बिजली संशोधन विधेयक, 2021 को अंतिम रूप देने में ग्राहकों, कर्मचारियों की अनदेखी की जा रही: एआईपीईएफ | Customers, employees being ignored in finalizing Electricity Amendment Bill, 2021: AIPEF

बिजली संशोधन विधेयक, 2021 को अंतिम रूप देने में ग्राहकों, कर्मचारियों की अनदेखी की जा रही: एआईपीईएफ

बिजली संशोधन विधेयक, 2021 को अंतिम रूप देने में ग्राहकों, कर्मचारियों की अनदेखी की जा रही: एआईपीईएफ

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:22 PM IST, Published Date : February 23, 2021/11:15 am IST

नयी दिल्ली, 23 फरवरी (भाषा) बिजली क्षेत्र में कार्यरत इंजीनियरों का संगठन ‘ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन’ (एआईपीईएफ) ने मंगलवार को कहा कि बिजली (संशोधन) विधेयक 2021 को अंतिम रूप देने में ग्राहकों के साथ-साथ कर्मचारियों की अनदेखी की जा रही है। संगठन ने उस पर संबंधित पक्षों की राय के लिये विधेयक के मसौदे को सार्वजनिक किये जाने की मांग की है।

एआईपीईएफ के प्रवक्ता वी के गुप्ता ने कहा, ‘‘बिजली (संशोधन) विधेयक, 2021 के मसौदे को अंतिम रूप देते समय उपभोक्ता और बिजली क्षेत्र में काम करने वाले कर्मचारी और इंजीनियरों की उपेक्षा की गयी।’’

एआईपीईएफ ने मांग की है कि विधेयक को बिजली मंत्रालय की वेबसाइट पर रखा जाए और इसे अंतिम रूप देने से पहले ग्राहकों, क्षेत्र के कर्मचारियों के साथ इंजीनियरों के सुझावों पर विचार किया जाए।’’

एआईपीईएफ के चेयरमैन शैलेन्द्र दुबे ने बिजली मंत्री आर के सिंह को पत्र लिखकर कहा है कि मंत्रालय ने सुझावों को लेकर बिजली (संशोधन) विधेयक 2021 को कुछ चुनिंदा राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के बिजली सचिवों को भेजा था। उनसे दो सप्ताह के भीतर इस पर अपने सुझाव देने को कहा गया था।

बिजली (संशोधन) विधेयक 2021 में प्रस्तावित वितरण पंजीकरण के साथ वितरण लाइसेंस की प्रक्रिया में बदलाव का प्रस्ताव किया गया है।

संगठन ने बयान में कहा कि केंद्रीय बिजली मंत्री आर के सिंह के साथ 17 फरवरी को डिजिटल तरीके से हुई बैठक में भाजपा शासित राज्यों समेत कई प्रदेशों ने बिजली (संशोधन) विधेयक में प्रस्तावित के कई उपबंधों का विरोध किया।

गुप्ता ने कहा कि ऐसा लगता है बिजली मंत्रालय केवल नौकरशाह की भूमिका निभा रहा है और बड़े औद्योगिक घराने ही पक्षकार हैं।

संगठन ने कहा कि तेलंगाना सरकार ने वितरण कंपनियों के निजीकरण के तहत बिजली क्षेत्र में प्रस्तावित फ्रेंचाइजी व्यवस्था को लागू करने से मना कर दिया है।

एआईपीईएफ ने कहा कि हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, जम्मू कश्मीर और लद्दाख ने कहा है कि भौगोलिक कठिनाइयों के कारण निजीकरण संभव नहीं है।

भाषा

रमण मनोहर

मनोहर

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

Flowers