दिल्ली की अदालत ने नए आईटी नियमों को चुनौती देने वाली याचिका पर केंद्र से मांगा जवाब | Delhi court seeks Centre's response to petition challenging new IT rules

दिल्ली की अदालत ने नए आईटी नियमों को चुनौती देने वाली याचिका पर केंद्र से मांगा जवाब

दिल्ली की अदालत ने नए आईटी नियमों को चुनौती देने वाली याचिका पर केंद्र से मांगा जवाब

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:27 PM IST, Published Date : July 22, 2021/8:03 am IST

नयी दिल्ली, 22 जुलाई (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने व्हाट्सऐप, इंस्टाग्राम और ट्विटर जैसे सोशल मीडिया मंचों के उपयोगकर्ताओं की निजता एवं अभिव्यक्ति की आजादी के मौलिक अधिकारों का कथित घोर उल्लंघन करने को लेकर नए सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) नियमों को चुनौती देने वाली याचिका पर केंद्र से बृहस्पतिवार को जवाब मांगा।

मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने वकील उदय बेदी की याचिका पर केंद्र को नोटिस जारी किया। याचिका में दावा किया गया है कि नए आईटी नियम असंवैधानिक हैं और ये लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों के विपरीत हैं। अदालत ने केंद्र को शपथपत्र दायर करने के लिए समय देते हुए मामले को 13 सितंबर को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है।

बेदी ने अपनी याचिका में दलील दी है कि सोशल मीडिया मंचों को किसी शिकायत के आधार पर यह निर्णय लेने का अधिकार नहीं दिया जा सकता कि किस सूचना को हटाया जाना चाहिए।

याचिका में कहा गया है कि नए आईटी कानून यह नहीं बताते कि सोशल मीडिया मंच एसएमआई मंच पर पूरा संवाद पढ़े बिना शिकायत के खिलाफ स्वेच्छा से कार्रवाई कैसे करेंगे और सोशल मीडिया मंच के माध्यम से संग्रहीत, प्रकाशित या प्रसारित निजी जानकारी को डिक्रिप्ट (कूट भाषा को सरल भाषा में बदलना) किए बिना किसी संदेश को सबसे पहले भेजने वाले का पता लगाना संभव नहीं है।

याचिका में कहा गया है कि नियम तीन(1)(बी) के अनुरूप नहीं होने वाली जानकारी को हटाने के लिए आईटी कानून के तहत अत्यधिक शक्तियां देकर लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों के विरोधी नियमों ने सोशल मीडिया मंचों को अपने उपयोगकर्ताओं पर लगातार नजर रखने की अनुमति दी है, जो निजता के अधिकार का उल्लंघन है।

इसमें कहा गया है कि नियमों के तहत, भले ही व्यक्ति नियमों के उल्लंघन के लिए किसी जांच के दायरे में नहीं हो, इसके बावजूद मध्यस्थ को बिना किसी औचित्य के उसका डेटा रखना होगा, जो उपयोगकर्ता के निजता के अधिकार का घोर उल्लंघन है।

बेदी ने अपनी याचिका में कहा कि शिकायत अधिकारी और/या मुख्य अनुपालन अधिकारी के निर्णय के खिलाफ नियमों के तहत कोई अपीली प्रक्रिया मुहैया नहीं कराई गई है और नागरिकों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को प्रतिबंधित करने के व्यापक अधिकार निजी व्यक्तियों के हाथों में सौंप दिए गए हैं, जो आश्चर्यजनक और पूरी तरह अनुचित है।

भाषा सिम्मी अनूप

अनूप

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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