नयी दिल्ली, 17 जुलाई (भाषा) दिल्ली की एक अदालत ने यहां की एक रियल एस्टेट कंपनी के दो निदेशकों को जमानत देने से इनकार कर दिया है, जिन्हें दूसरे की जमीन पर परियोजनाएं शुरू करने और आवश्यक मंजूरी के बिना ही इकाइयां बेचने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।
अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट अभिलाष मल्होत्रा ने कहा कि ऐसे आर्थिक मामलों में जमानत देने में ‘सख्ती’ की जरूरत है ताकि लोगों का न्याय प्रणाली से विश्वास नहीं उठे।
न्यायाधीश ने कहा कि प्रथम दृष्टया यह स्पष्ट है कि आरोपी सुशांत मुतरेजा और निशांत मुतरेजा की कंपनी का उत्तर प्रदेश में जमीन के संबंध में कोई स्पष्ट मालिकाना हक नहीं है।
अदालत ने 14 जुलाई के अपने आदेश में कहा, ‘सक्षम प्राधिकार, पर्यावरण मंत्रालय, भारत सरकार और केंद्रीय भूजल प्राधिकरण से मंजूरी नहीं ली गई और परियोजनाओं को अवैध रूप से शुरू किया गया।’
न्यायाधीश ने कहा कि अपराध संगठित तरीके से किया गया था और कई भोले-भाले निवेशकों से उनकी गाढ़ी कमाई ठग ली गयी।
न्यायाधीश ने कहा, ‘सभी परियोजनाओं में नाममात्र का निर्माण किया गया था और किसी भी परियोजना में कोई डिलीवरी नहीं हुई थी। परियोजना का पैसा अवैध रूप से अन्य मुखौटा कंपनियों में अंतरित कर दिया गया था।’
अदालत ने इसे ‘गंभीर आर्थिक अपराध’ करार देते हुए कहा कि भोले-भाले निवेशकों से उनकी गाढ़ी कमाई ठगा ली गयी, इसलिए दोनों आरोपियों को जमानत देने का कोई आधार नहीं है।
उल्लेखनीय है कि सैकड़ों निवेशकों ने दोनों के खिलाफ करोड़ों रुपये की धोखाधड़ी करने की शिकायत दर्ज कराई है। दोनों 2015 और 2016 में दर्ज पांच मामलों में आरोपी हैं तथा इनकी जांच दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा कर रही है।
भाषा अविनाश दिलीप
दिलीप
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