देश में 2020 में सौर क्षमता में 3,239 मेगावाट की वृद्धि, पांच साल में सबसे कम: रिपोर्ट | Country increases solar capacity by 3,239 MW in 2020, lowest in five years: report

देश में 2020 में सौर क्षमता में 3,239 मेगावाट की वृद्धि, पांच साल में सबसे कम: रिपोर्ट

देश में 2020 में सौर क्षमता में 3,239 मेगावाट की वृद्धि, पांच साल में सबसे कम: रिपोर्ट

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:43 PM IST, Published Date : February 23, 2021/4:39 pm IST

नयी दिल्ली, 23 फरवरी (भाषा) भारत ने कोविड19 से प्रभावित पिछले साल 2020 में 3,239 मेगावाट सौर क्षमता जोड़ा। यह पिछले साल के मुकाबले 56 प्रतिशत कम है। एक रिपोर्ट में कहा गया है कि 2021 में इसमें उल्लेखनीय वृद्धि होने की उम्मीद है।

मेरकॉम इंडिया रिसर्च ने मंगलवार को अपनी रिपोट में कहा कि सौर ऊर्जा क्षमता में 3,239 मेगावाट की वृद्धि पांच साल में सबसे कम है।

रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘भारत ने 2020 में 3,239 मेगावाट सौर क्षमता जोड़ा जो इससे पिछले साल 2019 के 7,346 मेगावाट के मुकाबले 56 प्रतिशत कम है।’’

इसमें कहा गया है कि दिसंबर 2020 की स्थिति के अनुसार भारत में सौर ऊर्जा की कुल स्थापित क्षमता 39,000 मेगावाट थी।

कुल जोड़ी गयी क्षमता में बड़ी परियोजनाओं की हिस्सेदारी 2,520 मेगावाट यानी 78 प्रतिशत रही। यह सालाना आधार पर 60 प्रतिशत कम है। शेष 719 मेगावाट की हिस्सेदारी छतों पर लगने वाली सौर परियोजनाओं की है। इसमें भी 2019 के मुकाबले 22 प्रतिशत की कमी आयी है।

रिपोर्ट के अनुसार बड़े आकार की सौर क्षमता वृद्धि के मामले में आंध्र प्रदेश, राजस्थान और गुजरात तीन शीर्ष राज्य हैं। पिछले साल स्थापित कुल क्षमता इन राज्यों की हिस्सेदारी करीब 51 प्रतिशत रही।

मेरकॉम कैपिटल ग्रुप के मुख्य कार्यपालक अधिकारी राज प्रभु ने कहा, ‘‘भारत में 2020 में क्षमता वृद्धि पांच साल में सबसे कम है। वहीं दुनिया के अन्य प्रमुख सौर ऊर्जा बाजारों में सकारात्मक वृद्धि हुई है। भारत ने महामारी से निपटने के लिये कड़ाई से ‘लॉकडाउन’ लगाया था। इससे क्षेत्र को पटरी में आने में थोड़ा समय लगा। हालांकि 2021 में इसमें उल्लेखनीय वृद्धि की उम्मीद है।’’

रिपोर्ट के अनुसार कोविड-19 के अलावा सरकारी एजेंसियों को वितरण कंपनियों को बिजली खरीद समझौते के लिये तैयार करने में होने वाली कठिनाई है। करीब 17,000 से 18,000 मेगावाट क्षमता की परियोजनाएं बिना बिजली खरीद समझौते के हैं।

इसके अलावा मोड्यूल के दाम में वृद्धि, माल ढुलाई लागत में बढ़ोतरी और कच्चे माल की लागत में तेजी अन्य अल्पकालीन चुनौतियां हैं।

भाषा

रमण मनोहर

मनोहर

 

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