आपातकाल के दौरान जब्त संपत्ति की क्षतिपूर्ति की याचिका पर अदालत ने केंद्र से जवाब मांगा | Court seeks centre's response on plea for compensation for property seized during emergency

आपातकाल के दौरान जब्त संपत्ति की क्षतिपूर्ति की याचिका पर अदालत ने केंद्र से जवाब मांगा

आपातकाल के दौरान जब्त संपत्ति की क्षतिपूर्ति की याचिका पर अदालत ने केंद्र से जवाब मांगा

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 07:57 PM IST, Published Date : January 11, 2021/7:54 am IST

नयी दिल्ली, 11 जनवरी (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने देश में आपातकाल के दौरान लुटियन्स दिल्ली में एक संपत्ति पर कब्जे के मामले में क्षतिपूर्ति के लिए दायर मुकदमे पर सोमवार को केंद्र और संपदा निदेशालय (डीओई) से जवाब देने को कहा।

इस मामले में 94 वर्षीय महिला वीरा सरीन के बच्चों ने मुकदमा दाखिल किया है। सरीन ने 1975 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा लगाये गये आपातकाल को असंवैधानिक घोषित करने का अनुरोध करते हुए हाल ही में उच्चतम न्यायालय में याचिका दाखिल की थी।

संपत्ति की क्षतिपूर्ति के मुकदमे के मामले में न्यायमूर्ति मनोज कुमार ओहरी ने डीओई, श्रम और रोजगार मंत्रालय तथा ‘तस्कर और विदेशी मुद्रा छलसाधक (सम्पत्ति समपहरण) अधिनियम’ (साफेमा) के तहत सक्षम प्राधिकार को समन जारी किये और उनसे लिखित बयान दाखिल करने को कहा।

मामला 26 अप्रैल को सुनवाई के लिए आएगा।

मुकदमे में केंद्र सरकार से यहां कस्तूरबा गांधी मार्ग पर अंसल भवन में एक संपत्ति के मई 1999 से जुलाई 2020 तक अवैध इस्तेमाल और उस पर कब्जे के संबंध में बाजार के किराये को लेकर हुए नुकसान, बकाया रखरखाव शुल्क और लंबित संपत्ति कर के रूप में क्रमश: 2.20 करोड़ रुपये, 9.89 लाख रुपये तथा 43.5 लाख रुपये की क्षतिपूर्ति की मांग की गयी है।

वादियों राजीव, दीपक और राधिका सरीन ने वकील सिद्धांत कुमार के माध्यम से संपदा निदेशालय, श्रम और रोजगार मंत्रालय तथा तस्कर और विदेशी मुद्रा छलसाधक (सम्पत्ति समपहरण) अधिनियम (साफेमा) के तहत सक्षम प्राधिकार के खिलाफ केजी मार्ग की संपत्ति के संबंध में मामला दायर किया था।

वादियों ने कहा कि वे संपत्ति के मालिक हैं जिस पर अधिकारियों ने 1998 में साफेमा के तहत नियंत्रण कर लिया था और इसे संपदा निदेशालय को किराये पर दे दिया गया। संपदा निदेशालय ने एक मई, 1999 से वादियों को किराये का भुगतान करना बंद कर दिया।

उन्होंने कहा कि दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिसंबर 2014 में संपत्ति पर सरकार के कब्जे को रद्द कर दिया लेकिन सरीन परिवार के अनेक प्रयासों के बावजूद अधिकारी उन्हें संपत्ति नहीं लौटा रहे थे।

उच्च न्यायालय के जून 2020 के आदेश के अनुरूप सरीन को जुलाई 2020 में संपत्ति पर कब्जा मिला।

भाषा वैभव नरेश

नरेश

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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