एनएलयू छात्र की संदिग्ध अवस्था में मौत के मामले में नए सिरे से जांच का न्यायालय का आदेश | Court orders fresh probe into death case of NLU student in suspicious state

एनएलयू छात्र की संदिग्ध अवस्था में मौत के मामले में नए सिरे से जांच का न्यायालय का आदेश

एनएलयू छात्र की संदिग्ध अवस्था में मौत के मामले में नए सिरे से जांच का न्यायालय का आदेश

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:15 PM IST, Published Date : September 16, 2020/7:13 am IST

नयी दिल्ली, 16 सितंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने जोधपुर की नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के तीसरे वर्ष के छात्र की संदिग्ध अवस्था में मौत के मामले में राजस्थान पुलिस की क्लोजर रिपोर्ट खारिज कर दी है और मामले की नए सिरे से जांच के आदेश दिए हैं।

मामला 13 अगस्त 2017 का है। पीड़ित छात्र विक्रांत नगाइच (21) विश्वविद्यालय परिसर से करीब 300 मीटर दूर स्थित एक रेस्त्रां में शाम के वक्त अपने दोस्तों के साथ गया था। उसके बाद वह लौटा नहीं। अगली सुबह उसका शव रेल पटरियों पर मिला।

न्यायमूर्ति आरएफ नरीमन, न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा और न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी की पीठ ने कहा, ‘‘हमने क्लोजर रिपोर्ट खारिज कर दी है। हमने नए सिरे से जांच समेत कई अन्य निर्देश दिए हैं।’’

गत आठ सितंबर को शीर्ष अदालत ने इस मामले में राजस्थान पुलिस की ओर से पेश रिपोर्ट देखने के बाद कहा था कि मामले में फिर से जांच करने की जरूरत है। उसने कहा था, ‘‘हम पुन: जांच करने के लिए कह सकते हैं। यह कोई तरीका नहीं है।’’

मामले की सुनवाई के दौरान पीड़ित की मां की ओर से पेश अधिवक्ता सुनील फर्नांडिस ने कहा था कि मामले में कोई प्रगति नहीं हुई है। उन्होंने यह मामला राजस्थान पुलिस से लेकर सीबीआई को सौंपने का आग्रह किया।

जुलाई में न्यायालय ने कहा था कि मामले की जांच दो महीने में पूरी हो जानी चाहिए और उसके समक्ष अंतिम रिपोर्ट पेश की जानी चाहिए।

पीड़ित विक्रांत की मां एवं याचिकाकर्ता नीतू कुमार नगाइच ने मांग की कि सीबीआई को यह निर्देश दिया जाए कि वह ‘‘अप्राकृतिक मौत के रहस्य को सुलझाने के लिए’’ सभी कदम उठाए।

याचिका में कहा गया कि इस मामले में प्राथमिकी दस महीने की देरी से, जून 2018 में दर्ज की गई। इसमें कहा गया कि जिस तरह से जांच की गई उससे ऐसी आशंका होती है कि यह कुछ प्रभावशाली व्यक्तियों को बचाने की कोशिश का परिणाम है।

इसमें कहा गया, ‘‘लगभग तीन साल बीत जाने के बावजूद आरोप-पत्र तक दाखिल नहीं किया गया। जांच भी आगे नहीं बढ़ी है। अपराधियों को पकड़ने के कोई प्रयास नहीं किए गए।’’

याचिका में पुलिस जांच के दौरान कई कथित खामियों का भी जिक्र किया गया।

भाषा मानसी शाहिद

शाहिद

 

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