ठाणे जिले के भिवंडी में एक इमारत के ढहने के बाद दायर की गई थी। उस घटना में 38 लोगों की मौत हो गई थी।
तब अदालत ने महाराष्ट्र सरकार और पूरे राज्य के सभी नगर निकायों को यह जानकारी देने का निर्देश दिया था कि अपने-अपने इलाकों में खस्ताहाल इमारतों और गैरकानूनी निर्मार्णों के संबंध में उन्होंने क्या कदम उठाए हैं।
बुधवार को पीठ ने कहा कि दुर्भाग्यपूर्ण रूप से निगमों की ओर से ऐसी इमारतों का पता लगाने की कोई इच्छाशक्ति नहीं है।
न्यायमूर्ति कुलकर्णी ने कहा, ‘‘नगर निगम अधिकारियों की ओर से न्यायविरुद्ध काम और कर्तव्य में लापरवाही की गई। पता नहीं हम किस ओर जा रहे हैं। सभी वार्ड अधिकारियों को पता होना चाहिए कि ऐसे मामलों में उनकी क्या जिम्मेदारी है। निगमों की इच्छाशक्ति महत्वपूर्ण है। मानव जीवन इतना सस्ता नहीं होना चाहिए।’’
भाषा
मानसी दिलीप
दिलीप
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