न्यायालय ने 31 अगस्त तक एनपीए घोषित नहीं किये गये बैकों के खातों को संरक्षण प्रदान किया | Court protects accounts of un declaration of NPAs till 31st August

न्यायालय ने 31 अगस्त तक एनपीए घोषित नहीं किये गये बैकों के खातों को संरक्षण प्रदान किया

न्यायालय ने 31 अगस्त तक एनपीए घोषित नहीं किये गये बैकों के खातों को संरक्षण प्रदान किया

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:26 PM IST, Published Date : September 3, 2020/3:07 pm IST

नयी दिल्ली, तीन सितंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को निर्देश दिया कि इस साल 31 अगस्त तक जिन खातों को गैर निष्पादिन खाता (एनपीए) घोषित नहीं किया गया है उन्हें अगले आदेश तक ऐसा घोषित नहीं किया जायेगा।

न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने कोविद-19 महामारी की वजह से मोरेटोरियम (भुगतान पर रोक) अवधि के तहत किस्तों का भुगतान स्थगित रखने पर भी ब्याज की वसूली के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई के दैरान यह निर्देश दिया।

शीर्ष अदालत ने बैंकों की एसोसिएशन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे के कथन का संज्ञान लिया कि कम से कम दो महीने के लिये कोई भी खाता एनपीए नहीं होगा। पीठ ने अपने आदेश में कहा, ‘‘उपरोक्त कथन के मद्देनजर जिन खातों को 31 अगस्त, 2020 तक एनपीए घोषित नहीं किया गया है, उन्हें अगले आदेश तक एनपीए घोषित नहीं किया जायेगा।’’

केन्द्र और रिजर्व बैंक की ओर से सालिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि बैंकिंग सेक्टर अर्थव्यवस्था की रीढ़ है और महामारी की वजह से प्रत्येक सेक्टर और प्रत्येक अर्थव्यवस्था दबाव में है।

मेहता ने कहा कि पूरी दुनिया में यह एक स्वीकृत स्थिति है कि अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने के लिये ब्याज की माफी अच्छा विकल्प नहीं है।

याचिकाकर्ताओं द्वारा उठाये गये मुद्दों का जिक्र करते हुये पीठ ने कहा, ‘‘हमारी चिंता ब्याज पर ब्याज को लेकर है।’’

इस मामले में बहस अधूरी रही। अब इस पर 10 सितंबर को आगे बहस होगी।

केन्द्र ने हाल ही में न्यायालय से कहा था कि मोरेटोरियम अवधि में ईएमआई स्थगन पर ब्याज की माफी वित्त के बुनियादी सिद्धांतों के खिलाफ होगी और यह उन लोगों के साथ अन्याय होगा जिन्होंने कर्ज की अदायगी पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार की है।

हालांकि, केन्द्र ने न्यायालय को सूचित किया था कि भारतीय रिजर्व बैंक ने एक योजना तैयार की है जिसके तहत परेशानी का सामना कर रहे कतिपय कर्जदारों के लिये मोरेटोरियम की अवधि दो साल तक बढ़ाने का प्रावधान है।

इस संबंध में वित्त मंत्रालय ने न्यायालय में एक हलफनामा दाखिल किया है। न्यायालय ने केन्द्र सरकार और रिजर्व बैंक से कोविड-19 महामारी के दौरान कर्ज किस्त के भुगतान पर दी गई छूट अवधि में ईएमआई किस्तों पर ब्याज और ब्याज पर ब्याज वसूले जाने की स्थिति के बारे में पूछा था।

सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने न्यायालय को सूचित किया था कि कोविड- 19 महामारी के बीच किस्त भुगतान पर स्थगन अवधि को दो साल तक बढ़ाया जा सकता है।

न्यायालय रिजर्व बैंक के 27 मार्च के सर्कुलर के उस हिस्से को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है जिसमे कर्ज देने वाली संस्थाओं को एक मार्च, 2020 से 31 मई 2020 के दौरान कोविड-19 महामारी की वजह से सावधि कर्जों की किस्तों के भुगतान स्थगित करने का अधिकार दिया गया है। यह अवधि बाद में 31 अगस्त तक बढ़ा दी गयी थी।

भाषा अनूप

अनूप मनीषा

मनीषा

 

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